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Thursday, 10 June 2021

कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार

 "पारिवारिक व सामाजिक ढांचा ध्वस्त कर रही कोरोना की दूसरी लहर" 


सुदेश (मोबाइल पर ) : बेटा कृपाल बोल रहा है.....
कृपाल : हां माँ , बोल रहा हूं ....क्या बात है ?
सुदेश : बेटा .....हम बर्बाद हो गए , तेरे पिताजी हमें
छोड़ कर चले गए , उन्हें करोना हो गया
था.... तू जल्दी से घर आ... यहां सब
कुछ कैसे होगा .......
कृपाल : ओह ! पिताजी यह कैसे हो गया मेरा तो
सब कुछ लुट गया......
सुदेश : बेटा तू जल्दी से घर आ मैं बिल्कुल अकेली
पड़ गई हूं ....
कृपाल : पर माँ ..... यहां तो पूरे शहर में लॉकडाउन
लगा हुआ है और सब जगह कोरोना फैला
है , पुलिस बाहर भी नहीं निकलने दे रही है
लोग मर रहे हैं , मैं अपने परिवार को किस
के भरोसे छोड़ कर आऊ , मैं मजबूर हूं तू
किसी तरह वहां देख ले ..... मैं बाद में आ
जाऊंगा ....
(और सुदेश फोन रख देती है )

यह तो एक छोटी सा घटनाक्रम था इसी तरह के सैकड़ों घटनाक्रम इस कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिल रहे हैं । ऐसा आए दिन जगह-जगह देखने में आ रहा है कि कोरोना से वृद्ध माँ या बाप की मृत्यु होने पर उसके बाहर कार्यरत पुत्र या पुत्री इस दौरान उनकी अंत्येष्टि तक में शामिल नहीं हो पा रहे है । ऐसा नहीं है कि वह आना नहीं चाहते बल्कि लॉकडाउन की पाबंदियां , एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश संबंधी कड़े नियम लोगों को अपनी पारिवारिक परंपराओं का निर्वहन करने से रोक रहे है ।
वहीं दूसरी ओर परिवार के अतिरिक्तकोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार  मचा हुआ है व सामाजिक ढांचा भी धवसत होता नजर आ रहा है , क्योंकि इस महामारी के दौर में जब किसी व्यक्ति की कोरोना की वजह से मौत होती है तो आस पड़ोस के लोग भी उसकी अंत्येष्टि में नहीं जा पाते क्योंकि एक तरफ तो सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन जिसमें 15 से 20 व्यक्तियों से अधिक शामिल होने पर पाबंदी है और दूसरी ओर लोगों को इस महामारी की चपेट में आने का डर महसूस होता है । पिछले वर्ष सन 2020 में जब इस महामारी की शुरुआत हुई थी तो हालात इतने खराब नहीं थे , लोग एक दूसरे से संपर्क बनाए हुए थे परंतु कोरोना की इस दूसरी लहर ने जब से शहर शहर , गांव गांव मैं अपना रौद्र रूप धारण किया है व इसके प्रभाव से लोग मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं । इसे देखते हुए लोगों में एक अनजाना सा डर बना हुआ है कि कहीं हम भी इस महामारी की चपेट में ना आ जाए । 
यही सब बातें इस महामारी की दूसरी लहर के दौर में पारिवारिक व सामाजिक ढांचा ध्वस्त कर रही हैं और लोगों में तन की दूरी के साथ-साथ मन की दूरियों को भी बड़ा रहीं है ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
vivekahuja288@gmail.com 

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