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Monday, 26 July 2021

प्रायश्चित | prayshchit


कहानी  : 


                           "प्रायश्चित"

                                 

EPISODE  : 2


असल में रैगिंग भी हॉस्टल में कई चरणों में होती थी , शुरू में तो सिर्फ परिचय आदि के साथ मजाक होता था । परंतु धीरे-धीरे यह काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती थी । इसी कारण से बच्चे हॉस्टल में आने से डरते थे ,लेकिन पढ़ाई तो करनी ही थी और हॉस्टल में होने वाले बच्चे इस दौर से गुजरते ही थे । यह हॉस्टल के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी । विनय ने सभी बच्चों को एकत्र किया और दीपू की रैगिंग आज से शुरू करने का प्लान बनाया गया ।  रात्रि 8:00 बजे भोजन आदि करने के पश्चात सभी सीनियर्स ने दीपू को अपने कमरे में बुला लिया । रैगिंग के प्रथम चरण में राजकुमार की ड्यूटी लगाई गई  ,कि वह दीपू को बहुत डरावनी कहानी  सुनाएगा । हॉस्टल  के बारे में बताएगा कि यहां भूत रहते हैं और यह हॉस्टल कब्रिस्तान में बना हुआ है आदि ।दीपू ने कमरे में प्रवेश किया और राजकुमार दीपू के करीब आकर बैठ गया पहले दीपू से उसके परिवार के विषय में पूछा गया । उसके बाद विनय भी वहीं आ गया और राजकुमार से कोई किस्सा सुनाने की जिद करने लगा । राजकुमार ने कहना शुरू किया की जिस कमरे में दीपू रहता है और उस अलमारी में जिसमें दीपू का सामान रखा है ,अब से करीब 5 वर्ष पूर्व एक लड़का रहता था  , उसका नाम संतोष था । एक दिन अचानक वह अपनी चारपाई पर मृत पाया गया और उसकी आत्मा आज भी हॉस्टल में घूमती रहती है । वह अपनी अलमारी  बार-बार खोल कर देखता भी है और चारपाई को भी उठा लेता है यह सुन दीपू के रोंगटे खड़े हो गए । तभी वॉर्डन साहब रात्रि की ड्यूटी पर राउंड लगाने आ गए ,  वार्डन  साहब को देख सभी बच्चे भाग कर अपने अपने कमरों में चले गए । 

दीपू अंदर ही अंदर बहुत डर गया था,  पूरी रात उसे नींद नहीं आई और सोच रहा था कि कहीं संतोष की आत्मा उसके पास ना आ जाये ।अगली सुबह कॉलेज जाते वक्त और वहां से वापसी पर दीपू ने हॉस्टल के कई बच्चों से इस बारे में पूछा की यह बात सच है ,तो सभी ने हामी भर दी क्योंकि विनय ने सब को पहले से ही धमका कर रखा हुआ था । विनय ने सभी से कह रखा था , कि दीपू को कोई सच नहीं बताएगा और दीपू की रैगिंग पूरे सप्ताह भर चलेगी ।  संतोष की आत्मा की बात सुन दीपू बुरी तरह घबरा गया था । कुछ दिनों तक विनय अपने मित्रों द्वारा दीपू को इसी तरह रात्रि में अपने कमरे में बुलाकर डरावनी कहानियां सुनाकर परेशान करता रहा , दीपू ने खाना-पीना तक छोड़ दिया था ।एक  दिन तो विनय ने दीपू से कहा कि यह हॉस्टल कब्रिस्तान में बना हुआ है और बहुत सी आत्माएं यहां पर घूमती ही रहते हैं कभी-कभी तो वह किसी बच्चे के अंदर भी प्रवेश कर जाती हैं । दीपू और भी परेशान हो गया लेकिन नया होने की वजह से वह अपने दिल का हाल किसी से कह भी नहीं सकता था ,अतः वह मानसिक रूप से बहुत परेशान रहने लगा । शनिवार का दिन था  शाम को सब स्वतंत्र होते थे कोई स्टडी टाइम नहीं था , शाम से रात तक सब बच्चे फ्री होकर एक दूसरे के कमरे में आया जाया करते थे । विनय ने अपने सब मित्रों को बुलाया और दीपू के रैगिंग का आज अंतिम चरण था और उस को तगड़ा झटका देने का फैसला किया गया । उन्होंने प्लान बनाया कि रात्रि 12:00 बजे के बाद जब सब बच्चे सो जाएंगे तब हम सब मिलकर दीपू की चारपाई को उठाकर फील्ड के बीच में रख देंगे । रात्रि जब दीपू गहरी नींद में सो गया तो विनय ने अपने साथियों के साथ मिलकर दीपू की चारपाई को उठा मैदान के बीच में रख दिया और राजकुमार ने एक भयानक सा मुखौटा लगाए उसकी चारपाई की एक तरफ बैठ गया । दीपू को जब थोड़ी हलचल महसूस हुई तो उसकी आंख खुल गई अपनी चारपाई मैदान में देख दीपू की चीख निकल गई जैसे ही उसने अपने समीप बैठे मुखोटे युक्त राजकुमार को देखा तो वह डर के मारे बेहोश हो गया।


क्रमश : 


(स्वरचित)


विवेक आहूजा

Thursday, 10 June 2021

कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार

 "पारिवारिक व सामाजिक ढांचा ध्वस्त कर रही कोरोना की दूसरी लहर" 


सुदेश (मोबाइल पर ) : बेटा कृपाल बोल रहा है.....
कृपाल : हां माँ , बोल रहा हूं ....क्या बात है ?
सुदेश : बेटा .....हम बर्बाद हो गए , तेरे पिताजी हमें
छोड़ कर चले गए , उन्हें करोना हो गया
था.... तू जल्दी से घर आ... यहां सब
कुछ कैसे होगा .......
कृपाल : ओह ! पिताजी यह कैसे हो गया मेरा तो
सब कुछ लुट गया......
सुदेश : बेटा तू जल्दी से घर आ मैं बिल्कुल अकेली
पड़ गई हूं ....
कृपाल : पर माँ ..... यहां तो पूरे शहर में लॉकडाउन
लगा हुआ है और सब जगह कोरोना फैला
है , पुलिस बाहर भी नहीं निकलने दे रही है
लोग मर रहे हैं , मैं अपने परिवार को किस
के भरोसे छोड़ कर आऊ , मैं मजबूर हूं तू
किसी तरह वहां देख ले ..... मैं बाद में आ
जाऊंगा ....
(और सुदेश फोन रख देती है )

यह तो एक छोटी सा घटनाक्रम था इसी तरह के सैकड़ों घटनाक्रम इस कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिल रहे हैं । ऐसा आए दिन जगह-जगह देखने में आ रहा है कि कोरोना से वृद्ध माँ या बाप की मृत्यु होने पर उसके बाहर कार्यरत पुत्र या पुत्री इस दौरान उनकी अंत्येष्टि तक में शामिल नहीं हो पा रहे है । ऐसा नहीं है कि वह आना नहीं चाहते बल्कि लॉकडाउन की पाबंदियां , एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश संबंधी कड़े नियम लोगों को अपनी पारिवारिक परंपराओं का निर्वहन करने से रोक रहे है ।
वहीं दूसरी ओर परिवार के अतिरिक्तकोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार  मचा हुआ है व सामाजिक ढांचा भी धवसत होता नजर आ रहा है , क्योंकि इस महामारी के दौर में जब किसी व्यक्ति की कोरोना की वजह से मौत होती है तो आस पड़ोस के लोग भी उसकी अंत्येष्टि में नहीं जा पाते क्योंकि एक तरफ तो सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन जिसमें 15 से 20 व्यक्तियों से अधिक शामिल होने पर पाबंदी है और दूसरी ओर लोगों को इस महामारी की चपेट में आने का डर महसूस होता है । पिछले वर्ष सन 2020 में जब इस महामारी की शुरुआत हुई थी तो हालात इतने खराब नहीं थे , लोग एक दूसरे से संपर्क बनाए हुए थे परंतु कोरोना की इस दूसरी लहर ने जब से शहर शहर , गांव गांव मैं अपना रौद्र रूप धारण किया है व इसके प्रभाव से लोग मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं । इसे देखते हुए लोगों में एक अनजाना सा डर बना हुआ है कि कहीं हम भी इस महामारी की चपेट में ना आ जाए । 
यही सब बातें इस महामारी की दूसरी लहर के दौर में पारिवारिक व सामाजिक ढांचा ध्वस्त कर रही हैं और लोगों में तन की दूरी के साथ-साथ मन की दूरियों को भी बड़ा रहीं है ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
vivekahuja288@gmail.com 

लाकडाउन से मिली 5 सीख

 आलेख : 


"लाकॅडाउन की सीख"

इस कोरोना कॉल में पूरे विश्व में एक भयंकर संकट आया हुआ है । प्रत्येक देश , व्यक्ति ,समुदाय , इस संकट से जूझ रहा है, लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं । सरकार ,स्वास्थ्य विभाग ,डब्ल्यूएचओ आदि संगठन ने इस महामारी से बचने के लिए समय-समय पर बहुत सी गाइडलाइन जारी की है, व लॉकडाउन भी लगाए हैं । वर्तमान भारत में इस प्रकार का संकट पहली बार देखने को मिला है और जनता सरकार की गाइडलाइंस का भरपूर सहयोग कर रही है । लॉकडाउन में लोग काफी दिनों से घरों में बंद है और इस महामारी की विदाई का इंतजार कर रहे हैं । लॉक डाउन का समय भारत में कई लोगों के लिए पीड़ादायक रहा है क्योंकि इस दौरान लोगों ने अपनी नौकरी गवा दी , व्यापारी वर्ग के कारोबार खात्मे की ओर है । परंतु इस लाकडाउन से हमें काफी कुछ सीखने को मिला है । आज हम इसी विषय पर क्रमवार तरीके से चर्चा करेंगे की लॉकडाउन के इस कठिन समय में हमने क्या सीखा ....
1- कोरोना की इस दूसरी लहर में इसने अपना रौद्र रूप धारण किया हुआ है, काफी लोगों ने अपनी जान गवाई है ऐसे समय में अस्पतालों में भर्ती प्रक्रिया ऑक्सीजन की8 कमी आदि की समस्याएं देखने को मिली है । इस दौरान देश ने यह महसूस किया है की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में अभी काफी सुधार की आवश्यकता है । भारत की आबादी के अनुसार आज भी एमबीबीएस डॉक्टरों की काफी कमी है और सरकार को यह चाहिए के आने वाले समय में एमबीबीएस डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाएं व अस्पतालों में जो कमियां हैं उन्हें तुरंत दूर करें ताकि कोई इस तरह की महामारी आये तो हम उसका डटकर मुकाबला कर सके ।
2- इस लॉकडाउन में यह बात भी सिद्ध हो गई है कि आपसी रिश्तो को बहुत बड़ी संख्या में एकत्र होकर सहजने से अच्छा है , कि कम से कम लोगों के बीच घरेलू आयोजन किए जाएं , इससे एक तो फिजूलखर्ची बचती है और आपसी सद्भाव को भी मजबूती मिलती है ।पहले लोग शादी बरातों में सैकड़ों हजारों लोगों को निमंत्रण देकर अपने रसूख का प्रदर्शन करते थे परंतु अब 20 लोगों के बीच ही यह आयोजन हो पा रहे हैं, इस सब में लोगों के द्वारा की जाने वाली फिजूलखर्ची पर ब्रेक लगा है ।
3- इस लॉकडाउन में लोगों को अच्छे से एहसास हो गया है कि दुनिया में स्वास्थ्य से बड़ी पूंजी कोई नहीं, क्योंकि ऐसा ना होता तो बड़े बड़े पूंजीपति भी इस बीमारी की चपेट में आकर मृत्यु को प्राप्त ना होते, जबकि जिन व्यक्तियों का स्वास्थ्य अच्छा रहा वह आसानी से इसकी चपेट में नहीं आ रहे हैं और यदि किसी कारणवश आ भी गए तो अपनी अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण इससे बाहर भी निकल पा रहे हैं ।
4- इस लॉकडाउन में लोगों ने घरों के अंदर रहकर अपने समय का सदुपयोग किया है और अपने अंदर की प्रतिभा को इंटरनेट के माध्यम से लर्निंग क्लासेस लेकर बाहर निकालने का प्रयास किया है । बहुत से लोगों ने कहानियां लिखी , कविताएं लिखी , कुछ लोगों ने यूट्यूब से गाना सीखा , कुछ ने डांस सीखा और कुछ लोगों में तो यूट्यूब के चैनल तक बना डाले इस प्रकार से यह समय अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने का बहुत सही समय साबित हुआ है ।
5- अंत में हम इस लोक डाउन की सबसे बड़ी सीख और सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही की परिवार से बढ़कर कुछ नहीं , जो लोग पूरे वर्ष कार्यों के सिलसिले में इधर-उधर घूमते रहते थे , अब उन्हें अपने परिवार के साथ रहने का मौका मिला है । इस कोरोना काल मे चाहे आपका कितना ही करीबी हो, उसने भी घर के बाहर ही आपका स्वागत किया है , और अंततः हमें घर पर ही शरण मिली है । बहुत से परिवारों में परिवारिक सदस्यों के आपसी मतभेद भी साथ साथ रहने के कारण इस दौरान काफी कम हुए हैं। इसलिए परिवार का महत्व लोगों की समझ में अच्छे से आ गया है , यह लॉकडाउन परिवार को मजबूती प्रदान करने वाला कारक बन कर आया है ।


( स्वरचित )

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
@8923831037

vivekahuja288@gmail.com

Saturday, 20 February 2021

वैक्सीन,vaccination, vaccine

 "वैक्सीन बनाना ही नहीं ,लगाना भी चुनौतीपूर्ण" 

भारतवर्ष में 16 जनवरी 2021 को कोरोना की वैक्सीन लॉन्च हो रही है , सरकार द्वारा स्वदेशी कंपनियों की वैक्सीन को ही प्राथमिकता दी गई है । दो कंपनियों की वैक्सीन लांच की गई है और चार कंपनियां लाइन में है । प्रथम चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को टीकाकरण होना है जो कि स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा इस टीकाकरण में करीब 26 करोड़ 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग , एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मी ,2 करोड़ सफाई कर्मी एवं एक करोड़ कोरोना योद्धा व पुलिस आदि शामिल है, को स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीका लगाया जाना है । कोरोना की आपदा की शुरुआत में जहां भारत में N95 मास्क की भी किल्लत थी, आज भारतवर्ष में स्वदेशी कंपनी की वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है । यही नहीं स्वदेशी कंपनियों को विदेशों से भी अपार आर्डर मिल रहा है , जो कि भारत के विश्व गुरु बनने का संकेत दे रहे हैं । वहीं चीन जैसे देश की वैक्सीन को दुनिया ने नकार दिया है , यही नहीं चीन के मित्र देशों ने भी उससे वैक्सीन लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई है ।
अब सवाल यह है कि भारत जैसे विशाल देश में जिसकी आबादी 140 करोड़ के करीब है मैं इतना बड़ा टीकाकरण को स्वास्थ्य विभाग द्वारा किस प्रकार से अंजाम दिया जाता है ।आबादी अधिक होने के कारण बच्चों के अलग-अलग प्रकार के टीकाकरण , वृद्धजनों की अन्य बीमारियां जैसे हृदय रोग शुगर लीवर की समस्या आदि के इलाज को प्रभावित किए बिना , इतने बड़े टीकाकरण को अंजाम देना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक कठिन चुनौती होगा । देखने वाली बात यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस टीकाकरण को अंजाम देने के लिए प्राइवेट चिकित्सक , मेडिकल छात्र पैरामेडिकल स्टाफ आदि की मदद लेता है कि नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा । लेकिन हमारी शुभकामनाएं पूर्ण रूप से स्वास्थ्य विभाग के साथ हैं और हम सभी का कर्तव्य बनता है कि इस इस कठिन कार्य में स्वास्थ्य विभाग की, जिस स्तर पर भी मदद संभव हो हमें करनी चाहिए ।
"शुभ टीकाकरण"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद 

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