नाटक
"पकोड़ी का दोना"
पाञ :
1 - मुन्ना (उम्र 6 वर्ष)
2 - बबली (उम्र 10 वर्ष)
3 - ठग न0 1
4 - ठग न0 2
बाजार में सामान की रखवाली के लिए मुन्ना और बबली को छोड़कर उनके माता-पिता बाजार सामान लेने चले गए , साथ ही उन्हें ₹10 की पकौड़ी दिलवा गए ताकि वह सामान के पास बैठ कर उसे खाते रहे।
पर्दा उठता है :
मुन्ना : मम्मी मुझे पकौड़ी दिलवाकर गई हैं , मैं तुझे इसमें
से एक भी पकौड़ी नहीं खाने दूंगा ....
बबली : मुन्ना मेरे भैया एक पकौड़ी दे दे ना.....
मुन्ना : मैं नहीं दूंगा एक बार कह दिया ना ......
बबली : भैया मेरे भैया एक पकौड़ी दे दे ....
मुन्ना : नही दूंगा, नहीं दूंगा...................
ठग नंबर 1 : (मुन्ना के दोने से एक पकौड़ी निकाल
कर खा लेता है )
मुन्ना : यह मेरी पकौड़ी है , तुमने क्यों ली.....
बबली : तुमने मेरे भाई की पकौड़ी कैसे खाई ...
ठग नंबर 2 : (ठग नंबर 1 को एक चांटा
मारते हुए ) साले शर्म नहीं आती
बच्चों की पकौड़ी खा गया , जा
इन्हे सामने से पकौड़ी
दिलवा के ला .....
ठग नंबर 1 : ओह ! गलती हो गई ......मुझसे
"बच्चो" कान पकडता हूँ .....
चलो तुम्हें सामने ठेले से
"पकौड़ी का दोना" दिलवा कर लाता हूँ ।
ठग नंबर 1 : (पकौड़ी वाले के पास पहुंच कर )
अरे भैया , बच्चों को ₹10 की पकौड़ी दे
दो । (और वहां से ठग नंबर 1 नजर
बचाकर फरार हो गया )
ठग नंबर 2 बच्चों का सामान लेकर फरार हो गया ,
इस प्रकार बच्चों को "पकौड़ी का दोना" मिल जाता है और उनका सामान लूट जाता है ।
पर्दा गिरता है
(नाटक समाप्त)
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
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