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Sunday, 27 June 2021

पिता, Father,पिता का साया

 "पिता"

धूप में झुलस कर , नंगे पाँव रहकर ।

भूखे पेट सोकर , हालातों से लड़कर ।
जो हार न मानें, वो होता है पिता ।।

जीवन भर कमा कर , पैसो को बचाकर ।
हसरतो को मारकर , बच्चों की खुशी पर ।
जो पल में खर्च कर दे , वो होता है पिता ।।

आँसू को छुपा कर , नकली हसी दिखा कर ।
घर मे मौजूद रह कर , परिवार में सब कुछ सहकर ।
जो सब न्यौछावर कर दे , वो होता है पिता ।।

यदि किसी औलाद पर , पिता का साया नहीं ।
चाहे पा ले वो , दुनिया में सब कुछ ।
पर असलियत में , उसने कुछ पाया नहीं ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986




Saturday, 20 February 2021

दिल शायरी, चाहत

 जब दिल ना मिले तो , मुंह पर ताला लगा लो 

जुबां के तीर चलाने से फायदा क्या है ।
मुमकिन है कि , कल दिल मिल भी जाए
बेफिजूल दरार बढ़ाने से फायदा क्या है ।।

✍विवेक आहूजा 

शौहरत शायरी, शौहरत अर्थ , शौहरत


"शौहरत"  ( मुक्तक )

इंसान पर जब कुछ नहीं होता है ,
वह सारे जहां में रोता है ।
मिल जाती जब "शौहरत" उसे ,
अपना वो आपा खोता है ।
कुदरत का निजाम समझ ओ बंदे ,
"शौहरत" तमाशा पल का होता है ।
गुरुर टिका नहीं किसी का इस जहां में ,
काटता फसल वही बीज जो वो बोता है ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Poem प्राकृति , शायरी, प्रकृति कविता

 प्रकृति के क्रोध से , बच के रहना आप 

सोच समझकर कीजिए ,छोटा-छोटा पाप
धरती तक है कांप रही , देख प्रकृति का रूप
वन तो तुमने काट दिए , बिगाड़ दिया स्वरूप
महादेव के हाथ है , मझधार में अटकी नाव
हमको बस है चाहिए , उनकी कृपा और शीतल छाँव

✍विवेक आहूजा 

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