Tuesday, 8 September 2020

आदर्श बहू

लघु कथा :
"आदर्श बहू"
आज मीना ने सुबह उठते ही एलान कर दिया "आज मेरा सम्मान समारोह है और मुझे पूरे दिन उसकी तैयारी करनी है, लिहाजा आप माता जी से कह दे कि वह अपना सारा काम खुद ही देख ले" रमेश ने भी चुपचाप मीना के ऐलान के सामने सरेंडर करते हुए हामी भर दी ।
सारा दिन मीना अपने कपड़ों की सेटिंग में लगी रही कि शाम को क्या पहनना है , कौन सी साड़ी मुझ पर अच्छी लगेगी ,मेकअप आदि .....
आखिर शाम को वह पल भी आ गया जिसका मीना को बरसों से इंतजार था । मंच से पुकार लगी श्रीमती मीना जी को उनकी पुस्तक "आदर्श बहू" के लिए इस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ लेखिका का पुरस्कार दिया जाता है । ऐलान के साथ ही पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंज उठा , मीना भी अपनी आंखों में चमक लिए स्टेज की तरफ बढ़ने लगी, रमेश व उसके माता-पिता सभागार में खोखली हंसी के साथ लोगों की शुभकामनाएं ग्रहण कर रहे थे ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

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