"तुम्हारी बारी है"
बैनर टंग गया , मंच भी बन गया ।
नेता जी आ गए , मंच पर छा गए ।
जनता के बीच से आई आवाज "यह भ्रष्ट है , चोर है" नेताजी सकपकाए ,बोले मेरे भाये ।
मैं कुछ कहना चाहता हूं , आप ही का भ्राता हूं ।
नेता जी ने कहना शुरू किया , मैंने पैसा कमाया है ।
इसके पीछे , मेरे गरीब हालातों की छाया है ।
नेताजी आगे बोले , अब मैं कसम खाता हूं ।
नहीं दूंगा शिकायत का मौका , सबको बतलाता हूं ।
तभी नेता जी की पत्नी भी मंच पर खड़ी हो गई ।
उन्होंने कहा "यह इनकी बिल्कुल नई पारी है"
मेरा यकीन करो इस बार पैसा कमाने की "तुम्हारी बारी है"
जनता तो बेचारी है ,आज नेताजी की शपथ ग्रहण
की तैयारी है ।।
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
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