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Tuesday, 3 August 2021

मेरी मैडम अच्छी मैडम, Meri madam achi madam

 

बाल कविता :


"मेरी मैडम अच्छी मैडम"

मेरी मैडम अच्छी मैडम , चश्मे वाली प्यारी प्यारी ।
खेल खेल में हमें पढाती , खूब सिखाती बाते सारी ।

समय से आना समय से जाना ,वो तो है एक दोस्त हमारी।
नहीं है लड़ना मिल कर पढना ,वो सिखलाती बाते न्यारी ।

गलती पर वो डाट पिलाती, उठक बैठक करवाती सारी।
फिर टाफी देकर हमें मनाती , बाते करती प्यारी प्यारी ।


पढ़ लिखकर हम खूब बढेंगे, रह जाएगी ये बातें सारी।
बचपन के दिन याद रहेगे , मिट न पायेगी ये यादें हमारी ।

मेरी मैडम अच्छी मैडम...........

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Sunday, 27 June 2021

पिता, Father,पिता का साया

 "पिता"

धूप में झुलस कर , नंगे पाँव रहकर ।

भूखे पेट सोकर , हालातों से लड़कर ।
जो हार न मानें, वो होता है पिता ।।

जीवन भर कमा कर , पैसो को बचाकर ।
हसरतो को मारकर , बच्चों की खुशी पर ।
जो पल में खर्च कर दे , वो होता है पिता ।।

आँसू को छुपा कर , नकली हसी दिखा कर ।
घर मे मौजूद रह कर , परिवार में सब कुछ सहकर ।
जो सब न्यौछावर कर दे , वो होता है पिता ।।

यदि किसी औलाद पर , पिता का साया नहीं ।
चाहे पा ले वो , दुनिया में सब कुछ ।
पर असलियत में , उसने कुछ पाया नहीं ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986




Friday, 2 April 2021

Hindi poem , भारतीय नारी, नारी, भारत ,India

 "मै हूँ भारत की नार"


मै हूँ भारत की नार, लड़ने मरने को तैयार ।
स्वाभिमान को डिगा न सका , दम है अपरंपार ।
मै हूँ भारत की नार ........
घर हो , रण हो ,या हो खेल प्रकार ।
निश्चय गर एक बार मै कर लू , रोक न सके कोई प्रहार ।
मै हूँ भारत की नार.......


✍विवेक आहूजा





Saturday, 20 February 2021

दिल शायरी, चाहत

 जब दिल ना मिले तो , मुंह पर ताला लगा लो 

जुबां के तीर चलाने से फायदा क्या है ।
मुमकिन है कि , कल दिल मिल भी जाए
बेफिजूल दरार बढ़ाने से फायदा क्या है ।।

✍विवेक आहूजा 

तिरंगा , भारत का ध्वज , तिरंगा झुकने ना देंगे


 तिरंगे का ये अपमान , नहीं सहेगा हिन्दुस्तान 

उपद्रवियों के हुडदंग से , जनता हो रही परेशान
नेताओ की चाल से , अन्नदाता अनजान
देश का मान रख न सका , वो कैसा किसान
26 जनवरी है , देश का गौरवशाली पर्व
दुख हैं इस बात का , नहीं तुम्हे इस पर गर्व


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद



शौहरत शायरी, शौहरत अर्थ , शौहरत


"शौहरत"  ( मुक्तक )

इंसान पर जब कुछ नहीं होता है ,
वह सारे जहां में रोता है ।
मिल जाती जब "शौहरत" उसे ,
अपना वो आपा खोता है ।
कुदरत का निजाम समझ ओ बंदे ,
"शौहरत" तमाशा पल का होता है ।
गुरुर टिका नहीं किसी का इस जहां में ,
काटता फसल वही बीज जो वो बोता है ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Poem प्राकृति , शायरी, प्रकृति कविता

 प्रकृति के क्रोध से , बच के रहना आप 

सोच समझकर कीजिए ,छोटा-छोटा पाप
धरती तक है कांप रही , देख प्रकृति का रूप
वन तो तुमने काट दिए , बिगाड़ दिया स्वरूप
महादेव के हाथ है , मझधार में अटकी नाव
हमको बस है चाहिए , उनकी कृपा और शीतल छाँव

✍विवेक आहूजा 

जिंदगी , जिदंगी क्या है, zindgi



जिंदगी जीने का नाम है ,

सुख और दुःख इसके इनाम है ,

गिरो, उठो और उठ कर बढो ,
यही इसका पैगाम है ,
दुखो पर जो जीत पा जाए ,
उसे सौ सौ सलाम है ।।

"जिंदगी जीने का नाम है"

✍विवेक आहूजा 

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