नीट की परीक्षा में सफल होना है तो 11वीं से ही लगना होगा :
नेशनल टेस्ट एजेंसी द्वारा प्रतिवर्ष ऑल इंडिया स्तर पर
एमबीबीएस / बीडीएस में चयन हेतु नीट की परीक्षा का आयोजन किया जाता है , जो कि देश की काफी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है । इस परीक्षा में करीब पंद्रह लाख विद्यार्थी प्रतिवर्ष बैठते हैं , एमबीबीएस / बीडीएस की सरकारी सीट प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी कड़ी मेहनत करते हैं । आज इसी विषय पर मैं आपसे कुछ बातें साझा करना चाहता हूं । नीट की परीक्षा में फिजिक्स , केमिस्ट्री , जूलॉजी व बॉटनी का पेपर होता है जो 12वीं के सिलेबस के अनुसार लिया जाता है । पिछले कुछ वर्षों से देखने को मिला है की नीट में चयन साल दर साल मुश्किल होता जा रहा है, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस करोड़ों में पहुंच गई है ,जो आम आदमी के बस से बाहर की बात है । जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नीट परीक्षा के माध्यम से होता है जो इतना कठिन है की परीक्षा में बैठने वाले कुल परीक्षार्थियों में से 3 से 4% बच्चे ही उसमें बमुश्किल प्रवेश कर पाते हैं । नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को 11वीं कक्षा से ही अपनी पढ़ाई के स्तर में काफी सुधार लाना होगा ,जिसकी आज हम क्रमवार चर्चा करेंगे .......1 - मेडिकल प्रवेश परीक्षा से पूर्व , विद्यार्थी 11वीं कक्षा से ही कोचिंग लेना शुरू कर देते हैं ऐसा नहीं है कि बगैर कोचिंग के किसी का सिलेक्शन नहीं होता मगर प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश के लिए कोचिंग सेंटर के माध्यम से परीक्षाओं के पैटर्न का पता चलता है , जिसे जानना किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत जरूरी है । कुछ मेधावी छात्र बगैर किसी कोचिंग के भी सफल हुए हैं , परंतु उनकी संख्या बहुत कम है ।
2 - मेडिकल प्रवेश की कोचिंग दो तरह की होती है पहली रेगुलर क्लास जिसने सप्ताह में 4 या 5 दिन स्कूल के समय के बाद विद्यार्थी कोचिंग करते हैं , दूसरी वीकेंड क्लास जो सप्ताह में 2 दिन शनिवार इतवार को होती है जो सुबह से शाम तक चलती है । अब यह चयन विद्यार्थियों को स्वयं करना होता है कि उसे किस प्रकार की कोचिंग करनी है क्योंकि यह कोचिंग काफी महंगी होती है । अतः कुछ कोचिंग सेंटर इसमें स्कॉलरशिप भी देते हैं जिसमें स्कॉलरशिप के एग्जाम के बाद में कुछ प्रतिशत के हिसाब से मेघावी छात्रों को फीस में रियायत मिल जाती है ।
3 - कोचिंग संस्थान का चयन : विद्यार्थियों को सबसे पहले दसवीं में उत्तीर्ण होने के पश्चात यह तय करना होता है कि वह किस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करना चाहता है । यह बहुत आवश्यक कदम है , क्योंकि कोचिंग सेंटर का चयन उसकी गुणवत्ता के आधार पर होना चाहिए इसके लिए छात्र पहले उस सेंटर जिसमें वह कोचिंग करना चाहता है का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर चेक करें , हालांकि किसी भी परीक्षा में चयन छात्र की अपनी मेहनत पर निर्भर करता है । परंतु कोचिंग सेंटर्स का छात्र की मेहनत को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण रोल होता है , अत: जिस सेंटर पर प्रतिवर्ष नीट परीक्षा का चयन का प्रतिशत अधिक हो , वही सेंटर विद्यार्थियों को चुनना चाहिए । इसके पश्चात विद्यार्थियों को यह तय करना है कि वह रेगुलर क्लासेस में कोचिंग करेगा या वीकेंड क्लासेस में ,यह छात्र की अपनी समझ व सुविधा पर निर्भर करता है ।
4 - डमी ऐडमिशन : पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए जब विद्यार्थी 11वीं में कोचिंग करते हैं तो वह डमी एडमिशन की प्रक्रिया को अपनाने लगे हैं । इस प्रक्रिया में विद्यार्थी एक प्रकार से 11वीं व 12वीं कक्षा प्राइवेट फॉर्म भर कर देते हैं और पूरी तरह से नीट की परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं तथा बीच-बीच में डमी एडमिशन वाले स्कूल में अर्ध वार्षिक व फाइनल के एग्जाम दे देते हैं । इस प्रक्रिया को अपनाकर भी कई विद्यार्थियों ने नीट की अच्छी तैयारी कर सफलता पाई है । डमी ऐडमिशन पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलिंग की प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत छात्र स्कूल सिस्टम से पूरी तरह कट जाता है । यह अब उस पर निर्भर करता है कि वह इस प्रक्रिया को अपनाकर नीट की कोचिंग में व्यस्त होना चाहता है या स्कूल के साथ-साथ वीकेंड या रेगुलर क्लास लेकर साथ साथ कोचिंग करना चाहता है ताकि समय समय पर स्कूल में होने वाले टेस्ट में वह अपने द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच कर सके । मेरे अपने हिसाब से वीकेंड क्लास छात्र के लिए बेहतर विकल्प है जो कि स्कूल की शिक्षा के साथ-साथ हो इससे छात्र पर पढ़ाई का अतिरिक्त भार नहीं पड़ता और इसके द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच स्कूल में ली गई समय-समय पर परीक्षा से होती रहती है और वह अपनी स्थिति को बेहतर समझ सकता है ।
अंत में बस मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि सभी छात्रों की परिवारिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती कि वह महंगी महंगी कोचिंग कर सकें । छात्रों को स्वयं से ही इतनी मेहनत कर खुद ही सक्षम होकर इस तरह की परीक्षा को पास करना चाहिए । इसके अलावा सरकार से भी यह विनम्र निवेदन है कि वह आर्थिक रूप से दुर्बल मेघावी छात्रों के लिए , यदि उन्हें कोचिंग की आवश्यकता पड़े तो वह इसकी कुछ व्यवस्था करें ताकि भारत का भविष्य चमकदार बन सके ।
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
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