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Thursday, 10 June 2021

लाकडाउन से मिली 5 सीख

 आलेख : 


"लाकॅडाउन की सीख"

इस कोरोना कॉल में पूरे विश्व में एक भयंकर संकट आया हुआ है । प्रत्येक देश , व्यक्ति ,समुदाय , इस संकट से जूझ रहा है, लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं । सरकार ,स्वास्थ्य विभाग ,डब्ल्यूएचओ आदि संगठन ने इस महामारी से बचने के लिए समय-समय पर बहुत सी गाइडलाइन जारी की है, व लॉकडाउन भी लगाए हैं । वर्तमान भारत में इस प्रकार का संकट पहली बार देखने को मिला है और जनता सरकार की गाइडलाइंस का भरपूर सहयोग कर रही है । लॉकडाउन में लोग काफी दिनों से घरों में बंद है और इस महामारी की विदाई का इंतजार कर रहे हैं । लॉक डाउन का समय भारत में कई लोगों के लिए पीड़ादायक रहा है क्योंकि इस दौरान लोगों ने अपनी नौकरी गवा दी , व्यापारी वर्ग के कारोबार खात्मे की ओर है । परंतु इस लाकडाउन से हमें काफी कुछ सीखने को मिला है । आज हम इसी विषय पर क्रमवार तरीके से चर्चा करेंगे की लॉकडाउन के इस कठिन समय में हमने क्या सीखा ....
1- कोरोना की इस दूसरी लहर में इसने अपना रौद्र रूप धारण किया हुआ है, काफी लोगों ने अपनी जान गवाई है ऐसे समय में अस्पतालों में भर्ती प्रक्रिया ऑक्सीजन की8 कमी आदि की समस्याएं देखने को मिली है । इस दौरान देश ने यह महसूस किया है की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में अभी काफी सुधार की आवश्यकता है । भारत की आबादी के अनुसार आज भी एमबीबीएस डॉक्टरों की काफी कमी है और सरकार को यह चाहिए के आने वाले समय में एमबीबीएस डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाएं व अस्पतालों में जो कमियां हैं उन्हें तुरंत दूर करें ताकि कोई इस तरह की महामारी आये तो हम उसका डटकर मुकाबला कर सके ।
2- इस लॉकडाउन में यह बात भी सिद्ध हो गई है कि आपसी रिश्तो को बहुत बड़ी संख्या में एकत्र होकर सहजने से अच्छा है , कि कम से कम लोगों के बीच घरेलू आयोजन किए जाएं , इससे एक तो फिजूलखर्ची बचती है और आपसी सद्भाव को भी मजबूती मिलती है ।पहले लोग शादी बरातों में सैकड़ों हजारों लोगों को निमंत्रण देकर अपने रसूख का प्रदर्शन करते थे परंतु अब 20 लोगों के बीच ही यह आयोजन हो पा रहे हैं, इस सब में लोगों के द्वारा की जाने वाली फिजूलखर्ची पर ब्रेक लगा है ।
3- इस लॉकडाउन में लोगों को अच्छे से एहसास हो गया है कि दुनिया में स्वास्थ्य से बड़ी पूंजी कोई नहीं, क्योंकि ऐसा ना होता तो बड़े बड़े पूंजीपति भी इस बीमारी की चपेट में आकर मृत्यु को प्राप्त ना होते, जबकि जिन व्यक्तियों का स्वास्थ्य अच्छा रहा वह आसानी से इसकी चपेट में नहीं आ रहे हैं और यदि किसी कारणवश आ भी गए तो अपनी अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण इससे बाहर भी निकल पा रहे हैं ।
4- इस लॉकडाउन में लोगों ने घरों के अंदर रहकर अपने समय का सदुपयोग किया है और अपने अंदर की प्रतिभा को इंटरनेट के माध्यम से लर्निंग क्लासेस लेकर बाहर निकालने का प्रयास किया है । बहुत से लोगों ने कहानियां लिखी , कविताएं लिखी , कुछ लोगों ने यूट्यूब से गाना सीखा , कुछ ने डांस सीखा और कुछ लोगों में तो यूट्यूब के चैनल तक बना डाले इस प्रकार से यह समय अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने का बहुत सही समय साबित हुआ है ।
5- अंत में हम इस लोक डाउन की सबसे बड़ी सीख और सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही की परिवार से बढ़कर कुछ नहीं , जो लोग पूरे वर्ष कार्यों के सिलसिले में इधर-उधर घूमते रहते थे , अब उन्हें अपने परिवार के साथ रहने का मौका मिला है । इस कोरोना काल मे चाहे आपका कितना ही करीबी हो, उसने भी घर के बाहर ही आपका स्वागत किया है , और अंततः हमें घर पर ही शरण मिली है । बहुत से परिवारों में परिवारिक सदस्यों के आपसी मतभेद भी साथ साथ रहने के कारण इस दौरान काफी कम हुए हैं। इसलिए परिवार का महत्व लोगों की समझ में अच्छे से आ गया है , यह लॉकडाउन परिवार को मजबूती प्रदान करने वाला कारक बन कर आया है ।


( स्वरचित )

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
@8923831037

vivekahuja288@gmail.com

Saturday, 20 February 2021

वैक्सीन,vaccination, vaccine

 "वैक्सीन बनाना ही नहीं ,लगाना भी चुनौतीपूर्ण" 

भारतवर्ष में 16 जनवरी 2021 को कोरोना की वैक्सीन लॉन्च हो रही है , सरकार द्वारा स्वदेशी कंपनियों की वैक्सीन को ही प्राथमिकता दी गई है । दो कंपनियों की वैक्सीन लांच की गई है और चार कंपनियां लाइन में है । प्रथम चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को टीकाकरण होना है जो कि स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा इस टीकाकरण में करीब 26 करोड़ 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग , एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मी ,2 करोड़ सफाई कर्मी एवं एक करोड़ कोरोना योद्धा व पुलिस आदि शामिल है, को स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीका लगाया जाना है । कोरोना की आपदा की शुरुआत में जहां भारत में N95 मास्क की भी किल्लत थी, आज भारतवर्ष में स्वदेशी कंपनी की वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है । यही नहीं स्वदेशी कंपनियों को विदेशों से भी अपार आर्डर मिल रहा है , जो कि भारत के विश्व गुरु बनने का संकेत दे रहे हैं । वहीं चीन जैसे देश की वैक्सीन को दुनिया ने नकार दिया है , यही नहीं चीन के मित्र देशों ने भी उससे वैक्सीन लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई है ।
अब सवाल यह है कि भारत जैसे विशाल देश में जिसकी आबादी 140 करोड़ के करीब है मैं इतना बड़ा टीकाकरण को स्वास्थ्य विभाग द्वारा किस प्रकार से अंजाम दिया जाता है ।आबादी अधिक होने के कारण बच्चों के अलग-अलग प्रकार के टीकाकरण , वृद्धजनों की अन्य बीमारियां जैसे हृदय रोग शुगर लीवर की समस्या आदि के इलाज को प्रभावित किए बिना , इतने बड़े टीकाकरण को अंजाम देना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक कठिन चुनौती होगा । देखने वाली बात यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस टीकाकरण को अंजाम देने के लिए प्राइवेट चिकित्सक , मेडिकल छात्र पैरामेडिकल स्टाफ आदि की मदद लेता है कि नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा । लेकिन हमारी शुभकामनाएं पूर्ण रूप से स्वास्थ्य विभाग के साथ हैं और हम सभी का कर्तव्य बनता है कि इस इस कठिन कार्य में स्वास्थ्य विभाग की, जिस स्तर पर भी मदद संभव हो हमें करनी चाहिए ।
"शुभ टीकाकरण"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद 

Thursday, 14 January 2021

Neet exam,नीट परीक्षा

 नीट की परीक्षा में सफल होना है तो 11वीं से ही लगना होगा : 

नेशनल टेस्ट एजेंसी द्वारा प्रतिवर्ष ऑल इंडिया स्तर पर

 एमबीबीएस / बीडीएस में चयन हेतु नीट की परीक्षा का आयोजन किया जाता है , जो कि देश की काफी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है । इस परीक्षा में करीब पंद्रह लाख विद्यार्थी प्रतिवर्ष बैठते हैं , एमबीबीएस / बीडीएस की सरकारी सीट प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी कड़ी मेहनत करते हैं । आज इसी विषय पर मैं आपसे कुछ बातें साझा करना चाहता हूं । नीट की परीक्षा में फिजिक्स , केमिस्ट्री , जूलॉजी व बॉटनी का पेपर होता है जो 12वीं के सिलेबस के अनुसार लिया जाता है । पिछले कुछ वर्षों से देखने को मिला है की नीट में चयन साल दर साल मुश्किल होता जा रहा है, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस करोड़ों में पहुंच गई है ,जो आम आदमी के बस से बाहर की बात है । जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नीट परीक्षा के माध्यम से होता है जो इतना कठिन है की परीक्षा में बैठने वाले कुल परीक्षार्थियों में से 3 से 4% बच्चे ही उसमें बमुश्किल प्रवेश कर पाते हैं । नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को 11वीं कक्षा से ही अपनी पढ़ाई के स्तर में काफी सुधार लाना होगा ,जिसकी आज हम क्रमवार चर्चा करेंगे .......
1 - मेडिकल प्रवेश परीक्षा से पूर्व , विद्यार्थी 11वीं कक्षा से ही कोचिंग लेना शुरू कर देते हैं ऐसा नहीं है कि बगैर कोचिंग के किसी का सिलेक्शन नहीं होता मगर प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश के लिए कोचिंग सेंटर के माध्यम से परीक्षाओं के पैटर्न का पता चलता है , जिसे जानना किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत जरूरी है । कुछ मेधावी छात्र बगैर किसी कोचिंग के भी सफल हुए हैं , परंतु उनकी संख्या बहुत कम है ।
2 - मेडिकल प्रवेश की कोचिंग दो तरह की होती है पहली रेगुलर क्लास जिसने सप्ताह में 4 या 5 दिन स्कूल के समय के बाद विद्यार्थी कोचिंग करते हैं , दूसरी वीकेंड क्लास जो सप्ताह में 2 दिन शनिवार इतवार को होती है जो सुबह से शाम तक चलती है । अब यह चयन विद्यार्थियों को स्वयं करना होता है कि उसे किस प्रकार की कोचिंग करनी है क्योंकि यह कोचिंग काफी महंगी होती है । अतः कुछ कोचिंग सेंटर इसमें स्कॉलरशिप भी देते हैं जिसमें स्कॉलरशिप के एग्जाम के बाद में कुछ प्रतिशत के हिसाब से मेघावी छात्रों को फीस में रियायत मिल जाती है ।
3 - कोचिंग संस्थान का चयन : विद्यार्थियों को सबसे पहले दसवीं में उत्तीर्ण होने के पश्चात यह तय करना होता है कि वह किस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करना चाहता है । यह बहुत आवश्यक कदम है , क्योंकि कोचिंग सेंटर का चयन उसकी गुणवत्ता के आधार पर होना चाहिए इसके लिए छात्र पहले उस सेंटर जिसमें वह कोचिंग करना चाहता है का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर चेक करें , हालांकि किसी भी परीक्षा में चयन छात्र की अपनी मेहनत पर निर्भर करता है । परंतु कोचिंग सेंटर्स का छात्र की मेहनत को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण रोल होता है , अत: जिस सेंटर पर प्रतिवर्ष नीट परीक्षा का चयन का प्रतिशत अधिक हो , वही सेंटर विद्यार्थियों को चुनना चाहिए । इसके पश्चात विद्यार्थियों को यह तय करना है कि वह रेगुलर क्लासेस में कोचिंग करेगा या वीकेंड क्लासेस में ,यह छात्र की अपनी समझ व सुविधा पर निर्भर करता है ।
4 - डमी ऐडमिशन : पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए जब विद्यार्थी 11वीं में कोचिंग करते हैं तो वह डमी एडमिशन की प्रक्रिया को अपनाने लगे हैं । इस प्रक्रिया में विद्यार्थी एक प्रकार से 11वीं व 12वीं कक्षा प्राइवेट फॉर्म भर कर देते हैं और पूरी तरह से नीट की परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं तथा बीच-बीच में डमी एडमिशन वाले स्कूल में अर्ध वार्षिक व फाइनल के एग्जाम दे देते हैं । इस प्रक्रिया को अपनाकर भी कई विद्यार्थियों ने नीट की अच्छी तैयारी कर सफलता पाई है । डमी ऐडमिशन पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलिंग की प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत छात्र स्कूल सिस्टम से पूरी तरह कट जाता है । यह अब उस पर निर्भर करता है कि वह इस प्रक्रिया को अपनाकर नीट की कोचिंग में व्यस्त होना चाहता है या स्कूल के साथ-साथ वीकेंड या रेगुलर क्लास लेकर साथ साथ कोचिंग करना चाहता है ताकि समय समय पर स्कूल में होने वाले टेस्ट में वह अपने द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच कर सके । मेरे अपने हिसाब से वीकेंड क्लास छात्र के लिए बेहतर विकल्प है जो कि स्कूल की शिक्षा के साथ-साथ हो इससे छात्र पर पढ़ाई का अतिरिक्त भार नहीं पड़ता और इसके द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच स्कूल में ली गई समय-समय पर परीक्षा से होती रहती है और वह अपनी स्थिति को बेहतर समझ सकता है ।
अंत में बस मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि सभी छात्रों की परिवारिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती कि वह महंगी महंगी कोचिंग कर सकें । छात्रों को स्वयं से ही इतनी मेहनत कर खुद ही सक्षम होकर इस तरह की परीक्षा को पास करना चाहिए । इसके अलावा सरकार से भी यह विनम्र निवेदन है कि वह आर्थिक रूप से दुर्बल मेघावी छात्रों के लिए , यदि उन्हें कोचिंग की आवश्यकता पड़े तो वह इसकी कुछ व्यवस्था करें ताकि भारत का भविष्य चमकदार बन सके ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

सन 2020 , 2020 की घटनाएं

 "दशकों तक याद रहेगा सन 2020"


 सन 2020 अब विदा ले चुका है और अपने साथ बहुत से कटु अनुभव हमारे बीच छोड़ , जीवन का नया पाठ हमें पढ़ा कर प्रस्थान कर चुका है ।सन 2020 का अनुभव अन्य वर्षो के मुकाबले काफी अलग रहा जो कि दशकों तक लोगों के जेहन में बना रहेगा । आज हम सन 20 में घटी प्रमुख घटनाएं के विषय में क्रमवार चर्चा करेंगे ....

1 - सन 2020 यदि किसी बात के लिए जाना जाएगा , तो वह है "करोना महामारी" यह वर्ष पूरे विश्व भर में कोरोना के कारण लगभग बर्बादी हो गया । बच्चों की पढ़ाई हो , लोगों की नौकरी हो या देश की अर्थव्यवस्था कोरोना का प्रभाव सभी पर पड़ा है । कोरोना की शुरुआत साल के प्रारंभ से ही हो गई थी व मार्च में सरकार द्वारा महीनों का लॉकडाउन ने तो आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी हैं । बच्चों के स्कूल लोगों की नौकरी भी इससे प्रभावित हुई , हालांकि ऑनलाइन क्लासेस , वर्क फराम होम कार्यप्रणाली ने कुछ मरहम का कार्य जरूर किया । कोरोना के चलते लाखों व्यक्तियों ने अपनी जान गवाई जो कि देश के लिए अपूर्णीय क्षति है । यह वर्ष स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कोरोना मरीजो की सेवा के उल्लेखनीय योगदान के लिए भी जाना जाएगा । कोरोना वैक्सीन की सुखद खबर के साथ इस साल का अंत हो रहा है जो कि राहत भरा है ।
2 - राजनीतिक दृष्टिकोण से सन 2020 बिहार चुनाव : जिसमें नीतीश की वापसी , मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन , चीन विवाद व नेपाल विवाद जो कि समय रहते सरकार द्वारा सुलझा लिया गया , इस वर्ष की प्रमुख राजनीतिक घटनाएं रही । इसके अतिरिक्त प्रणव दा का निधन दुखद घटना रही ।
3 - फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह वर्ष काफी कष्टो भरा रहा है , एक और करोना के कारण सभी मॉल , मल्टीप्लेक्स , पिक्चर हॉल पूरे वर्ष से लगभग बंद है । जिसके कारण कोई बड़े बजट की फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है और दूसरी ओर इंडस्ट्री ने अपने कई अभिनेता व अन्य सहयोगियों को इस वर्ष खोया है इरफान खान, ऋषि कपूर , सुशांत सिंह राजपूत आदि इनमें प्रमुख है सुशांत की मृत्यु का विवाद तो करीब पूरे वर्ष ही टेलीविजन पर छाया रहा ।सन 2020 फिल्म इंडस्ट्री को काफीआर्थिक व वैयक्तिक घाटा देने वाला वर्ष साबित हुआ है ।
कुल मिलाकर सन 2020 पूरी दुनिया के लिए दशकों तक याद रखने वाला वर्ष रहा , जिसमें करोना महामारी के चलते विश्व में लगभग सभी तरह की गतिविधियां ठप रही । भारत में भी इसका असर देखने को मिला लॉकडाउन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा । वहीं दूसरी ओर लाकॅडाउन के दौरान प्रदूषण में कमी व निर्भया कांड के दोषियों को फांसी इस वर्ष की कुछ चुनिंदा राहत भरी खबरें रही हैं ।

अलविदा 2020 ........

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
@8923831037

"नव वर्ष (2021) की हार्दिक शुभकामनायें" 

Tuesday, 20 October 2020

"उपवास(वृत)का महत्व" , उपवास

 लेख : 


"उपवास(वृत)का महत्व" 
      
भारतवर्ष का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है ,जिसमें हिंदू धर्म को सबसे पुराने धर्म के रूप में मान्यता प्राप्त है । भारत में हिंदू धर्म उपासकों द्वारा साल में विभिन्न समयो पर उपवास रखने का प्रचलन हजारों वर्षों से चला आ रहा है । जिसका अपना पौराणिक एवं वैज्ञानिक महत्व है । प्रतिवर्ष नवरात्रि ,शिवरात्रि , जन्माष्टमी ,सोमवार के व्रत , सोलह सोमवार के उपवास आदि आदि ऐसे बहुत से वृतो का प्रचलन है । अधिकतर हिंदू धर्म उपासक इन व्रतों को जरूर रखते हैं और धर्म लाभ अर्जित करते हैं।
वृतो को रखना धार्मिक परंपरा के साथ-साथ एक वैज्ञानिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं उपवास के दौरान व्यक्ति पूरे दिन सिर्फ जल व फलाहार ही ग्रहण करता है , बहुत से व्रतों में तो कुछ लोग निर्जल उपवास भी रखते हैं जिसमें वह पूरे दिन कुछ भी ग्रहण नहीं करते । इसका वैज्ञानिक महत्व यह है कि जब व्यक्ति पूरे दिन कुछ ग्रहण नहीं करता या अल्पाहार ग्रहण करता है तो शरीर के अंदर होने वाली आंतरिक क्रियाएं को कुछ समय के लिए आराम मिल जाता है । जोकि अधिक भोजन ग्रहण करने या गलत आहार ग्रहण करने की वजह से अनियंत्रित होती है ।
उपवास के महत्व की आज विज्ञान भी पुष्टि करता है और वैज्ञानिकों ने का मानना है कम आहार ग्रहण करने वाले व्यक्तियों की उम्र अधिकार ग्रहण करने वाले व्यक्तियों से ज्यादा होती हैं । ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक भोजन ग्रहण करने के कारण बहुत सी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं जोकि मनुष्य की अल्पायु का कारण बनती है ।
अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगा सनातन धर्म संस्कृति सिर्फ एक धर्म नहीं है बल्कि इसका एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक आधार भी है , जोकि धीरे-धीरे लोगों के समक्ष प्रकट हो रहा है ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद 


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