Saturday, 20 February 2021

तिरंगा , भारत का ध्वज , तिरंगा झुकने ना देंगे


 तिरंगे का ये अपमान , नहीं सहेगा हिन्दुस्तान 

उपद्रवियों के हुडदंग से , जनता हो रही परेशान
नेताओ की चाल से , अन्नदाता अनजान
देश का मान रख न सका , वो कैसा किसान
26 जनवरी है , देश का गौरवशाली पर्व
दुख हैं इस बात का , नहीं तुम्हे इस पर गर्व


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद



सर्द हवाएँ

 "सर्द हवाएँ"


ए सर्द हवाओं , यूं ना सताओ
गरीब की मुश्किल , तुम ना बढ़ाओ

गरीब की जान पर , बन आती हो तुम
कुछ तो रहम करो , उसकी जान तुम बचाओ

किसी के लिए , शौक का परवाना हो तुम
आशियाना जिनका नहीं , उनके लिए कितना मुश्किल आना हो तुम

जरा धीरे चलो , थोड़ा रहम करो
बहुत हो चुका , अब चली भी जाओ
"सर्द हवाओं"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

शौहरत शायरी, शौहरत अर्थ , शौहरत


"शौहरत"  ( मुक्तक )

इंसान पर जब कुछ नहीं होता है ,
वह सारे जहां में रोता है ।
मिल जाती जब "शौहरत" उसे ,
अपना वो आपा खोता है ।
कुदरत का निजाम समझ ओ बंदे ,
"शौहरत" तमाशा पल का होता है ।
गुरुर टिका नहीं किसी का इस जहां में ,
काटता फसल वही बीज जो वो बोता है ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

Poem प्राकृति , शायरी, प्रकृति कविता

 प्रकृति के क्रोध से , बच के रहना आप 

सोच समझकर कीजिए ,छोटा-छोटा पाप
धरती तक है कांप रही , देख प्रकृति का रूप
वन तो तुमने काट दिए , बिगाड़ दिया स्वरूप
महादेव के हाथ है , मझधार में अटकी नाव
हमको बस है चाहिए , उनकी कृपा और शीतल छाँव

✍विवेक आहूजा 

जिंदगी , जिदंगी क्या है, zindgi



जिंदगी जीने का नाम है ,

सुख और दुःख इसके इनाम है ,

गिरो, उठो और उठ कर बढो ,
यही इसका पैगाम है ,
दुखो पर जो जीत पा जाए ,
उसे सौ सौ सलाम है ।।

"जिंदगी जीने का नाम है"

✍विवेक आहूजा 

हिन्दुस्तान

 "हिन्दुस्तान" 


सारे जहाँ से झुक न सके , वो हिन्दुस्तान हमारा है
हमको अपनी जान से प्यारा , अपना ये भारत न्यारा है
कशमीर से कन्याकुमारी तक , इसका झन्डा लहराता है
देश का दुश्मन , यहाँ आने का सोच कर भी घबराता है
सारे विश्व में भारतवर्ष का , हरदम परचम लहराता है
हम सब है यहाँ भाई भाई , बच्चा बच्चा गाता है
जल सेना हो या थल सेना , भारत के रखवाले है
चारों दिशाओं के प्रहरी , वायुसेना के मतवाले हैं
जब जब दुश्मन ने , हमको ऑख दिखाई है
तब तब हमारे वीरों ने , उनको धूल चटाई है
"भारत माता की जय"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Likhe jo khat

 "खत

मैंने उसे खत लिखा , यह सोच कर कि जवाब आएगा ।
मुझ बदनसीब के हिस्से में भी , शायद थोड़ा शबाब आएगा ।
उसने फाड़ कर फेंक दिया , मेरे खत को ।
सोचा ना था , नतीजा इतना खराब आएगा ।
अब हिम्मत नहीं , किसी को भी खत लिखने की मेरी ।
क्या पता जवाब , खराब या लाजवाब आएगा ।।
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

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