Saturday, 20 February 2021

सर्द हवाएँ

 "सर्द हवाएँ"


ए सर्द हवाओं , यूं ना सताओ
गरीब की मुश्किल , तुम ना बढ़ाओ

गरीब की जान पर , बन आती हो तुम
कुछ तो रहम करो , उसकी जान तुम बचाओ

किसी के लिए , शौक का परवाना हो तुम
आशियाना जिनका नहीं , उनके लिए कितना मुश्किल आना हो तुम

जरा धीरे चलो , थोड़ा रहम करो
बहुत हो चुका , अब चली भी जाओ
"सर्द हवाओं"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

No comments:

Post a Comment

कृपया पोस्ट को शेयर करे ............धन्यवाद