नाटक :
( इस नाटक में दर्शाया गया है कि कैसे एक युवक (विनय) अपने परिचय को छुपाते हुए बड़ी होशियारी से दफतर के मक्कार बाबू से अपना काम निकलवाता है )शीर्षक : "दफतर का बाबू"
पाञ :
1 - मोहन
2 - बाबू
3 - विनय
*पर्दा उठता है *
(आवास विकास के दफ्तर के बाहर विनय अपने पिताजी जितेंद्र सिंह द्वारा जमा रजिस्ट्रेशन शुल्क की वापसी हेतु विधायक जी का सिफारशी पत्र लेकर खड़ा था ।)
मोहन : हुजूर नमस्कार ! मैं रजिस्ट्रेशन शुल्क
की वापसी के लिए आपसे मिलने आया हूँ , यह
सांसद महोदय ने आपके लिए पत्र भेजा है.........
बाबू : (पत्र पढ़कर उसे एक तरफ करीब-करीब
फेकते हुए) हां हां देख लेंगे .....
मोहन : हुजूर ! मैं फिर पैसे लेने कब आऊं .....
बाबू : अरे भाई ! अभी तो फाइल भी नहीं
निकली , फाइल निकलेगी उसके बाद
जांच होगी , तब चेक बनेगा तो आपको
खबर कर दी जाएगी ..........
मोहन : हुजूर ! वह सांसद महोदय की चिट्ठी भी
लाया था मैं .......
बाबू : मैंने पढ़ लिया भाई ! अब सारा काम छोड़ कर
थोड़े ही तुम्हारा चेक बना दूँगा , थोड़ा समय
तो लगेगा ही , आपको खबर कर दी जाएगी ,
अभी आप जाएं ........
बाबू : (विनय की ओर मुखातिब होते हुए ) आपका
क्या काम है श्रीमान ?
विनय : मुझे आपके अधिकारी से मिलना है "मुझे
शहर विधायक जी ने भेजा है" उनका
कमरा कहां है ? वो तो विधायक जी खुद आ
रहे थे , तभी मंत्री जी का फोन आ गया
और उन्होंने मुझे भेज दिया बात करने
के लिए ........
बाबू : अरे साहब ! बैठो तो सही , क्या बात है ? हमें
भी बता दो , अरे रामलाल दो चाय लाना ....
विनय : अरे भई ! यह कौन है जितेंद्र सिंह , इनका
तुम लोगों ने ₹10000 का रजिस्ट्रेशन
शुल्क रोका हुआ है , यह रोज-रोज विधायक
जी के पास आते हैं , आप सब की
बहुत शिकायत हो रही है ......
बाबू : कोई रजिस्ट्रेशन नंबर है ? जितेंद्र सिंह का , तो
दे ........ मैं अभी देखता हूं ......
विनय : ( पञ निकालते हुए) यह लो यह विधायक
जी ने दिया है , इसमें सब लिखा है .....
बाबू : आप चिंता ना करें , अभी फाइल निकालता
हूं , विधायक जी को मेरा प्रणाम कहिएगा
अरे रामलाल ....चाय का क्या हुआ ? और जरा
10 नंबर की फाइल निकाल देना.......
विनय : मुझे अभी विधायक जी ने वापस बुलाया
है , उन्हें बताना है कि जितेन्द्र सिंह के
मैटर का क्या हुआ ......?
बाबू : अरे साहब ! थोड़ा सब्र करो , अभी फाइल आती है
मैं आपको सब कुछ बताता हूं , आप चाय पियो ...
बाबू : (फाइल देखते हुए) जितेंद्र सिंह का चेक 7
दिनों के अंदर उसके घर पहुंच जाएगा,
"विधायक जी" को आने की आवश्यकता नहीं है
अरे ! और भी तो काम होंगे "विधायक जी" को
विनय : "धन्यवाद" तो फिर मैं चलता हूं , जैसा
आपने कहा है , मैं "विधायक जी" को बता
दूंगा, वह जितेंद्र सिंह से संपर्क करके
उन्हें बता देंगे.... .
( 7 दिन के पश्चात डाक द्वारा जितेन्द्र सिंह के नाम का चेक आवास विकास से प्राप्त हो गया , सरकार को दिया हुआ पैसा वापस पाकर घर में खुशी का माहौल था । )
( नाटक समाप्त )
*पर्दा गिरता है *
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
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