Tuesday, 15 September 2020

लाडली

 लाडली


ओ मेरी लाडली , घर के बाहर तुम जाना नहीं ,
बाहर गर जाओ ,तो लेकर कुछ खाना नहीं ।
बड़ी हो गई हो तुम , ज्यादा पड़ेगा तुम्हें समझाना नहीं , वक्त है खराब ,भलाई का जमाना नहीं ।
अच्छे से समझ लो तुम ,गर तुमने मेरा कहा माना नहीं ,
जमाने का क्या भरोसा, बाद में पछताना नहीं ।।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com


बचपन

 "बचपन"

बचपन के दिन भूल ना जाना ,
रस्ते में वो चूरन खाना ,
छतों पे चढ़कर पतंग उड़ाना ,
रूठे यारों को वह मनाना ,बचपन के दिन भूल ना जाना । 
अपना था वो शाही जमाना ,
सिनेमा हॉल को भग जाना ,
दोस्तों की मंडली बनाना ,बचपन के दिन भूल न जाना । 
खेलने जाने का वो बहाना ,
पढ़ने से जी को चुराना ,
मास्टर जी से वो मार खाना, बचपन के दिन भूल ना जाना 
हाथ में होते थे चार आना , ।
फितरत होती थी सेठाना ,
मुश्किल है ये सब कुछ भुलाना, बचपन के दिन भूल ना
जाना ।।



(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

हिंदी

 हिंदी दिवस के अवसर पर : 


प्रेमचंद हो ,महादेवी हो ,या हो जयशंकर प्रसाद । 
हिंदी दिवस पर आ रहे ,हमको सब ये याद ।
इन लोगों ने रखा है , सदा हिन्दी का मान ।
हमको अब हैं चाहिए, करना इनका सम्मान ।।


विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com 

हिंदी



"हिंदी"

कभी होती थी देश में ,भाषा हिंदी प्रधान ।
धीरे-धीरे खो रही , अपनी यह पहचान ।
कदम कदम पर हो रहा ,अब इसका अपमान ।
जगह जगह हो गया , कम इसका सम्मान ।
डिजिटल युग में हो रहा , नहीं इसका उत्थान ।
आंग्ल भाषा सबको प्रिय , इसका कौन करे गुणगान ।।


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Tuesday, 8 September 2020

आदर्श बहू

लघु कथा :
"आदर्श बहू"
आज मीना ने सुबह उठते ही एलान कर दिया "आज मेरा सम्मान समारोह है और मुझे पूरे दिन उसकी तैयारी करनी है, लिहाजा आप माता जी से कह दे कि वह अपना सारा काम खुद ही देख ले" रमेश ने भी चुपचाप मीना के ऐलान के सामने सरेंडर करते हुए हामी भर दी ।
सारा दिन मीना अपने कपड़ों की सेटिंग में लगी रही कि शाम को क्या पहनना है , कौन सी साड़ी मुझ पर अच्छी लगेगी ,मेकअप आदि .....
आखिर शाम को वह पल भी आ गया जिसका मीना को बरसों से इंतजार था । मंच से पुकार लगी श्रीमती मीना जी को उनकी पुस्तक "आदर्श बहू" के लिए इस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ लेखिका का पुरस्कार दिया जाता है । ऐलान के साथ ही पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंज उठा , मीना भी अपनी आंखों में चमक लिए स्टेज की तरफ बढ़ने लगी, रमेश व उसके माता-पिता सभागार में खोखली हंसी के साथ लोगों की शुभकामनाएं ग्रहण कर रहे थे ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

संसमरण

 संस्मरण : बचपन की मधुर यादे

जीके और मै दोनों ने जल्द ही अपना हाईस्कूल का पूरा सिलेबस कर लिया था और बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए थे । उन दिनों प्री बोर्ड का चलन नहीं था , लिहाजा छमाही परीक्षा ही प्री बोर्ड की तरह होती थी । छमाई परीक्षाओं में पूरा कोर्स आता था , हम दोनों अपने क्लास टीचर से मिलने गए और उनसे पूछा की इस अर्धवार्षिक परीक्षा का क्या महत्व है । तब हमारे क्लास टीचर ने कहा कि यह परीक्षा सिर्फ प्रैक्टिस के लिए है, इसके नंबर कहीं नहीं जुड़ेंगे ।शायद इसका रिजल्ट भी ना आए, क्लास टीचर से बात कर हम हॉस्टल आ गए और यह सोचने लगे की अर्धवार्षिक परीक्षा दे या ना दे, पहले तो दोनों ने यह विचार करा की चलो परीक्षा देने में क्या हर्ज है और इस प्रकार पहला पेपर दे दिया । परंतु पहला पेपर देने के बाद दोनों ने सोचा इस प्रकार तो काफी समय नष्ट हो जाएगा , हम परीक्षा ना देकर के घर पर ही तैयारी करें तो ज्यादा बेहतर होगा । हॉस्टल के वॉर्डन , स्कूल के टीचर आदि जितने भी शुभचिंतक थे उन लोगों ने हमको बहुत समझाया कि यह परीक्षा तुम्हारे फायदे के लिए ही है, लेकिन हम मानने को तैयार नहीं थे । हमारा तर्क था कि हम घर पर ज्यादा बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं ।इस प्रकार हमने अगला पेपर छोड़ दिया ।
अब मैने और जीके ने सोचा की घर जाकर तो तैयारी करनी है , तो पहले आज चलो पिक्चर देख लेते हैं और दोनों पिक्चर देखने चले गए । अगले दिन हम बिलारी आ गए , वहां से जीके अपने गांव चले गए घर पहुंचकर मैने अपनी माता जी को सारी बात बताई कि वह अर्धवार्षिक परीक्षा नहीं दे रहे हैं और घर पर रहकर ही बोर्ड एग्जाम की तैयारी करेंगे । मेरी बात सुनकर माताजी चुप रही व कुछ ना बोली , जब दोपहर को पिता जी घर आए तो उन्होंने मेरे द्वारा कही गई सारी बात पिताजी को बताई , अभी यह बात चल ही रही थी कि किसी ने दरवाजा खटखटाया , मैने फौरन दरवाजा खोल कर देखा तो वहां जीके व उसके दोनों बड़े भाई खड़े थे । अब तो मेरे पिताजी व जीके के दोनों भाइयों ने मिलकर हम दोनों की बहुत डांट लगाई और हमे तुरंत वापस जाकर अर्धवार्षिक परीक्षा में शामिल होने का आदेश पारित कर दिया , अभी तो घर पर हमने पिक्चर वाली बात नहीं बताई थी वरना क्या होता कहना मुश्किल था । घरवालों के हुक्म के मुताबिक हम दोनों वापस हॉस्टल आ गए और अगले दिन की अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी मे जुट गए , सुबह जब क्लास टीचर , वार्डन आदि लोगों ने हमे देखा तो वह मन ही मन मुस्कुराए और उन्हें समझते देर न लगी के कान कहां से उमठे गए हैं । कुछ दिन तक हमे बड़ा असहज लगा लेकिन बाद में जीवन चर्या आराम से बीतने लगी ।


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
9410416986

Friday, 4 September 2020

पासा

कहानी :
"पासा"
एक दिन रमेश के पास उसके बड़े भाई अजय का फोन आया, हालचाल जानने के पश्चात अजय ने रमेश से कहा "तुम तो गांव में रहते हो वहां पढ़ाई के लिए कोई अच्छा स्कूल भी नहीं है , लिहाजा अपनी बेटी रमा को मेरे पास पढ़ने के लिए भेज दो , मेरी भी कोई बेटी नहीं है मुझे भी बेटी का सुख मिल जाएगा" यह सुन रमेश अति प्रसन्न हुआ कि उसके बड़े भाई उसका कितना ख्याल रखते हैं । घर में पत्नी से मंत्रणा कर रमेश ने अपने बेटे विनय को के साथ रमा को अजय के घर छोड़ने के लिए भेज दिया , घर पहुंचते ही ताई जी ने विनय से पूछा कैसे आना हुआ सब खैरियत तो है । यह सुन विनय को बड़ा अचरज हुआ कि अजय ताऊ जी ने घर पर कुछ नहीं बताया था । लेकिन फिर भी विनय ने ताई जी से कहा मैं रमा को आपके घर छोड़ने के लिए आया हूं ,ताकि यह शहर में पढ़ाई कर सकें । ताई जी विनय की बात सुन , चुप हो गई । चाय पानी के पश्चात ताई जी विनय से बोली चलो थोड़ा सैर कर आते हैं सेहत के लिए अच्छी होती है । विनय ने हामी भर दी और उनके साथ सैर करने चला गया । रस्ते में ताई जी ने विनय से कहा तुम्हारे ताऊजी की तुम्हारे पापा से क्या बात हुई मुझे नहीं पता , रमा यहां पर रहे मुझे इस पर कोई एतराज नहीं है , मगर मैं तो बस इतना कहना चाहती हूं की लड़की जात है अगर कोई ऊंच-नीच हो गई तो मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी । ताई जी अपना "पासा" फेंक चुकी थी, विनय भी काफी समझदार था वह उनका मतलब अच्छे से समझ गया था । वह चुप रहा और घर आकर रमा से बोला चलो वापस घर चलते हैं , इस वर्ष स्कूलों में सभी सीटें फुल हो गई हैं अगले वर्ष एडमिशन की पुनः कोशिश करेंगे ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

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