Thursday, 10 June 2021

Forest man of India,जादव पायेंग , जगंल मैन

 "जाधव पायेंग -फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया" 


जहां एक ओर पूरी दुनिया जंगलों को काट काट कर अपने घरों का फर्नीचर सजाने में लगी है वही आसाम के यादव पायेंग ने वह कारनामा कर दिखाया जिसे देख लोग दंग रह गए ।आसाम में जोराहट के नजदीक टापू अरुणा सबोरी में पूरे 13 सौ एकड़ में एक विशाल जंगल फैला है जोकि पूरा का पूरा जादव पाऐंग द्वारा बसाया गया है ,जी हां यह बिल्कुल सत्य है । इसी कारण भारत सरकार ने उन्हें पदम श्री व कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया है ।
जादव पायेंग के संघर्ष की कहानी शुरू होती है सन 1979 से , जब वह मात्र 15 वर्ष के थे उस समय ब्रह्मपुत्र नदी में भयंकर बाढ़ आई थी और आसपास का सभी इलाका नष्ट हो गया था । जादव पायेंग ने देखा कि बहुत से सर्प चारों और मरे पड़े हैं , उसने अपने बुजुर्गों से पूछा इतने सारे सर्प कैसे मरे हुए हैं , तो उन्होंने बताया कि यहां कोई पेड़ पौधा ना होने के कारण जीव जंतु मर रहे हैं । जादव पाऐंग ने तभी फैसला कर लिया कि जिस प्रकार लोगों ने अपना घर बसाने के लिए जानवरों के घर उजाड़े हैं वह जानवरों का घर बसाने के लिए जंगल तैयार करेंगे ।
इसी सोच के साथ वह वन विभाग के दफ्तर गए और वहां उन्होंने अपनी मंशा जाहिर की , लेकिन वन विभाग ने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे रेतीली जमीन पर कुछ भी उगाने में असमर्थता जाहिर कर दी । उन्होंने यादव को बताया कि ब्रह्मपुत्र के नजदीक रेतीली जमीन पर कुछ भी उगना संभव नहीं है , क्योंकि यह बिल्कुल बंजर जमीन है , लेकिन अगर तुम चाहो तो यहां बांस के पेड़ लगा सकते हैं । जादव पाऐंग ने इतना सुनने के बाद भी हार नहीं मानी और जोरहट के नजदीक अरुणा सबूरी टापू पर बांस के पेड़ लगाने शुरू कर दिए । धीरे-धीरे एक से दो , दो से चार से आठ करते-करते 40 वर्षों का समय बीत गया और जादव पायेंग के भागीरथ प्रयास से 13 सौ एकड़ का जंगल तैयार हो गया ।
इतने सारे पेड़ों को पानी लगाना भी एक प्रमुख समस्या थी , जिस की तरकीब जादव ने यह निकाली कि प्रत्येक पेड़ पर बांस की तख्ती बनाकर उस पर मिट्टी का घड़ा सुराख़ कर लटका दिया , जिसमें से बूंद बूंद पानी पेड़ों को मिलता रहा , इस प्रकार हफ्तों तक पेड़ों को पानी लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी ।
पैरों में चप्पल , बिल्कुल सादा जीवन व्यतीत करने वाले जादव पायेंग को भारत सरकार द्वारा सन् 2015 में पदम श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया । इसके अतिरिक्त राष्टपति डॉ अब्दुल कलाम द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई । एक गाय का पालन कर अपना गुजारा चलाने वाले जादव साधारण जीवन जीने वाले असाधारण शख्सियत हैं । आज उनके द्वारा विकसित जंगल में 80% पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं , राइनो , हाथी , बंगाल टाइगर और इसी तरह के बहुत से जी वहां मौजूद है ।
अंततः जादव पायेंग अपने मकसद में कामयाब हुए , लेकिन इस कामयाबी को हासिल करने में जादव पाऐंग को 40 वर्षों का काफी लंबा वक्त लग गया । ऐसी शख्सियत समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो समाज को पर्यावरण के प्रति प्रेम जागृत करने के लिए प्रेरित करते
हैं ।


(स्वरचित)


विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
vivekahuja288@gmail.com

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