कहानी :
"संदेश"यूरोप में भरतवंशियों का प्रोग्राम चल रहा था , यूरोपियन देशों के भारतवंशियों के अध्यक्ष मिस्टर कुमार स्टेज पर आए और उन्होंने भरतवंशियों द्वारा पूरे विश्व में भारत का परचम लहराने की बात दोहराई और कहा भरतवंशी पूरी दुनिया में छाए हुए हैं, उन्होंने खूब तरक्की करी है पैसा और नाम कमाया है । अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा हम लोग भी देश भक्त हैं , हम भी अपने देश भारत की सेवा करना चाहते हैं , मदद करना चाहते हैं और हर मुश्किल में उसका साथ देना चाहते हैं , मगर कैसे करे ? प्रोग्राम में बैठे सभी भरतवंशी जोकि यूरोप में निवास करते थे उनकी हां में हां मिला रहे थे । प्रोग्राम में मिस्टर विनय भी थे, जो कि भारत में एक प्राइमरी स्कूल के टीचर थे , उन्हे बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था । अपनी बात को समाप्त कर मिस्टर कुमार अपनी सीट पर आकर बैठ गए । अंत में मुख्य अतिथि मिस्टर विनय को अपनी बात रखने का मंच पर आमंत्रण दिया गया ।
मिस्टर विनय ने कहना शुरू किया .....मुझे अच्छा लगा कि आप सब भारत के बारे में इतना सोचते हैं , आपने विदेशों में आकर खूब तरक्की की पैसा कमाया , नाम कमाया , इसमें कोई शक नहीं यह तो भारत के लिए गर्व की बात है । विनय ने आगे कहा जब भी विदेशों में संकट आता है या आएगा इस बात का थोड़ी बहुत संभावना जरूर रहेगी कि आपको वापस अपने वतन भारत भेज दिया जाए । लेकिन आप निश्चिंत रहें प्रत्येक भारतीय आपका खुले दिल से स्वागत करेगा , लेकिन आपका भी अपने देश के प्रति कुछ कर्तव्य बनता है , जिसे आप को पूर्ण करना चाहिए । अपनी बात को विस्तार से बताते हुए विनय बोले मैं मि. कुमार की बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि यदि आप भारत की मदद करना चाहते हैं तो कैसे करें । मैं आपको कुछ सुझाव देता हूं अगर आपको अच्छा लगे तो इस पर अमल करें .......
1- उदाहरणार्थ आपको अपने घर के लिए कुछ सामान खरीदना है तो ऑनलाइन खरीदें और भारतीय कंपनी की वेबसाइट के माध्यम से खरीदे .....
2 - किताबों की खरीदारी करनी हो यह किसी साहित्य की खरीदारी करनी हो तो ऐमेज़ॉन की किंडल वेबसाइट या अन्य किसी वेबसाइट के माध्यम से भारतीय लेखकों की किताबों को खरीदें .....
3 - अगर आपको डोनेशन देना है तो ऑनलाइन किसी और अधिकारिक भारतीय संस्था को दें .....
4 - अगर आपको कहीं यात्रा करनी है तो इंडियन टूरिस्ट कंपनी के माध्यम से अपना टिकट बुक करवाएं .....
यह सब बातें कह कर मिस्टर विनय ने अपनी वाणी को विराम दिया , विनय की बात सुन यूरोपीय भारतवंशी एक दूसरे की बगले झांकने लगे । मिस्टर विनय भारतवंशियों को अपना संदेश दे चुके थे और वह तेज कदमताल के साथ अपनी सीट की ओर बढ़ने लगे ।
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
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