Thursday, 14 January 2021

लोहडी

 "परम्पराओं से जोड़ती हैं लोहड़ी"


वर्ष की शुरुआत में ही मनाया जाने वाला त्यौहार लोहड़ी , पूरे उत्तर भारत में पंजाबी एवं सिख समाज द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है । यह त्यौहार अब पूरे भारत में पंजाबी समाज व सिक्ख समाज द्वारा बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । लोहड़ी पर्व को समाज के प्रत्येक परिवार में बड़े हर्ष के साथ मनाने की परंपरा है । इसमें लोहड़ी वाले दिन रात्रि को लकड़ी जलाकर उसके चारों ओर लोहड़ी के गीत गाए जाते हैं , जिसमें गटक, रेवड़ी, मूंगफली अग्नि में डाली जाती है । पंजाब में दुल्ला भट्टी के गीत लोहड़ी पर गाने की परंपरा है, दुल्ला भट्टी जोकि मुगल काल में एक डाकू था । वह गांव , देहात की बेटियों को दुश्मनों से रक्षा कर उनके विवाह करवाता था । लोहड़ी पर्व पर उसके सम्मान में गीत गाए जाते हैं जिस के कुछ अंश इस प्रकार हैं .......

सुंदर मुंदरिए हो
तेरा कौण विचारा हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ले धी ब्याही हो
सेर शक्कर पाई हो
कुड़ी दे मामे आए हो
मामे चूरी कुट्टी हो
जमींदारा लुट्टी हो
कुड़ी दा लाल दुपट्टा हो
दुल्ले धी ब्याही हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ला भट्टी वाला हो

लोहड़ी पर्व पर नवजात बच्चों व नए शादीशुदा जोड़ों के आगमन पर भी बड़े जोर शोर से मनाने की परंपरा है । ऐसा माना जाता है की लोहड़ी पर्व के पश्चात मौसम में बदलाव भी आ जाता है , लोहड़ी की पवित्र अग्नि सर्द मौसम में बदलाव ला देती है । पंजाब , हरियाणा , हिमाचल व दिल्ली आदि प्रदेशों में लोहड़ी पर नाच गाने का आयोजन , डीजे बजाना व इसके उप्रांत भोज का आयोजन इस त्यौहार के प्रमुख आकर्षण है । सारे आयोजन के पश्चात आयोजक द्वारा प्रसाद वितरण जिसमें गजक मूंगफली का प्रसाद प्रमुख रूप से वितरित किया जाता है ।
समाज में बच्चों द्वारा बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर लोहड़ी में चार चांद लग जाते हैं , यही लोहड़ी की अपनी अनोखी व सात्विक परंपरा हैं ।
"हैप्पी लोहड़ी"


✍विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

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