नाटक :
तू कित्ता की
पाञ :
1 - एस पी सिंह उर्फ शीतल प्रसाद
2- वृद्ध व्यक्ति : शीतल प्रसाद के पिता
3 -हासॅटल का गार्ड
डॉ एस पी सिंह अपने पूरे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में शाही अंदाज के लिए जाना जाता था । उसके पास कपड़ों की, जूतों की , भरमार थी कोट पैंट 6 जोड़ी , पेंट कमीज 12 जोड़ी , जूते 6 जोड़ी वगैरा वगैरा वगैरा ....
अपने इसी अंदाज के चलते हैं उसकी गिनती रईस छात्रों में होती थी । घर से अंधाधुध जेबखर्च मिलने की वजह से एसपी सिंह 4 वर्ष होने के पश्चात भी मेडिकल कॉलेज में प्रथम वर्ष से आगे नहीं बढ़ पाया था ।
पर्दा उठता है
हॉस्टल के गेट पर एक शानदार गाड़ी आकर रूकी , उसमें से एक वृद्ध सिल्क का सफेद कुर्ता पजामा पहने उत्तरे ,उन्होंने हॉस्टल के गार्ड से पूछा
वृद्ध व्यक्ति : भइया , शीतल प्रसाद का कमरा कहां है
गार्ड : "अंकल जी ! शीतल प्रसाद नाम का तो कोई
छात्र यहां नहीं रहता , आप यह बताएं कि वे
मेडिकल के किस वर्ष में है"
वृद्ध व्यक्ति : शीतल मेडिकल के चौथे वर्ष में है ।
गार्ड : "सर मै अभी पता करता हूँ"
* कुछ देर बाद *
गार्ड : सर मैने पता पता किया है , एक छाञ एस पी
सिंह है , मगर वो तो प्रथम वर्ष में है ।
वृद्ध व्यक्ति : "क्या बकता है वो तो चौथे वर्ष में है"
गार्ड : नहीं सर आपको कुछ गलत फहमी है वो प्रथम
वर्ष में ही है ।
*गुस्से से तमतमाये वृद्ध व्यक्ति एस पी सिंह उर्फ शीतल प्रसाद के कमरे में पहुंचे *
वृद्ध व्यक्ति : आराम करदा पिया है शीतल ....
शीतल उर्फ एस पी सिंह : नहीं पापा जी ऐवेई लेटा सी....
वृद्ध व्यक्ति : गार्ड ते कैनदा हैं , तू पहले साल इच है ....
शीतल उर्फ एस पी सिंह : वो पापा जी मै कैरया सी ....
वृद्ध व्यक्ति : "कोई गल नी .... तू खेलया होऊगा , सिनेमा देखेया होऊगा....
शीतलउर्फ एस पी सिंह : "पापा जी मैं ते कोई खेल नी खेलदा.... ते मेनू सिनेमा अच्छा नहीं लगदा....
वृद्ध व्यक्ति : "कोई गल नहीं तू कुड़ियां छेड़ी होंयेगी.....
शीतल : "कुड़िया नाल दे मेनू बड़ी शर्म आउदी है ......
वृद्ध व्यक्ति : "कोई गल नहीं तू ताश खेली होयेगी, शराबा पीती होउगी ......
शीतल : "मेनू ताश खेलनी आंऊदी नी, ते शराब ना बाबा ना ......
शीतल के पिताजी ने बेत उठाया और 3/4 बेत शीतल को लगाते हुए बोले : जे तू खेलेया नी , शराबा नी पीती सिनेमा नी देखया "तू किता की" चल सामान बांध ते चल पंजाब तेरे बस दी नी डॉक्टरी .....
पर्दा गिरता है
इसके बाद एसपी सिंह उर्फ शीतल प्रसाद सिंह ने अपना पूरा समान बांधा और अपने पिताजी के साथ वापस पंजाब चले गये ।
( नाटक समाप्त )
( स्वरचित )
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@ 9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
Hindi translation of punjabi words present in bold letters
तू कित्ता की : तूने क्या किया ( शीर्षक का अर्थ)
वृद्ध व्यक्ति : आराम करदा पिया है शीतल ....
( आराम कर रहा है शीतल)
शीतल उर्फ एस पी सिंह : नहीं पापा जी ऐवेई लेटा सी....
( नहीं पापा जी ऐसे ही लेटा हूँ)
वृद्ध व्यक्ति : गार्ड ते कैनदा हैं , तू पहले साल इच है ....
( गार्ड कह रहा है तू पहले साल में है)
शीतल उर्फ एस पी सिंह : वो पापा जी मै कैरया सी ....
( वो पापा जी मै कह रहा था)
वृद्ध व्यक्ति : "कोई गल नी .... तू खेलया होऊगा , सिनेमा देखेया होऊगा....
( कोई बात नहीं .... तू खेला होगा, तूने
सिनेमा देखा होगा)
शीतलउर्फ एस पी सिंह : "पापा जी मैं ते कोई खेल नी खेलदा.... ते मेनू सिनेमा अच्छा नहीं लगदा....
( पापा जी मै कोई खेल नहीं खेलता
और सिनेमा मुझे अच्छा नहीं लगता)
वृद्ध व्यक्ति : "कोई गल नहीं तू कुड़ियां छेड़ी होंयेगी.....
( कोई बात नहीं, तूने लड़कीयो को छेडा
होगा)
शीतल : "कुड़िया नाल दे मेनू बड़ी शर्म आउदी है ......
( लडकियो से मुझे बडी शर्म आती हैं)
वृद्ध व्यक्ति : "कोई गल नहीं तू ताश खेली होयेगी, शराबा पीती होउगी ......
( कोई बात नहीं, तूने शराब पी होगी ताश
खेली होगी )
शीतल : "मेनू ताश खेलनी आंऊदी नी, ते शराब ना बाबा ना ......
( मुझे ताश खेलनी नहीं आती और शराब तो न
बाबा न .....)
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