Tuesday, 15 September 2020

दिखावा

 मुद्दा :


दिखावा

आज के दौर में समाज में उपस्थित सभी वर्ग में सोशल मीडिया ने अपने पांव पसार लिए हैं । सोशल मीडिया के विभिन्न एप्स जैसे फेसबुक, टि्वटर ,व्हाट्सएप आदि पूरे हिंदुस्तान पर अपना कब्जा जमा जमा हुए हैं ।चाहे 10 वर्ष का किशोर हो या 80 वर्ष का प्रौण सभी लोग इसकी चपेट में है ।कम उम्र के बच्चे अपनी उम्र अधिक दर्शा कर इसमें आसानी से अपना अकाउंट बना लेते हैं। इसमें प्रवेश संबंधी कोई सख्त कानून नहीं है, इसी कारण छोटे-छोटे बच्चे भी इसे आसानी से चला लेते हैं।
सोशल मीडिया में अपने आप को बड़ा दानवीर शूरवीर दिखाने का भी प्रचलन आजकल जोरों पर है। कुछ लोग गरीबों को सम्मान देते हुए या उनकी किसी प्रकार से मदद करते हुए फोटो पोस्ट करना बड़ा गर्व महसूस करते हैं। मुझे उनके मदद करने से कोई एतराज नहीं है बल्कि यह तो एक अच्छी बात है, मैं उनकी मदद करने की भावना की कद्र करता हूं, परंतु इन सोशल मीडिया के माध्यम से इस तरह की फोटो को पोस्ट करके दिखावा करना , इस नीति पर मुझे ऐतराज है। मेरा मानना यह है कि किसी गरीब की बार-बार मदद करना से अच्छा है उसे आत्मनिर्भर बनाया जाए, उसे कोई कार्य दिया जाए जिससे कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके और उसकी मांगने की आदत ना पड़े।
यदि आपको कोई दान ही करना है तो दान की महिमा दान को गुप्त रहने में ही है। यह बात हम नॉर्वे जो कि यूरोप का एक देश है भली-भांति सीख सकते हैं । मैं उसके विषय में आपके साथ दो चार बातें साझा करना चाहता हूं , उनकी इस प्रथा को देखकर हम सब को बड़ी हैरानी होगी कि लोग अपने लोगों की मदद किस प्रकार करते हैं। मदद करने वाले को यह पता नहीं होता कि मैं किसकी मदद कर रहा हूं और मदद लेने वाले को यह भी पता नहीं होता कि मैं किस से मदद ले रहा हूं । यह प्रथा अपने आप में बड़ी विचित्र है और इसे भारतवर्ष में भी अपनाने की अत्यंत आवश्यकता है।
इस बात को हम इस प्रकरण से आसानी से समझ सकते हैं ....
नॉर्वे के एक रेस्तरां के कैश काउंटर पर एक महिला आई और कहा, "पांच कॉफी, एक निलंबित" .
पांच कॉफी के पैसे दिए और चार कप कॉफी ले गई .
एक और आदमी आया , उसने कहा , "चार भोजन , दो निलंबित", उसने चार भोजन के लिए भुगतान किया और दो लंच पैकेट लिया .
एक और आया और उसने आदेश दिया , "दस कॉफी , छः निलंबित", उसने दस के लिए भुगतान किया और चार कॉफी ले ली .
थोड़ी देर के बाद एक बूढ़ा आदमी जर्जर कपड़ों मॅ काउंटर पर आया , "कोई निलंबित कॉफी है ?" उसने पूछा.
काउंटर पर मौजूद महिला ने कहा , "हाँ", और एक कप गर्म कॉफी उसको दे दी .
कुछ क्षण बाद जैसे ही एक और दाढ़ी वाला आदमी अंदर आया और उसने पूछा "एनी सस्पेंडेड मील्स ?" तो काउंटर पर मौजूद आदमी ने गर्म खाने का एक पार्सल और पानी की बोतल उसको दे दी .
अपनी पहचान न कराते हुए और किसी के चेहरे को जाने बिना भी अज्ञात गरीबों , जरुरमन्दों की मदद करना महान मानवता है ।
भारत में भी इस प्रकार की निलंबन प्रथा ( भोजन ) की संभावनाओं का पता लगाया जाना चाहिए ।

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

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