Saturday, 6 November 2021

जिन्दा

 लघुकथा :


"जिन्दा"

विनय स्कूटर को स्टैंड पर खड़ा करके अपने अपार्टमेंट में आता है । उसे बहुत तेज प्यास लगी थी , वह रसोई में जाकर पानी पीता है , फ्रिज खोलकर कुछ खाने की कोशिश करता है , तभी उसकी नजर बाहर खिड़की पर पड़ती है और वह यह देख कर चौक जाता है कि उसका स्कूटर बाहर चौराहे पर गिरा पड़ा है , लोगों की भीड़ वहां जमा है , वह यह देखकर अचंभित हो जाता है । वह फौरन अपना अपार्टमेंट को लॉक कर एक्सीडेंट वाली जगह पहुंचता है । वहां जाकर विनय देखता है कि स्कूटर के साथ लहूलुहान एक लड़का सड़क पर गिरा पड़ा है और वो भी एकदम उसकी शक्ल , यह देख विनय घबराता है । वह लोगों से बात करने की कोशिश करता है , तो वो किसी से बात नहीं कर पा रहा था , वह उस लड़के को उठाने की कोशिश करता है तो वह उसे उठा नहीं पा रहा था ।
तभी एक जोर का घुसा उसके मुंह पर आकर पड़ता हैं और वह बुरी तरह घबराकर उठ बैठता है , मोहन उसे कहता है कि जब इतना ही डर लगता है तो रात को हॉरर फिल्में मत देखा कर , विनय की अब जान में जान आई क्योंकि वह "जिंदा" था ।


✍विवेक आहूजा
बिलारी 

Tuesday, 3 August 2021

मिञता, FRIENDSHIP

 



कहानी :


"मिञता"
                     
आज सुबह विनय ने काफी जल्दी मेडिकल की दुुकान खोल ली थी और लगातार कई डॉक्टरों के दवाई लेने आने के कारण वह काफी थक भी गया था तभी उसके सामने उसकी हम उम्र चश्मा लगाए हुए एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार सहित खड़ा हो गया , एक बार को तो विनय भौचक्का रह गया और उछलकर अपने मित्र जीके को गले लगा लिया , तदोपरांत वह जीके को अपने निवास पर लाया वहा अपनी पत्नी व बच्चों से जीके का परिचय करवाया। विनय की माता जी व पिताजी जीके से भलीभांति परिचित थे ,जीके ने तुरंत ही विनय की माता जी का पिता जी के चरण स्पर्श करें वह उनका आशीर्वाद लिया ।
सभी लोग परस्पर एक दूसरे को अपना परिचय दे रहे थे और बातचीत कर रहे थे तभी जीके के छोटे पुत्र ने जीके से कहा "पापा आपने हमें कभी विनय अंकल के बारे में नहीं बताया कि वह आपके इतने घनिष्ठ मित्र हैं" यह सुनकर जीके को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था । तभी विनय ने बीच में बात काटते हुए जीके के पुत्र से कहा कि आप हमारी मित्रता के बारे में जानना चाहते हो। सभी बच्चों ने विनय को चारों ओर से घेर लिया और अपने बारे में बताने का अनुरोध करने लगे विनय ने जीके की अनुमति से सुनाना शुरू किया ...
यह उन दिनों की बात है जब विनय नवी कक्षा का छात्र था और पारकर कॉलेज के हॉस्टल में रहता था रोज की तरह सुबह तैयार होकर वह कॉलेज गया और कॉलेज के उपरांत जब वापस हॉस्टल में आया तो देखा की एक तगड़ा सा लड़का विनय की चारपाई पर बैठा हुआ है। दो व्यक्ति भी उस लड़के के साथ मौजूद थे ,उन्होंने विनय से पूछा कि "आप बिलारी रहते हो" तो विनय ने तुरंत हामी भर दी , उन्होंने बताया कि यह लड़का उनका छोटा भाई है , जिसका नाम जीके हैं और यह अब तुम्हारे साथ हॉस्टल में रहेगा । जीके भी तब नवी कक्षा में थे , वह जीके का विनय से पहला परिचय था । भाइयों के जाने के पश्चात जीके और विनय परस्पर काफी देर तक बातें करते रहे , हॉस्टल में जीके और विनय को एक ही कमरा एलॉट हुआ तथा उनकी अलमारी भी एक थी । कुछ समय में ही जीके और विनय बहुत ही घनिष्ट मित्र हो गए अब चाहे सुबह उठना हो नाश्ता करना हो पढ़ाई करनी हो या कॉलेज जाना हो ,दोनों संग संग ही जाते थे । क्योंकि जीके का गांव बिलारी के नजदीक था लिहाजा बिलारी से मुरादाबाद व मुरादाबाद से बिलारी आना जाना संग संग होता था ।आपसी सौहार्द के बीच जीके और विनय ने नवी कक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली जीके के माता पिता व विनय के माता पिता दोनों की परीक्षा फल से काफी संतुष्ट थे ।नवी कक्षा के बाद अब दसवीं कक्षा में जीके और विनय पर बोर्ड परीक्षाओं का काफी दबाव था जीके के भाई ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा में कॉलेज टॉप किया था , लिहाजा जीके पर भी अच्छे नम्बर लाने के लिए काफी दबाव था। जीके समय-समय पर अपने भाई से बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने हेतु टिप्स ले लिया करते थे । जीके और विनय दोनों ने जल्द ही अपना हाईस्कूल का पूरा सिलेबस कर लिया था और बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए थे । उन दिनों प्री बोर्ड का चलन नहीं था लिहाजा छमाही परीक्षा ही प्री बोर्ड की तरह होती थी छमाई परीक्षाओं में पूरा कोर्स आता था विनय और जीके दोनों अपनी अपने क्लास टीचर से मिलने गए और उनसे पूछा की इस अर्धवार्षिक परीक्षा का क्या महत्व है , तब उनके क्लास टीचर ने कहा कि यह परीक्षा सिर्फ प्रैक्टिस के लिए है , इसके नंबर कहीं नहीं जुड़ेंगे शायद इसका रिजल्ट भी ना आए । अब जीके और विनय दोनों क्लास टीचर से बात कर हॉस्टल आ गए और यह सोचने लगे कि अर्धवार्षिक परीक्षा दे या ना दे पहले तो दोनों में यह विचार करा की चलो परीक्षा देने में क्या हर्ज है और इस प्रकार पहला पेपर दे दिया । परंतु पहला पेपर देने के बाद दोनों ने सोचा इस प्रकार तो काफी समय नष्ट हो जाएगा , हम परीक्षा ना दे करके घर पर ही तैयारी करें तो ज्यादा बेहतर होगा । हॉस्टल के वॉर्डन स्कूल के टीचर आदि जितने भी शुभचिंतक थे , उन लोगों ने विनय और जीके को को बहुत समझाया कि यह परीक्षा तुम्हारे फायदे के लिए ही है ,लेकिन विनय और जीके मानने को तैयार नहीं थे । उनका तर्क था कि हम घर पर ज्यादा बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं इस प्रकार विनय और जीके ने अगला पेपर छोड़ दिया ।
अब विनय और जीके ने सोचा की घर जाकर तो तैयारी करनी है तो पहले आज चलो पिक्चर देख लेते हैं , और दोनों पिक्चर देखने चले गए । अगले दिन विनय और जीके बिलारी आ गए वहां से जीके अपने गांव चले गए घर पहुंचकर विनय ने अपनी माता जी को सारी बात बताई कि वह अर्धवार्षिक परीक्षा नहीं दे रहे हैं और घर पर रहकर ही बोर्ड एग्जाम की तैयारी करेंगे विनय की बात सुनकर विनय की माताजी चुप रही और कुछ ना बोली जब दोपहर को विनय के पिता जी घर आए तो उन्होंने विनय के द्वारा कही गई सारी बात उन्हे बताई ,अभी यह बात चल ही रही थी कि किसी ने दरवाजा खटखटाया और विनय ने दरवाजा खोल कर देखा जीके व उसके दोनों बड़े भाई विनय के घर आए हुए थे । अब तो विनय के पिताजी व जीके के दोनों भाइयों ने मिलकर विनय और जीके दोनों की बहुत डांट लगाई और उन्हें तुरंत वापस जाकर अर्धवार्षिक परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा अभी तो घर में विनय और जीके ने पिक्चर वाली बात नहीं बताई थी , वरना क्या होता कहना मुश्किल था । घरवालों के हुक्म के मुताबिक विनय और जीके दोनों वापस हॉस्टल आ गए और अगले दिन की अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी करने लगे सुबह जब क्लास टीचर , वार्डन आदि लोगों ने विनय और जीके को देखा तो वह मन ही मन मुस्कुराए और उन्हें समझते देर न लगी के कान कहां से उमेठे गए हैं । कुछ दिन तक तो विनय और जीके को बड़ा असहज लगा लेकिन बाद में जीवन चर्या आराम से बीतने लगी । जल्द ही अर्धवार्षिक परीक्षा का परिणाम भी आ गया विनय व जीके के सभी विषयों में नंबर अच्छे थे सिवाय उन दो पेपरों के जिनमें वह अनुपस्थित रहे थे । इसके पश्चात विनय व जीके दोनों अपने-अपने घर आ गए और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने लगे । धीरे-धीरे बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आ रही थी और आखिर वह दिन भी आ गया जब बोर्ड की परीक्षाएं विनय और जीके को देनी थी । बोर्ड की सभी परीक्षाएं विनय और जीके की बहुत अच्छी हुई , परीक्षाओं के पश्चात विनय और जीके दोनों अपने-अपने घर आ गए और बोर्ड की परीक्षा का परिणाम का इंतजार करने लगे । उस समय इंटरनेट नहीं हुआ करता था इसलिए अखबारों में ही परीक्षा का परिणाम आया करता था । विनय प्रथम श्रेणी में बोर्ड की परीक्षाओं में पास हुआ , जिसकी सूचना विनय के ताऊ जी स्वयं लेकर चंदौसी से आए विनय को जीके के परिणाम की भी चिंता थी । उसने अपने व्यक्तिगत सूत्रों से पता लगवाया की जीके का परीक्षा परिणाम क्या रहा तो पता चला कि जीके भी प्रथम श्रेणी में पास हुआ है । 8 दिनों बाद जीके और विनय दोनों अपनी मार्कशीट लेने कॉलेज साथ-साथ आए मार्कशीट आ चुकी थी। विनय और जीके दोनों मार्कशीट लेने तुरंत अपने क्लास टीचर के पास पहुंचे तो पता चला कि विनय के 65% व जीके के 75% नंबर आए थे ,यह देख कर विनय का फ्यूज उड़ गया और वह सोचने लगा कि जीके ने और उसने तैयारी तो साथ साथ की है लेकिन नंबरों में इतना फर्क कैसे 8 या 10 नंबर ज्यादा होते तो बात अलग थी ,मगर विनय ने जीके से उस समय कोई बात नहीं की और दोनों चुपचाप वापस बिलारी आ गए ।
घर पर सब बहुत खुश थे , विनय और जीके के माता पिता उनकी परफॉर्मेंस से अत्यंत प्रसन्न थे । परंतु विनय के मन में यह सवाल बार-बार खाए जा रहा था की जीके के नंबर इतने अधिक कैसे आए ,इसी दौरान जीके के यहां एक प्रोग्राम का निमंत्रण विनय के घर आया और जीके ने विनय से जरूर आने का वादा लिया, विनय जीके के घर प्रोग्राम से पूर्व भी पहुंच गया, वहा उनके माता-पिता का आशीर्वाद लिया, जीके का घर गांव में बड़ा आलीशान बना हुआ था । जीके अपने घर की छत पर विनय को ले गया वहां जीके और विनय दोनों चुपचाप बैठे रहे , जीके विनय की प्रश्न सूचक दृष्टि भाप गया था और उसने विनय से पूछा कि तुम मेरे इतने अच्छे नंबरों से प्रसन्न नहीं हो , विनय ने जीके से कहा ऐसी कोई बात नहीं । जीके ने विनय से कहा मैं तुम्हारा मित्र हूं अगर कोई बात है तो मुझसे बेहिचक पूछो तब विनय ने जीके के ऊपर प्रश्नों की बौछार कर दी , जिसक सार यह था की जब वह दोनों साथ-साथ पढ़े साथ साथ घूमे और साथ साथ ही तैयारी करी तो दोनों के नंबरों में इतना फर्क कैसे । जीके यह सुन थोड़ी देर शांत रहे फिर उन्होंने बताया कि वह सिलेबस में प्रयुक्त गणित व साइंस की किताबों के अतिरिक्त अन्य किताबों से भी पढ़ाई किया करते थे । जिससे कि अच्छे नंबर आ सकें । विनय को जीके की यह बात सुनकर बहुत गुस्सा आया और विनय ने जीके से कहा कि यह बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी कि तुम अन्य लेखकों की किताबें भी पढ़ते हो । जीके ने तुरंत अपनी गलती स्वीकारी व भविष्य में कभी इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा ना करने की कसम ली काफी देर आपसी बहस के बाद दोनों इस नतीजे पर पहुंचे की 11वीं कक्षा में एक जैसे विषय होने पर प्रतिस्पर्धा तो होगी और मित्रता बचानी मुश्किल हो जाएगी, अतः 11वीं में विनय और जीके ने अलग अलग विषयों का चयन किया इस प्रकार दोनों अपने-अपने विषयों में अपनी-अपनी तैयारी करते थे ।इस प्रकार दोनों ने 12वीं में गुड सेकंड डिवीजन से पास की विनय तत्पश्चात चंदौसी व जीके आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए । विनय और जीके का संपर्क काफी टाइम तक बना रहा परंतु अब की बार 10 वर्षों के पश्चात मुलाकात हुई यह कहकर विनय शांत हुआ और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी बच्चों विनय और जीके की कहानी सुनकर खुश हुए । इसके पश्चात जीके ने विनय से विदा ली और जल्दी आने का वायदा किया।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
तिलक अस्पताल
बिलारी जिला मुरादाबाद
@9410416986
@7906933255
Vivekahuja288@gmail.com

( मिञता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें )

मेरी मैडम अच्छी मैडम, Meri madam achi madam

 

बाल कविता :


"मेरी मैडम अच्छी मैडम"

मेरी मैडम अच्छी मैडम , चश्मे वाली प्यारी प्यारी ।
खेल खेल में हमें पढाती , खूब सिखाती बाते सारी ।

समय से आना समय से जाना ,वो तो है एक दोस्त हमारी।
नहीं है लड़ना मिल कर पढना ,वो सिखलाती बाते न्यारी ।

गलती पर वो डाट पिलाती, उठक बैठक करवाती सारी।
फिर टाफी देकर हमें मनाती , बाते करती प्यारी प्यारी ।


पढ़ लिखकर हम खूब बढेंगे, रह जाएगी ये बातें सारी।
बचपन के दिन याद रहेगे , मिट न पायेगी ये यादें हमारी ।

मेरी मैडम अच्छी मैडम...........

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Monday, 26 July 2021

प्रायश्चित | prayshchit


कहानी  : 


                           "प्रायश्चित"

                                 

EPISODE  : 2


असल में रैगिंग भी हॉस्टल में कई चरणों में होती थी , शुरू में तो सिर्फ परिचय आदि के साथ मजाक होता था । परंतु धीरे-धीरे यह काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती थी । इसी कारण से बच्चे हॉस्टल में आने से डरते थे ,लेकिन पढ़ाई तो करनी ही थी और हॉस्टल में होने वाले बच्चे इस दौर से गुजरते ही थे । यह हॉस्टल के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी । विनय ने सभी बच्चों को एकत्र किया और दीपू की रैगिंग आज से शुरू करने का प्लान बनाया गया ।  रात्रि 8:00 बजे भोजन आदि करने के पश्चात सभी सीनियर्स ने दीपू को अपने कमरे में बुला लिया । रैगिंग के प्रथम चरण में राजकुमार की ड्यूटी लगाई गई  ,कि वह दीपू को बहुत डरावनी कहानी  सुनाएगा । हॉस्टल  के बारे में बताएगा कि यहां भूत रहते हैं और यह हॉस्टल कब्रिस्तान में बना हुआ है आदि ।दीपू ने कमरे में प्रवेश किया और राजकुमार दीपू के करीब आकर बैठ गया पहले दीपू से उसके परिवार के विषय में पूछा गया । उसके बाद विनय भी वहीं आ गया और राजकुमार से कोई किस्सा सुनाने की जिद करने लगा । राजकुमार ने कहना शुरू किया की जिस कमरे में दीपू रहता है और उस अलमारी में जिसमें दीपू का सामान रखा है ,अब से करीब 5 वर्ष पूर्व एक लड़का रहता था  , उसका नाम संतोष था । एक दिन अचानक वह अपनी चारपाई पर मृत पाया गया और उसकी आत्मा आज भी हॉस्टल में घूमती रहती है । वह अपनी अलमारी  बार-बार खोल कर देखता भी है और चारपाई को भी उठा लेता है यह सुन दीपू के रोंगटे खड़े हो गए । तभी वॉर्डन साहब रात्रि की ड्यूटी पर राउंड लगाने आ गए ,  वार्डन  साहब को देख सभी बच्चे भाग कर अपने अपने कमरों में चले गए । 

दीपू अंदर ही अंदर बहुत डर गया था,  पूरी रात उसे नींद नहीं आई और सोच रहा था कि कहीं संतोष की आत्मा उसके पास ना आ जाये ।अगली सुबह कॉलेज जाते वक्त और वहां से वापसी पर दीपू ने हॉस्टल के कई बच्चों से इस बारे में पूछा की यह बात सच है ,तो सभी ने हामी भर दी क्योंकि विनय ने सब को पहले से ही धमका कर रखा हुआ था । विनय ने सभी से कह रखा था , कि दीपू को कोई सच नहीं बताएगा और दीपू की रैगिंग पूरे सप्ताह भर चलेगी ।  संतोष की आत्मा की बात सुन दीपू बुरी तरह घबरा गया था । कुछ दिनों तक विनय अपने मित्रों द्वारा दीपू को इसी तरह रात्रि में अपने कमरे में बुलाकर डरावनी कहानियां सुनाकर परेशान करता रहा , दीपू ने खाना-पीना तक छोड़ दिया था ।एक  दिन तो विनय ने दीपू से कहा कि यह हॉस्टल कब्रिस्तान में बना हुआ है और बहुत सी आत्माएं यहां पर घूमती ही रहते हैं कभी-कभी तो वह किसी बच्चे के अंदर भी प्रवेश कर जाती हैं । दीपू और भी परेशान हो गया लेकिन नया होने की वजह से वह अपने दिल का हाल किसी से कह भी नहीं सकता था ,अतः वह मानसिक रूप से बहुत परेशान रहने लगा । शनिवार का दिन था  शाम को सब स्वतंत्र होते थे कोई स्टडी टाइम नहीं था , शाम से रात तक सब बच्चे फ्री होकर एक दूसरे के कमरे में आया जाया करते थे । विनय ने अपने सब मित्रों को बुलाया और दीपू के रैगिंग का आज अंतिम चरण था और उस को तगड़ा झटका देने का फैसला किया गया । उन्होंने प्लान बनाया कि रात्रि 12:00 बजे के बाद जब सब बच्चे सो जाएंगे तब हम सब मिलकर दीपू की चारपाई को उठाकर फील्ड के बीच में रख देंगे । रात्रि जब दीपू गहरी नींद में सो गया तो विनय ने अपने साथियों के साथ मिलकर दीपू की चारपाई को उठा मैदान के बीच में रख दिया और राजकुमार ने एक भयानक सा मुखौटा लगाए उसकी चारपाई की एक तरफ बैठ गया । दीपू को जब थोड़ी हलचल महसूस हुई तो उसकी आंख खुल गई अपनी चारपाई मैदान में देख दीपू की चीख निकल गई जैसे ही उसने अपने समीप बैठे मुखोटे युक्त राजकुमार को देखा तो वह डर के मारे बेहोश हो गया।


क्रमश : 


(स्वरचित)


विवेक आहूजा

Saturday, 24 July 2021

प्रायश्चित | prayshchit


 

#कहानी  : 


                           "प्रायश्चित"

 

EPISODE : 1


आज हॉस्टल का पहला दिन था और बच्चे धीरे-धीरे अपनी गर्मियों की छुट्टी खत्म कर वापस हॉस्टल में आ रहे थे । #कक्षाएं भी आरंभ होने वाली थी अमूमन कॉलेज की कक्षा शुरू होने से दो-तीन दिन पहले ही हॉस्टल में बच्चे आने शुरू हो जाते हैं , पुराने बच्चे जो पहले से हॉस्टल में रह रहे होते हैं ,उन्हें तो सब कुछ पहले से पता होता है ।  परंतु जो बच्चे नए आते हैं उन्हें हॉस्टल के तौर तरीके सीखने में कुछ वक्त लग जाता है फ्रांसिस कॉलेज जो शहर का जाना माना इंटर #कॉलेज है के सामने बॉयज होम के नाम से मिशनरी का हॉस्टल बना हुआ है ।  यह हॉस्टल आजादी के पूर्व से ही मिशनरी द्वारा संचालित है इसे मिशनरी के लोग ही चलाते हैं । रूल रेगुलेशन यहां के बहुत  सुव्यवस्थित रुप से संचालित होने के कारण प्रतिवर्ष यहां आने वाले बच्चों की लाइन लगी रहती है । मिशनरी का होने के कारण कोई सिफारिश भी यहां काम नहीं आती अपनी पढ़ाई के आधार पर ही बच्चे यहां पर प्रवेश पाते हैं ।गर्मी की छुट्टियों के बाद धीरे धीरे बच्चे हॉस्टल में आने लगे और वार्डन द्वारा एडमिशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अपने सामान को हॉस्टल में सेट करने लगे 

 हॉस्टल में करीब 15 /16 कमरे और तीन बड़े-बड़े हॉल हैं । कमरों में 6 बच्चों के रहने की व्यवस्था है प्रत्येक कमरे में 6 अलमारी व छः चारपाई होती है , बड़े हॉल में 12 से 15 बच्चों के रहने की व्यवस्था है इसमें करीब 15 अलमारी है वह 15 ही चारपाई होती हैं । लेट्रिन बाथरूम के लिए एक अलग से बिल्डिंग बनी हुई है ,जोकि कॉमन है । पुराने बच्चे जो पहले से कई वर्षों से हॉस्टल में रह रहे हैं उन्हें अच्छी तरह से पता है की हॉस्टल में जल्दी आने का अर्थ बढ़िया कमरे में प्रवेश होता है । हॉस्टल में सीनियर और जूनियर विंग अलग-अलग है । छोटे बच्चे (छठी से आठवीं तक) को बड़े हॉल में प्रवेश मिलता है । जबकि नवी से बारहवीं तक के बड़े बच्चों को कमरों में ठहराया जाता है । सारी प्रक्रिया वार्डन साहब के द्वारा की जाती है । इस तरह करीब डेढ़ सौ बच्चे हॉस्टल में हो जाते हैं ।सारे बच्चों के आने के पश्चात सीनियर हेड बॉय जोकि कक्षा 9 से कक्षा 12 के बीच व एक जूनियर हेड बॉय जो करीब कक्षा 6 से 8 के बीच का होता है, का चयन होता है । इसके अतिरिक्त खाने की व्यवस्था देखने के लिए एक किचन हेड बनाने की भी हॉस्टल में व्यवस्था होती है ,जो कक्षा 9 से कक्षा 12 के बीच का विद्यार्थी को ही चयनित किया जाता है । हॉस्टल का रूटीन इसी प्रकार चलता है । गर्मियों में सुबह 6:00 बजे वार्डन साहब और स्कूल के गेट पर एक घंटा गंगा रहता है, उसे बजा देते हैं । यह सुबह उठने का संकेत है और 7:00 बजे तक सभी विद्यार्थियों को स्कूल के लिए तैयार होकर कैंटीन पहुंचना होता है । वहां 7:00 से 8:00 के बीच सुबह का नाश्ता करके 8:00 बजे तक कॉलेज पहुंच जाते हैं । कॉलेज से 2:30 बजे छुट्टी के पश्चात वापस हॉस्टल आकर 3:00 से 4:00 के बीच में दोपहर के खाने का समय होता है । शाम 4:00 से 6:00 रेस्ट का टाइम है उसके पश्चात शाम को 6:00 से 8:00 के बीच में स्टडी रूम में पढ़ाई का नियम निर्धारित है , 8:00 बजे रात्रि भोजन के पश्चात बच्चे अपने कमरों में आ जाते हैं । इस प्रकार हॉस्टल की व्यवस्था पूरे वर्ष चलती है । सर्दियों में भी करीब-करीब इसी तरह का नियम रहता है । 

 विनय जोकि दसवीं कक्षा में अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हुआ था, 11वीं में प्रवेश के लिए हॉस्टल में जल्दी आ गया वह करीब तीन-चार वर्षों से हॉस्टल में रह रहा था ,अतः हॉस्टल की सारी व्यवस्था उसे अच्छे से पता थी । अब वह हॉस्टल के सीनियर छात्र है , और उसकी गिनती सीनियर छात्रों में होती है । ग्यारहवीं में बायो ग्रुप लेकर वह डॉक्टरी के पेशे में जाना चाहता है , अतः स्कूल पहुंचकर उसने अपने अध्यापकों से बायो में प्रवेश संबंधी सारी प्रक्रिया की जानकारी ली  , बायो ग्रुप में #एडमिशन के पश्चात वह निश्चिंत हो हॉस्टल आ गया । अभी हॉस्टल खुले दो या तीन  दिन ही हुए थे हॉस्टल में कम ही बच्चे आए थे,  धीरे-धीरे साथ 8 दिन बीतने पर हॉस्टल फुल हो गया ।  छोटी-बड़ी सभी कक्षाओं के बच्चे हॉस्टल में आ चुके थे विनय क्योंकि सीनियर विंग में था उसे इस वर्ष सीनियर हेडब्वॉय बना दिया गया , हॉस्टल में उसका रुतबा था,  छोटी कक्षाओं के बच्चे उसे सुबह गुड मॉर्निंग और रात्रि गुड नाइट करना नहीं भूलते ,क्योंकि उस समय नए-नए बच्चे जो हॉस्टल में प्रवेश करते थे उनकी रैगिंग भी जमकर होती थी । हॉस्टल प्रशासन भी एक दायरे में रहकर नए बच्चों से हंसी मजाक की इजाजत दे देता था ।

 कॉलेज में हॉस्टल के बच्चों का रुतबा था अगर कोई बाहर का बच्चा हॉस्टल के बच्चे से झगड़ा कर ले , तो सभी हॉस्टल के #विद्यार्थी एकत्र होकर बाहर वाले बच्चे की धुनाई कर देते थे । यही कारण था कि बाहर के बच्चे हॉस्टल के बच्चों से दूर दूर ही रहा करते थे । 

एक दिन हॉस्टल में मैनेजर साहब और वार्डन साहब एक बच्चे को लेकर आए और उसका परिचय कराते हुए बोले "बच्चों यह #दीपू है और इसने कक्षा आठ में प्रवेश लिया है अब से यह तुम्हारे साथ हॉस्टल में ही रहेगा"  यह कहकर मैनेजर साहब दीपू को हॉस्टल में छोड़ कर चले गए । दीपू एक बहुत ही शर्मीला बच्चा था । पहली बार अपने घर से बाहर हॉस्टल में रहने आया था ,उसके पिताजी पोस्ट ऑफिस में कार्य करते थे । वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था ।उसे बड़े हॉल में शिफ्ट कर दिया गया उसे एक अलमारी व एक चारपाई भी मिल गई । दीपू ने अपना सामान अलमारी में लगा लिया वह चारपाई पर बिस्तर बिछा कर सेट कर दिया । सीनियर बच्चों की विंग में विनय को जब पता चला कि आज एक नया लड़का हॉस्टल में आया है तो सभी सीनियर बच्चों को एकत्र कर दीपू की #रैगिंग का प्लान बनाया गया । 


क्रमश : 


(स्वरचित)


विवेक आहूजा 

बिलारी 

जिला मुरादाबाद 

@9410416986

Vivekahuja288@gmail.com


( अगला भाग कल )

Saturday, 17 July 2021

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Sunday, 27 June 2021

पिता, Father,पिता का साया

 "पिता"

धूप में झुलस कर , नंगे पाँव रहकर ।

भूखे पेट सोकर , हालातों से लड़कर ।
जो हार न मानें, वो होता है पिता ।।

जीवन भर कमा कर , पैसो को बचाकर ।
हसरतो को मारकर , बच्चों की खुशी पर ।
जो पल में खर्च कर दे , वो होता है पिता ।।

आँसू को छुपा कर , नकली हसी दिखा कर ।
घर मे मौजूद रह कर , परिवार में सब कुछ सहकर ।
जो सब न्यौछावर कर दे , वो होता है पिता ।।

यदि किसी औलाद पर , पिता का साया नहीं ।
चाहे पा ले वो , दुनिया में सब कुछ ।
पर असलियत में , उसने कुछ पाया नहीं ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986




Thursday, 10 June 2021

कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार

 "पारिवारिक व सामाजिक ढांचा ध्वस्त कर रही कोरोना की दूसरी लहर" 


सुदेश (मोबाइल पर ) : बेटा कृपाल बोल रहा है.....
कृपाल : हां माँ , बोल रहा हूं ....क्या बात है ?
सुदेश : बेटा .....हम बर्बाद हो गए , तेरे पिताजी हमें
छोड़ कर चले गए , उन्हें करोना हो गया
था.... तू जल्दी से घर आ... यहां सब
कुछ कैसे होगा .......
कृपाल : ओह ! पिताजी यह कैसे हो गया मेरा तो
सब कुछ लुट गया......
सुदेश : बेटा तू जल्दी से घर आ मैं बिल्कुल अकेली
पड़ गई हूं ....
कृपाल : पर माँ ..... यहां तो पूरे शहर में लॉकडाउन
लगा हुआ है और सब जगह कोरोना फैला
है , पुलिस बाहर भी नहीं निकलने दे रही है
लोग मर रहे हैं , मैं अपने परिवार को किस
के भरोसे छोड़ कर आऊ , मैं मजबूर हूं तू
किसी तरह वहां देख ले ..... मैं बाद में आ
जाऊंगा ....
(और सुदेश फोन रख देती है )

यह तो एक छोटी सा घटनाक्रम था इसी तरह के सैकड़ों घटनाक्रम इस कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिल रहे हैं । ऐसा आए दिन जगह-जगह देखने में आ रहा है कि कोरोना से वृद्ध माँ या बाप की मृत्यु होने पर उसके बाहर कार्यरत पुत्र या पुत्री इस दौरान उनकी अंत्येष्टि तक में शामिल नहीं हो पा रहे है । ऐसा नहीं है कि वह आना नहीं चाहते बल्कि लॉकडाउन की पाबंदियां , एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश संबंधी कड़े नियम लोगों को अपनी पारिवारिक परंपराओं का निर्वहन करने से रोक रहे है ।
वहीं दूसरी ओर परिवार के अतिरिक्तकोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार  मचा हुआ है व सामाजिक ढांचा भी धवसत होता नजर आ रहा है , क्योंकि इस महामारी के दौर में जब किसी व्यक्ति की कोरोना की वजह से मौत होती है तो आस पड़ोस के लोग भी उसकी अंत्येष्टि में नहीं जा पाते क्योंकि एक तरफ तो सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन जिसमें 15 से 20 व्यक्तियों से अधिक शामिल होने पर पाबंदी है और दूसरी ओर लोगों को इस महामारी की चपेट में आने का डर महसूस होता है । पिछले वर्ष सन 2020 में जब इस महामारी की शुरुआत हुई थी तो हालात इतने खराब नहीं थे , लोग एक दूसरे से संपर्क बनाए हुए थे परंतु कोरोना की इस दूसरी लहर ने जब से शहर शहर , गांव गांव मैं अपना रौद्र रूप धारण किया है व इसके प्रभाव से लोग मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं । इसे देखते हुए लोगों में एक अनजाना सा डर बना हुआ है कि कहीं हम भी इस महामारी की चपेट में ना आ जाए । 
यही सब बातें इस महामारी की दूसरी लहर के दौर में पारिवारिक व सामाजिक ढांचा ध्वस्त कर रही हैं और लोगों में तन की दूरी के साथ-साथ मन की दूरियों को भी बड़ा रहीं है ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
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लाकडाउन से मिली 5 सीख

 आलेख : 


"लाकॅडाउन की सीख"

इस कोरोना कॉल में पूरे विश्व में एक भयंकर संकट आया हुआ है । प्रत्येक देश , व्यक्ति ,समुदाय , इस संकट से जूझ रहा है, लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं । सरकार ,स्वास्थ्य विभाग ,डब्ल्यूएचओ आदि संगठन ने इस महामारी से बचने के लिए समय-समय पर बहुत सी गाइडलाइन जारी की है, व लॉकडाउन भी लगाए हैं । वर्तमान भारत में इस प्रकार का संकट पहली बार देखने को मिला है और जनता सरकार की गाइडलाइंस का भरपूर सहयोग कर रही है । लॉकडाउन में लोग काफी दिनों से घरों में बंद है और इस महामारी की विदाई का इंतजार कर रहे हैं । लॉक डाउन का समय भारत में कई लोगों के लिए पीड़ादायक रहा है क्योंकि इस दौरान लोगों ने अपनी नौकरी गवा दी , व्यापारी वर्ग के कारोबार खात्मे की ओर है । परंतु इस लाकडाउन से हमें काफी कुछ सीखने को मिला है । आज हम इसी विषय पर क्रमवार तरीके से चर्चा करेंगे की लॉकडाउन के इस कठिन समय में हमने क्या सीखा ....
1- कोरोना की इस दूसरी लहर में इसने अपना रौद्र रूप धारण किया हुआ है, काफी लोगों ने अपनी जान गवाई है ऐसे समय में अस्पतालों में भर्ती प्रक्रिया ऑक्सीजन की8 कमी आदि की समस्याएं देखने को मिली है । इस दौरान देश ने यह महसूस किया है की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में अभी काफी सुधार की आवश्यकता है । भारत की आबादी के अनुसार आज भी एमबीबीएस डॉक्टरों की काफी कमी है और सरकार को यह चाहिए के आने वाले समय में एमबीबीएस डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाएं व अस्पतालों में जो कमियां हैं उन्हें तुरंत दूर करें ताकि कोई इस तरह की महामारी आये तो हम उसका डटकर मुकाबला कर सके ।
2- इस लॉकडाउन में यह बात भी सिद्ध हो गई है कि आपसी रिश्तो को बहुत बड़ी संख्या में एकत्र होकर सहजने से अच्छा है , कि कम से कम लोगों के बीच घरेलू आयोजन किए जाएं , इससे एक तो फिजूलखर्ची बचती है और आपसी सद्भाव को भी मजबूती मिलती है ।पहले लोग शादी बरातों में सैकड़ों हजारों लोगों को निमंत्रण देकर अपने रसूख का प्रदर्शन करते थे परंतु अब 20 लोगों के बीच ही यह आयोजन हो पा रहे हैं, इस सब में लोगों के द्वारा की जाने वाली फिजूलखर्ची पर ब्रेक लगा है ।
3- इस लॉकडाउन में लोगों को अच्छे से एहसास हो गया है कि दुनिया में स्वास्थ्य से बड़ी पूंजी कोई नहीं, क्योंकि ऐसा ना होता तो बड़े बड़े पूंजीपति भी इस बीमारी की चपेट में आकर मृत्यु को प्राप्त ना होते, जबकि जिन व्यक्तियों का स्वास्थ्य अच्छा रहा वह आसानी से इसकी चपेट में नहीं आ रहे हैं और यदि किसी कारणवश आ भी गए तो अपनी अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण इससे बाहर भी निकल पा रहे हैं ।
4- इस लॉकडाउन में लोगों ने घरों के अंदर रहकर अपने समय का सदुपयोग किया है और अपने अंदर की प्रतिभा को इंटरनेट के माध्यम से लर्निंग क्लासेस लेकर बाहर निकालने का प्रयास किया है । बहुत से लोगों ने कहानियां लिखी , कविताएं लिखी , कुछ लोगों ने यूट्यूब से गाना सीखा , कुछ ने डांस सीखा और कुछ लोगों में तो यूट्यूब के चैनल तक बना डाले इस प्रकार से यह समय अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने का बहुत सही समय साबित हुआ है ।
5- अंत में हम इस लोक डाउन की सबसे बड़ी सीख और सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही की परिवार से बढ़कर कुछ नहीं , जो लोग पूरे वर्ष कार्यों के सिलसिले में इधर-उधर घूमते रहते थे , अब उन्हें अपने परिवार के साथ रहने का मौका मिला है । इस कोरोना काल मे चाहे आपका कितना ही करीबी हो, उसने भी घर के बाहर ही आपका स्वागत किया है , और अंततः हमें घर पर ही शरण मिली है । बहुत से परिवारों में परिवारिक सदस्यों के आपसी मतभेद भी साथ साथ रहने के कारण इस दौरान काफी कम हुए हैं। इसलिए परिवार का महत्व लोगों की समझ में अच्छे से आ गया है , यह लॉकडाउन परिवार को मजबूती प्रदान करने वाला कारक बन कर आया है ।


( स्वरचित )

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
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Forest man of India,जादव पायेंग , जगंल मैन

 "जाधव पायेंग -फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया" 


जहां एक ओर पूरी दुनिया जंगलों को काट काट कर अपने घरों का फर्नीचर सजाने में लगी है वही आसाम के यादव पायेंग ने वह कारनामा कर दिखाया जिसे देख लोग दंग रह गए ।आसाम में जोराहट के नजदीक टापू अरुणा सबोरी में पूरे 13 सौ एकड़ में एक विशाल जंगल फैला है जोकि पूरा का पूरा जादव पाऐंग द्वारा बसाया गया है ,जी हां यह बिल्कुल सत्य है । इसी कारण भारत सरकार ने उन्हें पदम श्री व कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया है ।
जादव पायेंग के संघर्ष की कहानी शुरू होती है सन 1979 से , जब वह मात्र 15 वर्ष के थे उस समय ब्रह्मपुत्र नदी में भयंकर बाढ़ आई थी और आसपास का सभी इलाका नष्ट हो गया था । जादव पायेंग ने देखा कि बहुत से सर्प चारों और मरे पड़े हैं , उसने अपने बुजुर्गों से पूछा इतने सारे सर्प कैसे मरे हुए हैं , तो उन्होंने बताया कि यहां कोई पेड़ पौधा ना होने के कारण जीव जंतु मर रहे हैं । जादव पाऐंग ने तभी फैसला कर लिया कि जिस प्रकार लोगों ने अपना घर बसाने के लिए जानवरों के घर उजाड़े हैं वह जानवरों का घर बसाने के लिए जंगल तैयार करेंगे ।
इसी सोच के साथ वह वन विभाग के दफ्तर गए और वहां उन्होंने अपनी मंशा जाहिर की , लेकिन वन विभाग ने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे रेतीली जमीन पर कुछ भी उगाने में असमर्थता जाहिर कर दी । उन्होंने यादव को बताया कि ब्रह्मपुत्र के नजदीक रेतीली जमीन पर कुछ भी उगना संभव नहीं है , क्योंकि यह बिल्कुल बंजर जमीन है , लेकिन अगर तुम चाहो तो यहां बांस के पेड़ लगा सकते हैं । जादव पाऐंग ने इतना सुनने के बाद भी हार नहीं मानी और जोरहट के नजदीक अरुणा सबूरी टापू पर बांस के पेड़ लगाने शुरू कर दिए । धीरे-धीरे एक से दो , दो से चार से आठ करते-करते 40 वर्षों का समय बीत गया और जादव पायेंग के भागीरथ प्रयास से 13 सौ एकड़ का जंगल तैयार हो गया ।
इतने सारे पेड़ों को पानी लगाना भी एक प्रमुख समस्या थी , जिस की तरकीब जादव ने यह निकाली कि प्रत्येक पेड़ पर बांस की तख्ती बनाकर उस पर मिट्टी का घड़ा सुराख़ कर लटका दिया , जिसमें से बूंद बूंद पानी पेड़ों को मिलता रहा , इस प्रकार हफ्तों तक पेड़ों को पानी लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी ।
पैरों में चप्पल , बिल्कुल सादा जीवन व्यतीत करने वाले जादव पायेंग को भारत सरकार द्वारा सन् 2015 में पदम श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया । इसके अतिरिक्त राष्टपति डॉ अब्दुल कलाम द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई । एक गाय का पालन कर अपना गुजारा चलाने वाले जादव साधारण जीवन जीने वाले असाधारण शख्सियत हैं । आज उनके द्वारा विकसित जंगल में 80% पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं , राइनो , हाथी , बंगाल टाइगर और इसी तरह के बहुत से जी वहां मौजूद है ।
अंततः जादव पायेंग अपने मकसद में कामयाब हुए , लेकिन इस कामयाबी को हासिल करने में जादव पाऐंग को 40 वर्षों का काफी लंबा वक्त लग गया । ऐसी शख्सियत समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो समाज को पर्यावरण के प्रति प्रेम जागृत करने के लिए प्रेरित करते
हैं ।


(स्वरचित)


विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
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Friday, 2 April 2021

Bachpan ki yaden

 कविता : 


"तू सबसे प्यारा है मुझको"
(1)
बचपन के दिन याद है मुझको ,
याद नहीं अब , कुछ भी तुझको ।
तेरा मेरा वो स्कूल को जाना ,
इंटरवल में टिक्की खाना ,
भूल गया है ,सब कुछ तुझको ।
कैसे तुझको याद दिलाऊ ,
स्कूल में जाकर तुझे दिखाऊ ,
याद आ जाए ,शायद तुझको ।
(2)
भूला नहीं हूं सब याद है मुझको ,
मैं तो यूं ही ,परख रहा तुझको ।
तेरा मेरा वो याराना ,
स्कूल को जाना पतंग उड़ाना ,
कैसे भूल सकता हूं , मैं तुझको ।
याद है तेरी सारी यादें ,
बचपन के वो कसमे वादे ,
आज मुझे कुछ , बताना है तुझको ।
"तू सबसे प्यारा है मुझको"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
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बधाई

 "आज तुमको हूँ भेज रहा एक अनुपम उपहार 

प्रीति-जय तुम प्रेम से इसे करो स्वीकार"

"बधाई पञ"

"गृह लक्ष्मी" का आगमन , "प्रीति-जय" परिवार
कन्या आपके जीवन में , हो जैसे त्यौहार

दादी "लीला" कर रही , मन में यही विचार
पोती का सुख मिल गया , ईश्वर का आभार

भाई "समर्थ" भी रोज रोज, उछले सौ सौ बार
सार्थक अब तो हो गया , राखी का त्यौहार

बुआ "रश्मि" का मन भी , अब डोले बारंबार
एक सहेली मिल गई , अपने ही परिवार

बड़े दादा "तिलक" भी दे रहे , बधाई अपरंपार
"आहूजा-परिवार" में आज है , खुशियों का त्यौहार

"सूरज""काका" रमन""मनोज""विवेक" को भी , है यह इंतजार
ताऊ बनने के उपलक्ष में , अब दावत होगी "शानदार"

"बधाई"

✍विवेक आहूजा


डा. तिलक राज आहूजा-शकुन्तला आहूजा
विवेक आहूजा-डा.सोनिया आहूजा
अदिति-पार्थ की ओर से "अरनिका" की प्रथम वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनायें ।



Hindi poem , भारतीय नारी, नारी, भारत ,India

 "मै हूँ भारत की नार"


मै हूँ भारत की नार, लड़ने मरने को तैयार ।
स्वाभिमान को डिगा न सका , दम है अपरंपार ।
मै हूँ भारत की नार ........
घर हो , रण हो ,या हो खेल प्रकार ।
निश्चय गर एक बार मै कर लू , रोक न सके कोई प्रहार ।
मै हूँ भारत की नार.......


✍विवेक आहूजा





Weight loss story

 कहानी :


"रेट वेट और क्वालिटी"

सुधा आज पहली बार दिल्ली अपनी छोटी बहन सुमन के घर आई थी । घर पर आते ही सुधा ने सुमन की क्लास लगानी शुरू कर दी , जैसे यह समान कहां से लाती है घर खर्च कैसे करती हो फिजूलखर्ची तो नहीं करती हो ।सीधी साधी सुमन अपनी बड़ी बहन सुधा से काफी छोटी थी और उसकी शादी को अभी 3 वर्ष ही हुए थे । सुमन, सुधा की सारी बातों को बड़े गौर से सुन रही थी व बराबर उनके सवालों के जवाब दे रही थी । बातों बातों में सामान की खरीदारी का जिक्र चल पड़ा , सुधा ने सुमन से पूछा तू घर पर किराने और सब्जी कहां से लाती है , तो सुमन ने कहा दीदी मैं यही अपार्टमेंट के नीचे मार्केट से सामान ले लेती हूँ । सुधा ने पूछा जरा बता आलू कितने रुपए किलो है और प्याज कितने रुपए किलो तो सुमन ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया यहां आलू ₹50 किलो और प्याज ₹100 किलो है । सुधा ने रेट सुनते ही सर पकड़ लिया और बोली हे राम ! हमारे यहां तो आलू ₹30 और प्याज ₹60 किलो है । इतनी महंगाई ......डांटते हुए सुधा ने सुमन से कहा ....तुझे कुछ नहीं आता कल मैं सामान लेने खुद जाऊंगी , फिर देखती हूं कैसे महंगा मिलता
है ........
अगले दिन सुधा थैला उठाकर खुद ही सुमन के घर के लिए सामान लेने चली गई , सुधा ने अपार्टमेंट के नीचे मार्केट से सामान ना लेकर पास की एक छोटी सी बस्ती में वहां से सामान खरीदा , तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि सारा सामान उसके गांव के रेट के बराबर ही मिल रहा था । उसने फटाफट सामान खरीदा और तुरंत घर आकर सुमन से शेखी मारते हुए बोली..... "देखो बहना .....मैं शहर में भी गांव के बराबर रेट पर समान ले आई हूं" सुमन को भी बड़ा आश्चर्य हुआ , कुछ देर पश्चात जब सुमन ने अपने घरेलू बाट से सभी सब्जियों का तोल करा तो पता चला सभी सामान 250 से 300 ग्राम प्रति किलो कम है यह देख सुधा भी काफी शर्मिंदा हुई कि बस्ती के दुकानदार ने उसे ठग लिया है और उसे पूरा माल नहीं दिया ।
सुधा व सुमन आपस में समान की खरीदारी को लेकर चर्चा करने लगी कि अपार्टमेंट के नीचे बाजार में सामान का वेट और क्वालिटी तो बहुत अच्छी है परंतु रेट बहुत ज्यादा और बस्ती में रेट और क्वालिटी तो अच्छा है परंतु वेट में गड़बड़ी है । अब यदि किसी व्यक्ति को रेट , वेट और क्वालिटी तीनों ही सही चाहिए तो कहां जाए काफी जद्दोजहद के बाद दोनों ने यह फैसला किया की बड़ी मंडी में शायद यह तीनों चीजें ठीक से मिल जाए । यही सोच के साथ अगले दिन सुधा और सुमन दोनों बड़ी मंडी पहुंच गई और वहां पहुंच कर उन्होंने सभी चीजों के रेट ट्राई करें तो उन्हें यह देख बड़ी प्रसन्नता हुई कि यहां पर रेट , वेट और क्वालिटी तीनों ही शानदार है यह सोच सुमन ने थैला निकाला और दुकानदार को देते हुए बोली....... सारी सब्जी 1/ 1 किलो दे दो सुमन की बात सुनकर दुकानदार उनका मुंह देखने लगा और बोला "बहन जी क्यों मजाक करती हो , यहां आपको रेट ,वेट ,क्वालिटी तीनों तभी मिलेंगे जब आप सभी समान 5/ 5 किलो खरीदोगे"
यह सुन सुधा और सुमन दुकानदार पर बिगड़ गई । आसपास के दुकानदार भी वहां इकट्ठा हो गए , उन्होंने सुमन और सुधा को समझाया कि यहां आपको अच्छा सामान कम कीमत पर तभी मिलेगा जब आप कवॅन्टिटी में खरीदेंगे । यह सुन दोनों ने कान पकड़े और वापस अपने अपार्टमेंट आ गई , सुमन को अच्छे से समझ आ चुका था कि रेट , वेट और क्वालिटी तीनो आपको तभी मिल सकते हैं जब आप क्वांटिटी में सामान लेते हैं ।? यही सोचते सोचते वह अपार्टमेंट के नीचे दुकान से सामान लेने चली गई ।

( मासूम उपभोक्ताओं को समर्पित )

स्वरचित

विवेक आहूजा
बिलारी 

Online classes results article

 


"ऑनलाइन क्लास का परिणाम देखने का समय है मार्च माह"

पूरे करोना काल में कक्षा एक से कक्षा 8 तक करीब करीब पूरे वर्ष ही विद्यार्थियों ने ऑनलाइन माध्यम से ही विद्या अर्जित की है । जबकि कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों ने भी कुछ समय तक ऑनलाइन पढ़ाई की , परंतु बाद में उनकी ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हो चुकी है । स्कूल प्रशासन ने पूरे करोना काल में ऑनलाइन क्लासेस को बहुत ही सुव्यवस्थित तौर पर अंजाम दिया है , परिणाम स्वरूप बच्चों का पूरे वर्ष पढ़ाई से जुड़ाव बना रहा । बच्चों के माता-पिता भी ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से हुई बच्चों की पढ़ाई से काफी संतुष्ट प्रतीत हो रहे हैं । यदि हम यह कहें तो गलत ना होगा की कोरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन क्लासेस एक उपलब्धि के रूप में सामने आया है । बड़े-बड़े सेंटर्स से दूर स्थित गांव देहात में रहने वाले लोगों को इसका विशेष लाभ हुआ है । ऑनलाइन क्लासेज द्वारा पूरे वर्ष ग्रहण की गई शिक्षा बच्चों के लिए अभूतपूर्व रही है ।
परंतु अब शिक्षा सत्र 2020-21 के अंत में सालाना परीक्षा के समय इसकी असल गुणवत्ता की जांच का समय आ गया है । बच्चों द्वारा ग्रहण की गई ऑनलाइन क्लासेस में उन्होंने कितना ग्रहण किया है , यह तो सालाना परीक्षा के परिणाम ही तय करेंगे तथा इसी आधार पर उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा । मार्च माह विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का समय होता है और शिक्षा सत्र 2020-21 में विद्यार्थियों ने करीब करीब पूरे वर्ष ही ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण की है , उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से कितना सीखा , कितना उनके लिए कारगर साबित हुआ । यह तो सालाना परीक्षा का परिणाम ही बताएगा ।
चाहे कुछ भी हो , ऑनलाइन माध्यम शिक्षा के क्षेत्र में किसी क्रांति से कम नहीं है । ऐसा नहीं है कि अब से पहले इसका उपयोग नहीं हो रहा था , परंतु करोना काल में ऑनलाइन क्लास की उपयोगिता लोगों की समझ में आई और इसका उपयोग विस्तृत क्षेत्रों में हुआ है । आने वाले समय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए इसे एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा

बचपन की यादें

 विधा : कविता 

शीर्षक : "बचपन"

बचपन के दिन भूल ना जाना ,
रस्ते में वो चूरन खाना ,
छतों पे चढ़कर पतंग उड़ाना ,
रूठे यारों को वह मनाना ,बचपन के दिन भूल ना जाना । 

अपना था वो शाही जमाना ,
सिनेमा हॉल को भग जाना ,
दोस्तों की मंडली बनाना ,बचपन के दिन भूल न जाना । 

खेलने जाने का वो बहाना ,
पढ़ने से जी को चुराना ,
मास्टर जी से वो मार खाना, बचपन के दिन भूल ना जाना 

हाथ में होते थे चार आना , ।
फितरत होती थी सेठाना ,
मुश्किल है ये याद भुलाना, बचपन के दिन भूल ना
जाना ।।



(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
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संदेश

 कहानी : 

"संदेश"

यूरोप में भरतवंशियों का प्रोग्राम चल रहा था , यूरोपियन देशों के भारतवंशियों के अध्यक्ष मिस्टर कुमार स्टेज पर आए और उन्होंने भरतवंशियों द्वारा पूरे विश्व में भारत का परचम लहराने की बात दोहराई और कहा भरतवंशी पूरी दुनिया में छाए हुए हैं, उन्होंने खूब तरक्की करी है पैसा और नाम कमाया है । अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा हम लोग भी देश भक्त हैं , हम भी अपने देश भारत की सेवा करना चाहते हैं , मदद करना चाहते हैं और हर मुश्किल में उसका साथ देना चाहते हैं , मगर कैसे करे ? प्रोग्राम में बैठे सभी भरतवंशी जोकि यूरोप में निवास करते थे उनकी हां में हां मिला रहे थे । प्रोग्राम में मिस्टर विनय भी थे, जो कि भारत में एक प्राइमरी स्कूल के टीचर थे , उन्हे बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था । अपनी बात को समाप्त कर मिस्टर कुमार अपनी सीट पर आकर बैठ गए । अंत में मुख्य अतिथि मिस्टर विनय को अपनी बात रखने का मंच पर आमंत्रण दिया गया ।
मिस्टर विनय ने कहना शुरू किया .....मुझे अच्छा लगा कि आप सब भारत के बारे में इतना सोचते हैं , आपने विदेशों में आकर खूब तरक्की की पैसा कमाया , नाम कमाया , इसमें कोई शक नहीं यह तो भारत के लिए गर्व की बात है । विनय ने आगे कहा जब भी विदेशों में संकट आता है या आएगा इस बात का थोड़ी बहुत संभावना जरूर रहेगी कि आपको वापस अपने वतन भारत भेज दिया जाए । लेकिन आप निश्चिंत रहें प्रत्येक भारतीय आपका खुले दिल से स्वागत करेगा , लेकिन आपका भी अपने देश के प्रति कुछ कर्तव्य बनता है , जिसे आप को पूर्ण करना चाहिए । अपनी बात को विस्तार से बताते हुए विनय बोले मैं मि. कुमार की बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि यदि आप भारत की मदद करना चाहते हैं तो कैसे करें । मैं आपको कुछ सुझाव देता हूं अगर आपको अच्छा लगे तो इस पर अमल करें .......
1- उदाहरणार्थ आपको अपने घर के लिए कुछ सामान खरीदना है तो ऑनलाइन खरीदें और भारतीय कंपनी की वेबसाइट के माध्यम से खरीदे .....
2 - किताबों की खरीदारी करनी हो यह किसी साहित्य की खरीदारी करनी हो तो ऐमेज़ॉन की किंडल वेबसाइट या अन्य किसी वेबसाइट के माध्यम से भारतीय लेखकों की किताबों को खरीदें .....
3 - अगर आपको डोनेशन देना है तो ऑनलाइन किसी और अधिकारिक भारतीय संस्था को दें .....
4 - अगर आपको कहीं यात्रा करनी है तो इंडियन टूरिस्ट कंपनी के माध्यम से अपना टिकट बुक करवाएं .....
यह सब बातें कह कर मिस्टर विनय ने अपनी वाणी को विराम दिया , विनय की बात सुन यूरोपीय भारतवंशी एक दूसरे की बगले झांकने लगे । मिस्टर विनय भारतवंशियों को अपना संदेश दे चुके थे और वह तेज कदमताल के साथ अपनी सीट की ओर बढ़ने लगे ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
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Holi article

 आलेख : 


"कोरोना के साए में होली"

कोरोना का जब से विश्व में आगमन हुआ है , प्रत्येक देश इससे त्रस्त है । डब्ल्यूएचओ व विश्व के कई देशों ने मिलकर पूरे वर्ष दिन रात एक कर के इसकी वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है । भारत में भी कोविशिल्ड व कोवैक्सीन अस्पतालों में लोगों को लगाई जा रही है । जैसे-जैसे वैक्सीनेशन की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है लोगों में वैक्सीन के प्रति जागरूकता भी देखने को मिल रही है , व बड़ी तादाद में लोग वैक्सीनेशन हेतु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं ।
कुछ दिनों से भारत में कोरोना के केस में अचानक से बढ़ोतरी ने सरकार को पेशो पेश में डाल दिया है । भारत के कुछ राज्य जैसे महाराष्ट्र , पंजाब , केरल , मध्य प्रदेश में कोरोना घटने का नाम नहीं ले रहा है । सरकार ने कुछ राज्यों में तो रात्रि लॉकडाउन भी लगाया है , जो की चिंता का विषय है ।
जब से भारत सरकार ने कोरोना की वैक्सीन लगानी शुरू की है । अचानक से लोगों में इस बीमारी के प्रति लापरवाही देखने को मिल रही है , जैसे सड़कों पर बिना मास्क लगाए लोग घूम रहे हैं । सरकारी व प्राइवेट वाहनों में उचित दूरी का प्रयोग नहीं के बराबर है । बाजारों में लोग बगैर किसी जरूरत के भी सैर कर रहे हैं , यही सब कारण है जो कि कोरोना के केसों में बढ़ोतरी को बुलावा दे रहे हैं।
होली नजदीक ही है और होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है , इसमें आपसी भेदभाव को मिटाकर लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं , रंग लगाते हैं और एक दूसरे पर पानी की बौछार करते हैं । गुजिया , कचौड़ी दही बड़ा इस त्योहार के पारंपरिक व्यंजन है । परंतु इस वर्ष हम लोगों को यह सब बड़े एहतियात से करना होगा ताकि महामारी दोबारा से कोई विकराल रूप धारण न कर ले । होली मिलन समारोह में उचित दूरी का प्रयोग व होली खेलते समय ली गई सावधानियां हमें करोना को बढ़ने से रोकने में मददगार होंगी व इस वर्ष की होली सावधानियों के साथ मनाई जाने वाली होली के रूप में सदा याद रखी जाएगी ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
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होली गीत

 "होली - 2021"

मन में उमंग है , दोस्तों का संग है
बाजारो मे रंग है , होली का हुडदंग है
पर जेब थोड़ी तंग है......
गुजिया का वो स्वाद , मुझे अब भी है याद
पर अबकी बार , हालात थोडे बदरंग है
कयोंकि जेब थोड़ी तंग है ......
जेब पर जो भारी है , वो एक महामारी है
अजब दुश्वारी है , परेशान उससे दुनिया सारी है
इस बार उसने उडा दिये सबके रंग है .....

(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
vivekahuja288@gmail.com
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Hindi holi गीत

 "होली का हुडदंग है"


घोट दी भंग है , मन में उमंग है
दोस्तों का संग है , हाथो मे रंग है
होली का हुडदंग है ।
ठंडाई वो याद है , गुजिया का स्वाद है
मन फिर आज , बिन डोर की पतंग है
होली का हुडदंग है ।
पुराने दिन याद है , त्यौहार का नहीं स्वाद है
इस वर्ष की होली , कोरोना ने की बदरंग है
होली का हुडदंग है ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
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तिलक अस्पताल , बिलारी की ओर से होली की हार्दिक शुभकामनायें ।
डा. तिलक राज आहूजा
विवेक आहूजा
डा. सोनिया आहूजा 

Holi

 आओ मनाए प्रेम से , खुशियों का त्यौहार ।

हरा ,गुलाबी, नीला, पीला रंग है अपरंपार ।
गुजिया , पुरी और कचौरी सब बनकर तैयार ।
आओ मिलकर खेलें हम होली का त्यौहार ।।

✍ विवेक आहूजा 

Saturday, 20 February 2021

वैक्सीन,vaccination, vaccine

 "वैक्सीन बनाना ही नहीं ,लगाना भी चुनौतीपूर्ण" 

भारतवर्ष में 16 जनवरी 2021 को कोरोना की वैक्सीन लॉन्च हो रही है , सरकार द्वारा स्वदेशी कंपनियों की वैक्सीन को ही प्राथमिकता दी गई है । दो कंपनियों की वैक्सीन लांच की गई है और चार कंपनियां लाइन में है । प्रथम चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को टीकाकरण होना है जो कि स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा इस टीकाकरण में करीब 26 करोड़ 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग , एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मी ,2 करोड़ सफाई कर्मी एवं एक करोड़ कोरोना योद्धा व पुलिस आदि शामिल है, को स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीका लगाया जाना है । कोरोना की आपदा की शुरुआत में जहां भारत में N95 मास्क की भी किल्लत थी, आज भारतवर्ष में स्वदेशी कंपनी की वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है । यही नहीं स्वदेशी कंपनियों को विदेशों से भी अपार आर्डर मिल रहा है , जो कि भारत के विश्व गुरु बनने का संकेत दे रहे हैं । वहीं चीन जैसे देश की वैक्सीन को दुनिया ने नकार दिया है , यही नहीं चीन के मित्र देशों ने भी उससे वैक्सीन लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई है ।
अब सवाल यह है कि भारत जैसे विशाल देश में जिसकी आबादी 140 करोड़ के करीब है मैं इतना बड़ा टीकाकरण को स्वास्थ्य विभाग द्वारा किस प्रकार से अंजाम दिया जाता है ।आबादी अधिक होने के कारण बच्चों के अलग-अलग प्रकार के टीकाकरण , वृद्धजनों की अन्य बीमारियां जैसे हृदय रोग शुगर लीवर की समस्या आदि के इलाज को प्रभावित किए बिना , इतने बड़े टीकाकरण को अंजाम देना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक कठिन चुनौती होगा । देखने वाली बात यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस टीकाकरण को अंजाम देने के लिए प्राइवेट चिकित्सक , मेडिकल छात्र पैरामेडिकल स्टाफ आदि की मदद लेता है कि नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा । लेकिन हमारी शुभकामनाएं पूर्ण रूप से स्वास्थ्य विभाग के साथ हैं और हम सभी का कर्तव्य बनता है कि इस इस कठिन कार्य में स्वास्थ्य विभाग की, जिस स्तर पर भी मदद संभव हो हमें करनी चाहिए ।
"शुभ टीकाकरण"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद 

दुनिया

 दुनिया दारी निभाने के , लोगों के अंदाज जुदा जुदा है ।

मानो तो वही पत्थर है , मानो तो वही खुदा है ।।

जरूरी तो नहीं , हर गीत को गाया जाये ।
समझने वाले , दिल का तराना भी समझ लेते है ।।

(क्षमा सहित)

✍विवेक आहूजा

दिल शायरी, चाहत

 जब दिल ना मिले तो , मुंह पर ताला लगा लो 

जुबां के तीर चलाने से फायदा क्या है ।
मुमकिन है कि , कल दिल मिल भी जाए
बेफिजूल दरार बढ़ाने से फायदा क्या है ।।

✍विवेक आहूजा 

तिरंगा , भारत का ध्वज , तिरंगा झुकने ना देंगे


 तिरंगे का ये अपमान , नहीं सहेगा हिन्दुस्तान 

उपद्रवियों के हुडदंग से , जनता हो रही परेशान
नेताओ की चाल से , अन्नदाता अनजान
देश का मान रख न सका , वो कैसा किसान
26 जनवरी है , देश का गौरवशाली पर्व
दुख हैं इस बात का , नहीं तुम्हे इस पर गर्व


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद



सर्द हवाएँ

 "सर्द हवाएँ"


ए सर्द हवाओं , यूं ना सताओ
गरीब की मुश्किल , तुम ना बढ़ाओ

गरीब की जान पर , बन आती हो तुम
कुछ तो रहम करो , उसकी जान तुम बचाओ

किसी के लिए , शौक का परवाना हो तुम
आशियाना जिनका नहीं , उनके लिए कितना मुश्किल आना हो तुम

जरा धीरे चलो , थोड़ा रहम करो
बहुत हो चुका , अब चली भी जाओ
"सर्द हवाओं"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

शौहरत शायरी, शौहरत अर्थ , शौहरत


"शौहरत"  ( मुक्तक )

इंसान पर जब कुछ नहीं होता है ,
वह सारे जहां में रोता है ।
मिल जाती जब "शौहरत" उसे ,
अपना वो आपा खोता है ।
कुदरत का निजाम समझ ओ बंदे ,
"शौहरत" तमाशा पल का होता है ।
गुरुर टिका नहीं किसी का इस जहां में ,
काटता फसल वही बीज जो वो बोता है ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Poem प्राकृति , शायरी, प्रकृति कविता

 प्रकृति के क्रोध से , बच के रहना आप 

सोच समझकर कीजिए ,छोटा-छोटा पाप
धरती तक है कांप रही , देख प्रकृति का रूप
वन तो तुमने काट दिए , बिगाड़ दिया स्वरूप
महादेव के हाथ है , मझधार में अटकी नाव
हमको बस है चाहिए , उनकी कृपा और शीतल छाँव

✍विवेक आहूजा 

जिंदगी , जिदंगी क्या है, zindgi



जिंदगी जीने का नाम है ,

सुख और दुःख इसके इनाम है ,

गिरो, उठो और उठ कर बढो ,
यही इसका पैगाम है ,
दुखो पर जो जीत पा जाए ,
उसे सौ सौ सलाम है ।।

"जिंदगी जीने का नाम है"

✍विवेक आहूजा 

हिन्दुस्तान

 "हिन्दुस्तान" 


सारे जहाँ से झुक न सके , वो हिन्दुस्तान हमारा है
हमको अपनी जान से प्यारा , अपना ये भारत न्यारा है
कशमीर से कन्याकुमारी तक , इसका झन्डा लहराता है
देश का दुश्मन , यहाँ आने का सोच कर भी घबराता है
सारे विश्व में भारतवर्ष का , हरदम परचम लहराता है
हम सब है यहाँ भाई भाई , बच्चा बच्चा गाता है
जल सेना हो या थल सेना , भारत के रखवाले है
चारों दिशाओं के प्रहरी , वायुसेना के मतवाले हैं
जब जब दुश्मन ने , हमको ऑख दिखाई है
तब तब हमारे वीरों ने , उनको धूल चटाई है
"भारत माता की जय"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Likhe jo khat

 "खत

मैंने उसे खत लिखा , यह सोच कर कि जवाब आएगा ।
मुझ बदनसीब के हिस्से में भी , शायद थोड़ा शबाब आएगा ।
उसने फाड़ कर फेंक दिया , मेरे खत को ।
सोचा ना था , नतीजा इतना खराब आएगा ।
अब हिम्मत नहीं , किसी को भी खत लिखने की मेरी ।
क्या पता जवाब , खराब या लाजवाब आएगा ।।
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Thursday, 14 January 2021

Neet exam,नीट परीक्षा

 नीट की परीक्षा में सफल होना है तो 11वीं से ही लगना होगा : 

नेशनल टेस्ट एजेंसी द्वारा प्रतिवर्ष ऑल इंडिया स्तर पर

 एमबीबीएस / बीडीएस में चयन हेतु नीट की परीक्षा का आयोजन किया जाता है , जो कि देश की काफी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है । इस परीक्षा में करीब पंद्रह लाख विद्यार्थी प्रतिवर्ष बैठते हैं , एमबीबीएस / बीडीएस की सरकारी सीट प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी कड़ी मेहनत करते हैं । आज इसी विषय पर मैं आपसे कुछ बातें साझा करना चाहता हूं । नीट की परीक्षा में फिजिक्स , केमिस्ट्री , जूलॉजी व बॉटनी का पेपर होता है जो 12वीं के सिलेबस के अनुसार लिया जाता है । पिछले कुछ वर्षों से देखने को मिला है की नीट में चयन साल दर साल मुश्किल होता जा रहा है, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस करोड़ों में पहुंच गई है ,जो आम आदमी के बस से बाहर की बात है । जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नीट परीक्षा के माध्यम से होता है जो इतना कठिन है की परीक्षा में बैठने वाले कुल परीक्षार्थियों में से 3 से 4% बच्चे ही उसमें बमुश्किल प्रवेश कर पाते हैं । नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को 11वीं कक्षा से ही अपनी पढ़ाई के स्तर में काफी सुधार लाना होगा ,जिसकी आज हम क्रमवार चर्चा करेंगे .......
1 - मेडिकल प्रवेश परीक्षा से पूर्व , विद्यार्थी 11वीं कक्षा से ही कोचिंग लेना शुरू कर देते हैं ऐसा नहीं है कि बगैर कोचिंग के किसी का सिलेक्शन नहीं होता मगर प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश के लिए कोचिंग सेंटर के माध्यम से परीक्षाओं के पैटर्न का पता चलता है , जिसे जानना किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत जरूरी है । कुछ मेधावी छात्र बगैर किसी कोचिंग के भी सफल हुए हैं , परंतु उनकी संख्या बहुत कम है ।
2 - मेडिकल प्रवेश की कोचिंग दो तरह की होती है पहली रेगुलर क्लास जिसने सप्ताह में 4 या 5 दिन स्कूल के समय के बाद विद्यार्थी कोचिंग करते हैं , दूसरी वीकेंड क्लास जो सप्ताह में 2 दिन शनिवार इतवार को होती है जो सुबह से शाम तक चलती है । अब यह चयन विद्यार्थियों को स्वयं करना होता है कि उसे किस प्रकार की कोचिंग करनी है क्योंकि यह कोचिंग काफी महंगी होती है । अतः कुछ कोचिंग सेंटर इसमें स्कॉलरशिप भी देते हैं जिसमें स्कॉलरशिप के एग्जाम के बाद में कुछ प्रतिशत के हिसाब से मेघावी छात्रों को फीस में रियायत मिल जाती है ।
3 - कोचिंग संस्थान का चयन : विद्यार्थियों को सबसे पहले दसवीं में उत्तीर्ण होने के पश्चात यह तय करना होता है कि वह किस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करना चाहता है । यह बहुत आवश्यक कदम है , क्योंकि कोचिंग सेंटर का चयन उसकी गुणवत्ता के आधार पर होना चाहिए इसके लिए छात्र पहले उस सेंटर जिसमें वह कोचिंग करना चाहता है का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर चेक करें , हालांकि किसी भी परीक्षा में चयन छात्र की अपनी मेहनत पर निर्भर करता है । परंतु कोचिंग सेंटर्स का छात्र की मेहनत को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण रोल होता है , अत: जिस सेंटर पर प्रतिवर्ष नीट परीक्षा का चयन का प्रतिशत अधिक हो , वही सेंटर विद्यार्थियों को चुनना चाहिए । इसके पश्चात विद्यार्थियों को यह तय करना है कि वह रेगुलर क्लासेस में कोचिंग करेगा या वीकेंड क्लासेस में ,यह छात्र की अपनी समझ व सुविधा पर निर्भर करता है ।
4 - डमी ऐडमिशन : पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए जब विद्यार्थी 11वीं में कोचिंग करते हैं तो वह डमी एडमिशन की प्रक्रिया को अपनाने लगे हैं । इस प्रक्रिया में विद्यार्थी एक प्रकार से 11वीं व 12वीं कक्षा प्राइवेट फॉर्म भर कर देते हैं और पूरी तरह से नीट की परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं तथा बीच-बीच में डमी एडमिशन वाले स्कूल में अर्ध वार्षिक व फाइनल के एग्जाम दे देते हैं । इस प्रक्रिया को अपनाकर भी कई विद्यार्थियों ने नीट की अच्छी तैयारी कर सफलता पाई है । डमी ऐडमिशन पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलिंग की प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत छात्र स्कूल सिस्टम से पूरी तरह कट जाता है । यह अब उस पर निर्भर करता है कि वह इस प्रक्रिया को अपनाकर नीट की कोचिंग में व्यस्त होना चाहता है या स्कूल के साथ-साथ वीकेंड या रेगुलर क्लास लेकर साथ साथ कोचिंग करना चाहता है ताकि समय समय पर स्कूल में होने वाले टेस्ट में वह अपने द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच कर सके । मेरे अपने हिसाब से वीकेंड क्लास छात्र के लिए बेहतर विकल्प है जो कि स्कूल की शिक्षा के साथ-साथ हो इससे छात्र पर पढ़ाई का अतिरिक्त भार नहीं पड़ता और इसके द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच स्कूल में ली गई समय-समय पर परीक्षा से होती रहती है और वह अपनी स्थिति को बेहतर समझ सकता है ।
अंत में बस मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि सभी छात्रों की परिवारिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती कि वह महंगी महंगी कोचिंग कर सकें । छात्रों को स्वयं से ही इतनी मेहनत कर खुद ही सक्षम होकर इस तरह की परीक्षा को पास करना चाहिए । इसके अलावा सरकार से भी यह विनम्र निवेदन है कि वह आर्थिक रूप से दुर्बल मेघावी छात्रों के लिए , यदि उन्हें कोचिंग की आवश्यकता पड़े तो वह इसकी कुछ व्यवस्था करें ताकि भारत का भविष्य चमकदार बन सके ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

होलीडे ,HOLIDAY

 बाल कथा

"हॉलीडे"

EPISODE : 1

सुनील और विनय कि आज हाई स्कूल की परीक्षा का अंतिम दिन था , परीक्षा के पश्चात सभी सहपाठी एक दूसरे से गले मिलकर बधाई दे रहे थे । सुनील गांव का रहने वाला युवक था , अतः विनय से बोला "अब हमारी मुलाकात तीन-चार माह के पश्चात ही होगी , क्योंकि मुझे अपने परिवार के पास गांव जाना है, उनसे मिले भी काफी समय हो गया हैं" विनय ने सुनील से कहा "कुछ दिन शहर में रुक जाते तो हम लोग साथ-साथ घूम सकते थे" लेकिन सुनील ने अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए विनय से विदा ली । सुनील में विनय को गांव आने का आमंत्रण भी दिया विनय ने कहा "मैं तुम्हारे पास इन गर्मियों की छुट्टी में अवश्य मिलने आऊंगा"
हाई स्कूल की परीक्षा को करीब एक माह बीत चुका था और रिजल्ट आने में अभी 15 दिन का समय बाकी था । विनय का अपने दोस्तों के बिना शहर में मन नहीं लग रहा था , विनय ने अपने दोस्त सुनील से बात करने की सोची और उसे फोन मिला दिया फोन पर बात कर सुनील भी बहुत प्रसन्न हुआ और विनय से गांव आने की जिद करने लगा । विनय ने थोड़ा संकोच के साथ माता-पिता की इजाजत के बाद ही गांव आने का वादा किया । अपने माता-पिता से गांव जाने की इजाजत मिलने पर विनय गांव की ओर रवाना हो गया , सुनील बेसब्री से गांव के बस अड्डे पर ही विनय का इंतजार कर रहा था, बस के गांव में प्रवेश करते ही विनय के शरीर में अजीब सा रोमांच पैदा हो गया क्योंकि आज से पहले वह किसी गांव में नहीं गया था । बस अड्डे पर सुनील ने बड़ी गर्मजोशी के साथ विनय का स्वागत किया , उसके साथ गांव के मित्र व उसके माता-पिता भी थे । विनय अपना इस तरह का स्वागत देख बहुत ही भावुक हो गया और सुनील को अपने गले से लगा लिया व बोला "मैंने ठीक ही सुना था , गांव के लोग बहुत साफ मन वाले व दिलदार होते हैं" एक दिन आराम करने के पश्चात अगली सुबह सुनील , विनय को अपने खेत आदि दिखाने ले गया और खेती-बाड़ी के सारे तौर तरीके उसे समझाएं , इसके अलावा वे अपने गांव के प्रधान जी से भी विनय की मुलाकात करवाने विनय को ले गया । जिज्ञासु स्वभाव के कारण विनय प्रधान जी से गांव की सारी कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास करता रहा कि गांव में किस प्रकार से सरकारी कार्य को अंजाम दिया जाता है । ग्राम प्रधान जी बड़े प्यार से विनय को सब समझाते रहे, विनय उनसे मिलकर बहुत खुश हुआ, सारा दिन गाव में घुमने के पश्चात विनय व सुनील वापस सुनील के घर आ जाते हैं । विनय , सुनील से कहता है "यार तुम्हारा गांव तो बहुत ही छोटा है, हम एक दिन में ही पूरा गांव घूम लिए" सुनील पलटकर जवाब देता है, अभी तुमने हमारा गांव देखा ही कहां है , हमारे गांव के साथ हजारों बीघा का जंगल है , जिसमें सुंदर-सुंदर पेड़ पौधे हैं ,पहाड़ झरने हैं ,बहुत से प्राकृतिक दृश्य हैं यह सुन विनय की उत्सुकता बढ़ जाती है और वह सुनील के साथ अगली सुबह जंगल घूमने का प्रोग्राम फाइनल कर देता है ।
अगली सुबह उठकर विनय व सुनील दोनों जंगल की ओर घूमने के लिए तैयार होने लगे , जंगल का प्रोग्राम सुन घरवालों ने उन्हें समझाया कि बेटा जल्दी वापस आ जाना , जंगल में बहुत से जंगली जानवर है और वह बहुत घना भी है । दोनों जंगल में ज्यादा दूर ना जाने का वादा कर जंगल घुमने चले जाते हैं । घूमते घूमते विनय व सुनील दोनों को बहुत तेज भूख लगने लगी उन्होंने पेड़ों से कुछ फल तोड़े व खाने लगे , फल खाते ही पेड़ के पास उनकी आंख लग गई और वह गहरी नींद में सो गए , अचानक से आहट सुन विनय की आंख खुल गई , उसने सुनील को जगाया और कहा कि शायद कोई जंगली जानवर हमारे आस पास ही है , दोनों पेड़ के पीछे छुप गए और देखने लगे कि आखिर यह आहट किसकी है । वहां का नजारा देख दोनों के रोंगटे खड़े हो गए , सामने शेर था , शेर को देख दोनों को पसीना आ गया और उन्होंने अंधाधुंध भागना शुरू कर दिया, शेर भी उनके पीछे पीछे भाग रहा था ।
सुनील और विनय दोनों अलग-अलग दिशाओं में भागने लगे ,इत्तेफाक यह रहा कि सुनील तो शेर से बचकर अलग दिशा में निकल गया , लेकिन विनय के पीछे शेर लग गया । विनय बहुत तेजी से जंगल में इधर-उधर बचने के लिए भागने लगा , तभी अचानक से विनय का पैर फिसला और वह एक तालाब में जा गिरा । तलाब में गिरकर विनय तलाब की गहराइयों में चला गया काफी हाथ पैर मारने के पश्चात और काफी प्रयासों के बाद विनय तालाब के ऊपर आने में सफल रहा और जैसे ही विनय तालाब के ऊपर आता है , तो बाहर का नजारा देख उसे चक्कर आ जाता है । तालाब के बाहर आकर विनय को सब कुछ बदला-बदला सा नजर आता है , जैसे कि कहीं और किसी जगह में वह आ गया हूं ।

क्रमशः

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

बाल कथा :

"हॉलीडे"

EPISODE : 2

विनय समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसके साथ यह क्या हुआ और वह जंगल में इधर-उधर सुनील को आवाज देकर ढूंढने लगता है । लेकिन उसे बड़ा आश्चर्य होता है कि यह वह जंगल है ही नहीं जहां वह सुनील के साथ आया था , काफी खोजबीन के बाद जब उसे सुनील नहीं मिलता तो वह थक कर पेड़ के नीचे बैठ जाता है । तभी अचानक से कुछ आदिवासी लोग विनय को चारों ओर से घेर लेते हैं अपने आप को आदिवासियों के बीच घिरा देख बुरी तरह घबरा जाता है , परंतु ना तो वह उनकी भाषा समझ पा रहा था और ना ही आदिवासी उसकी भाषा को समझ पा रहे थे , आखिरकार आदिवासियों ने विनय को हिरासत में ले लिया ।
विनय को हिरासत में लिए आदिवासियों को दो-तीन दिन बीत चुके थे । विनय अब समझ गया था कि वह उस तालाब में डूब कर किसी दूसरी दुनिया में आ गया है , यह दुनिया बहुत पिछड़ी थी लोग केले के पत्तों को कपड़ों की जगह इस्तेमाल कर रहे थे , पैदल चलते थे कुल मिलाकर वह आज की दुनिया से काफी पीछे थे , दो-तीन दिनों में ही विनय उनके बीच उनकी टूटी फूटी भाषा समझ गया था और उसने उन आदिवासियों को उनकी टूटी फूटी भाषा में बात कर कर उनके राजा से मिलने की मांग की । अगली सुबह आदिवासियों का राजा विनय से मिलने कारागार आता है और उससे पूछता है कि वह कहां से आया है, तो विनय उसे सारा वृत्तांत बताता है कि कैसे वह पृथ्वी से अनजाने में इस ग्रह पर आ गया है । वह राजा को यह भी बताता है कि आदिवासियों के ग्रह पर ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनका वह उपयोग कर सकते हैं और अपने आप को काफी उन्नति की ओर ले जा सकते हैं ।
राजा विनय से मिलकर बहुत प्रभावित होता है और उसे इस शर्त पर हिरासत से आजाद करने को कहता है कि वह उसके ग्रह के आदिवासियों को नई-नई तकनीकों से रूबरू करवाएगा और उन्हें नई नई चीजें सिखाएगा ताकि वह भी पृथ्वी वासियों की तरह और तरक्की कर सकें , विनय राजा की बात मान लेता है और हिरासत से आजाद होकर आदिवासियों को नई-नई तकनीकी सिखाता है , जैसे कि पेड़ पौधों के बारे में कौन से पौधे खाने योग्य हैं व किस पेड़ के फल खाने योग्य हैं । हिंदी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान क्या होता है यह सारी बातें उनको समझाने की कोशिश करता है । कई दिनों तक आदिवासियों को तकनीकी ज्ञान देने के पश्चात विनय उनके राजा से पृथ्वी पर जाने की इजाजत मांगता है । लेकिन राजा उसे पृथ्वी पर जाने की इजाजत नहीं देता , क्योंकि वहां के लोगों का मानना था कि यदि हमने अपने को वापस पृथ्वी पर भेज दिया तो हमें नई नई तकनीकी कौन से सिखाएगा यह देख विनय बहुत परेशान हो जाता है और सोचने लगता है कि अब उसे पूरी जिंदगी इसी ग्रह पर बितानी पड़ेगी ।
एक दिन घूमते घूमते विनय उसी तालाब के पास पहुंच जाता है जहां से वह इस ग्रह पर आया था , विनय उस जगह को पहचान लेता है। विनय मन ही मन यह प्लान बनाता है कि वह किस प्रकार से इस ग्रह से पृथ्वी पर जाएगा । अपने इस प्लान के तहत वह राजा से मिलता है और उससे कहता है कि वह उसे तैरना सिखाएगा यह सुन राजा बहुत प्रसन्न होता है और उससे अगले दिन निर्धारित समय पर विनय राजा को उसी तालाब के पास ले जाता है व तैरने के बहाने उसमें छलांग लगा देता है ।
तभी विनय को एहसास होता है कि कोई उसे झकझोर रहा है और जोर जोर से कह रहा है "विनय बेटा..... उठो आज तुम्हें सुनील के साथ जंगल घूमने नहीं जाना है क्या ? और विनय की आंख खुल जाती है । वह अपनी आंखों को बार-बार मिलता है और मन ही मन सोचता है कि यह क्या था ? अभी तो मैं दूसरे ग्रह पर था और यहां कैसे आ गया ? फिर उसे ख्याल आता है , शायद मैं कोई सपना देख रहा था .......वाकई बहुत ही रोमांचक था यह सब..........

(समाप्त)

स्वरचित

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

सन 2020 , 2020 की घटनाएं

 "दशकों तक याद रहेगा सन 2020"


 सन 2020 अब विदा ले चुका है और अपने साथ बहुत से कटु अनुभव हमारे बीच छोड़ , जीवन का नया पाठ हमें पढ़ा कर प्रस्थान कर चुका है ।सन 2020 का अनुभव अन्य वर्षो के मुकाबले काफी अलग रहा जो कि दशकों तक लोगों के जेहन में बना रहेगा । आज हम सन 20 में घटी प्रमुख घटनाएं के विषय में क्रमवार चर्चा करेंगे ....

1 - सन 2020 यदि किसी बात के लिए जाना जाएगा , तो वह है "करोना महामारी" यह वर्ष पूरे विश्व भर में कोरोना के कारण लगभग बर्बादी हो गया । बच्चों की पढ़ाई हो , लोगों की नौकरी हो या देश की अर्थव्यवस्था कोरोना का प्रभाव सभी पर पड़ा है । कोरोना की शुरुआत साल के प्रारंभ से ही हो गई थी व मार्च में सरकार द्वारा महीनों का लॉकडाउन ने तो आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी हैं । बच्चों के स्कूल लोगों की नौकरी भी इससे प्रभावित हुई , हालांकि ऑनलाइन क्लासेस , वर्क फराम होम कार्यप्रणाली ने कुछ मरहम का कार्य जरूर किया । कोरोना के चलते लाखों व्यक्तियों ने अपनी जान गवाई जो कि देश के लिए अपूर्णीय क्षति है । यह वर्ष स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कोरोना मरीजो की सेवा के उल्लेखनीय योगदान के लिए भी जाना जाएगा । कोरोना वैक्सीन की सुखद खबर के साथ इस साल का अंत हो रहा है जो कि राहत भरा है ।
2 - राजनीतिक दृष्टिकोण से सन 2020 बिहार चुनाव : जिसमें नीतीश की वापसी , मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन , चीन विवाद व नेपाल विवाद जो कि समय रहते सरकार द्वारा सुलझा लिया गया , इस वर्ष की प्रमुख राजनीतिक घटनाएं रही । इसके अतिरिक्त प्रणव दा का निधन दुखद घटना रही ।
3 - फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह वर्ष काफी कष्टो भरा रहा है , एक और करोना के कारण सभी मॉल , मल्टीप्लेक्स , पिक्चर हॉल पूरे वर्ष से लगभग बंद है । जिसके कारण कोई बड़े बजट की फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है और दूसरी ओर इंडस्ट्री ने अपने कई अभिनेता व अन्य सहयोगियों को इस वर्ष खोया है इरफान खान, ऋषि कपूर , सुशांत सिंह राजपूत आदि इनमें प्रमुख है सुशांत की मृत्यु का विवाद तो करीब पूरे वर्ष ही टेलीविजन पर छाया रहा ।सन 2020 फिल्म इंडस्ट्री को काफीआर्थिक व वैयक्तिक घाटा देने वाला वर्ष साबित हुआ है ।
कुल मिलाकर सन 2020 पूरी दुनिया के लिए दशकों तक याद रखने वाला वर्ष रहा , जिसमें करोना महामारी के चलते विश्व में लगभग सभी तरह की गतिविधियां ठप रही । भारत में भी इसका असर देखने को मिला लॉकडाउन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा । वहीं दूसरी ओर लाकॅडाउन के दौरान प्रदूषण में कमी व निर्भया कांड के दोषियों को फांसी इस वर्ष की कुछ चुनिंदा राहत भरी खबरें रही हैं ।

अलविदा 2020 ........

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
@8923831037

"नव वर्ष (2021) की हार्दिक शुभकामनायें" 

नाटक

 नाटक : 

( इस नाटक में दर्शाया गया है कि कैसे एक युवक (विनय) अपने परिचय को छुपाते हुए बड़ी होशियारी से दफतर के मक्कार बाबू से अपना काम निकलवाता है )

शीर्षक : "दफतर का बाबू"

पाञ :

1 - मोहन
2 - बाबू
3 - विनय

*पर्दा उठता है *

(आवास विकास के दफ्तर के बाहर विनय अपने पिताजी जितेंद्र सिंह द्वारा जमा रजिस्ट्रेशन शुल्क की वापसी हेतु विधायक जी का सिफारशी पत्र लेकर खड़ा था ।)

मोहन : हुजूर नमस्कार ! मैं रजिस्ट्रेशन शुल्क
की वापसी के लिए आपसे मिलने आया हूँ , यह
सांसद महोदय ने आपके लिए पत्र भेजा है.........

बाबू : (पत्र पढ़कर उसे एक तरफ करीब-करीब
फेकते हुए) हां हां देख लेंगे .....

मोहन : हुजूर ! मैं फिर पैसे लेने कब आऊं .....

बाबू : अरे भाई ! अभी तो फाइल भी नहीं
निकली , फाइल निकलेगी उसके बाद
जांच होगी , तब चेक बनेगा तो आपको
खबर कर दी जाएगी ..........

मोहन : हुजूर ! वह सांसद महोदय की चिट्ठी भी
लाया था मैं .......

बाबू : मैंने पढ़ लिया भाई ! अब सारा काम छोड़ कर
थोड़े ही तुम्हारा चेक बना दूँगा , थोड़ा समय
तो लगेगा ही , आपको खबर कर दी जाएगी ,
अभी आप जाएं ........

बाबू : (विनय की ओर मुखातिब होते हुए ) आपका
क्या काम है श्रीमान ?

विनय : मुझे आपके अधिकारी से मिलना है "मुझे
शहर विधायक जी ने भेजा है" उनका
कमरा कहां है ? वो तो विधायक जी खुद आ
रहे थे , तभी मंत्री जी का फोन आ गया
और उन्होंने मुझे भेज दिया बात करने
के लिए ........

बाबू : अरे साहब ! बैठो तो सही , क्या बात है ? हमें
भी बता दो , अरे रामलाल दो चाय लाना ....

विनय : अरे भई ! यह कौन है जितेंद्र सिंह , इनका
तुम लोगों ने ₹10000 का रजिस्ट्रेशन
शुल्क रोका हुआ है , यह रोज-रोज विधायक
जी के पास आते हैं , आप सब की
बहुत शिकायत हो रही है ......

बाबू : कोई रजिस्ट्रेशन नंबर है ? जितेंद्र सिंह का , तो
दे ........ मैं अभी देखता हूं ......

विनय : ( पञ निकालते हुए) यह लो यह विधायक
जी ने दिया है , इसमें सब लिखा है .....

बाबू : आप चिंता ना करें , अभी फाइल निकालता
हूं , विधायक जी को मेरा प्रणाम कहिएगा
अरे रामलाल ....चाय का क्या हुआ ? और जरा
10 नंबर की फाइल निकाल देना.......

विनय : मुझे अभी विधायक जी ने वापस बुलाया
है , उन्हें बताना है कि जितेन्द्र सिंह के
मैटर का क्या हुआ ......?

बाबू : अरे साहब ! थोड़ा सब्र करो , अभी फाइल आती है
मैं आपको सब कुछ बताता हूं , आप चाय पियो ...

बाबू : (फाइल देखते हुए) जितेंद्र सिंह का चेक 7
दिनों के अंदर उसके घर पहुंच जाएगा,
"विधायक जी" को आने की आवश्यकता नहीं है
अरे ! और भी तो काम होंगे "विधायक जी" को

विनय : "धन्यवाद" तो फिर मैं चलता हूं , जैसा
आपने कहा है , मैं "विधायक जी" को बता
दूंगा, वह जितेंद्र सिंह से संपर्क करके
उन्हें बता देंगे.... .

( 7 दिन के पश्चात डाक द्वारा जितेन्द्र सिंह के नाम का चेक आवास विकास से प्राप्त हो गया , सरकार को दिया हुआ पैसा वापस पाकर घर में खुशी का माहौल था । )

( नाटक समाप्त )

*पर्दा गिरता है *

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

हिन्दी

 विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें : 


"हिंदी"

कभी होती थी देश में ,भाषा हिंदी प्रधान ।
धीरे-धीरे खो रही , अपनी यह पहचान ।
कदम कदम पर हो रहा ,अब इसका अपमान ।
जगह जगह हो गया , कम इसका सम्मान ।
डिजिटल युग में हो रहा , नहीं इसका उत्थान ।
आंग्ल भाषा सबको प्रिय , इसका कौन करे गुणगान ।।


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Copied

 पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें... 


पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था..

पुस्तक के बीच पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था..
,
कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था..

हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था..

माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी.. न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी.. सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे ।

एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं..

स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?

पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी ,"पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" ,
पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुवा..

हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था..

आज हम गिरते - सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं..

हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे..

कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे..

अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं..

हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए..

"एक बार फिर अपने बचपन के पन्नो को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे”...

( Copied )

लोहडी

 "परम्पराओं से जोड़ती हैं लोहड़ी"


वर्ष की शुरुआत में ही मनाया जाने वाला त्यौहार लोहड़ी , पूरे उत्तर भारत में पंजाबी एवं सिख समाज द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है । यह त्यौहार अब पूरे भारत में पंजाबी समाज व सिक्ख समाज द्वारा बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । लोहड़ी पर्व को समाज के प्रत्येक परिवार में बड़े हर्ष के साथ मनाने की परंपरा है । इसमें लोहड़ी वाले दिन रात्रि को लकड़ी जलाकर उसके चारों ओर लोहड़ी के गीत गाए जाते हैं , जिसमें गटक, रेवड़ी, मूंगफली अग्नि में डाली जाती है । पंजाब में दुल्ला भट्टी के गीत लोहड़ी पर गाने की परंपरा है, दुल्ला भट्टी जोकि मुगल काल में एक डाकू था । वह गांव , देहात की बेटियों को दुश्मनों से रक्षा कर उनके विवाह करवाता था । लोहड़ी पर्व पर उसके सम्मान में गीत गाए जाते हैं जिस के कुछ अंश इस प्रकार हैं .......

सुंदर मुंदरिए हो
तेरा कौण विचारा हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ले धी ब्याही हो
सेर शक्कर पाई हो
कुड़ी दे मामे आए हो
मामे चूरी कुट्टी हो
जमींदारा लुट्टी हो
कुड़ी दा लाल दुपट्टा हो
दुल्ले धी ब्याही हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ला भट्टी वाला हो

लोहड़ी पर्व पर नवजात बच्चों व नए शादीशुदा जोड़ों के आगमन पर भी बड़े जोर शोर से मनाने की परंपरा है । ऐसा माना जाता है की लोहड़ी पर्व के पश्चात मौसम में बदलाव भी आ जाता है , लोहड़ी की पवित्र अग्नि सर्द मौसम में बदलाव ला देती है । पंजाब , हरियाणा , हिमाचल व दिल्ली आदि प्रदेशों में लोहड़ी पर नाच गाने का आयोजन , डीजे बजाना व इसके उप्रांत भोज का आयोजन इस त्यौहार के प्रमुख आकर्षण है । सारे आयोजन के पश्चात आयोजक द्वारा प्रसाद वितरण जिसमें गजक मूंगफली का प्रसाद प्रमुख रूप से वितरित किया जाता है ।
समाज में बच्चों द्वारा बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर लोहड़ी में चार चांद लग जाते हैं , यही लोहड़ी की अपनी अनोखी व सात्विक परंपरा हैं ।
"हैप्पी लोहड़ी"


✍विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

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