Thursday, 14 January 2021

Neet exam,नीट परीक्षा

 नीट की परीक्षा में सफल होना है तो 11वीं से ही लगना होगा : 

नेशनल टेस्ट एजेंसी द्वारा प्रतिवर्ष ऑल इंडिया स्तर पर

 एमबीबीएस / बीडीएस में चयन हेतु नीट की परीक्षा का आयोजन किया जाता है , जो कि देश की काफी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है । इस परीक्षा में करीब पंद्रह लाख विद्यार्थी प्रतिवर्ष बैठते हैं , एमबीबीएस / बीडीएस की सरकारी सीट प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी कड़ी मेहनत करते हैं । आज इसी विषय पर मैं आपसे कुछ बातें साझा करना चाहता हूं । नीट की परीक्षा में फिजिक्स , केमिस्ट्री , जूलॉजी व बॉटनी का पेपर होता है जो 12वीं के सिलेबस के अनुसार लिया जाता है । पिछले कुछ वर्षों से देखने को मिला है की नीट में चयन साल दर साल मुश्किल होता जा रहा है, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस करोड़ों में पहुंच गई है ,जो आम आदमी के बस से बाहर की बात है । जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नीट परीक्षा के माध्यम से होता है जो इतना कठिन है की परीक्षा में बैठने वाले कुल परीक्षार्थियों में से 3 से 4% बच्चे ही उसमें बमुश्किल प्रवेश कर पाते हैं । नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को 11वीं कक्षा से ही अपनी पढ़ाई के स्तर में काफी सुधार लाना होगा ,जिसकी आज हम क्रमवार चर्चा करेंगे .......
1 - मेडिकल प्रवेश परीक्षा से पूर्व , विद्यार्थी 11वीं कक्षा से ही कोचिंग लेना शुरू कर देते हैं ऐसा नहीं है कि बगैर कोचिंग के किसी का सिलेक्शन नहीं होता मगर प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश के लिए कोचिंग सेंटर के माध्यम से परीक्षाओं के पैटर्न का पता चलता है , जिसे जानना किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत जरूरी है । कुछ मेधावी छात्र बगैर किसी कोचिंग के भी सफल हुए हैं , परंतु उनकी संख्या बहुत कम है ।
2 - मेडिकल प्रवेश की कोचिंग दो तरह की होती है पहली रेगुलर क्लास जिसने सप्ताह में 4 या 5 दिन स्कूल के समय के बाद विद्यार्थी कोचिंग करते हैं , दूसरी वीकेंड क्लास जो सप्ताह में 2 दिन शनिवार इतवार को होती है जो सुबह से शाम तक चलती है । अब यह चयन विद्यार्थियों को स्वयं करना होता है कि उसे किस प्रकार की कोचिंग करनी है क्योंकि यह कोचिंग काफी महंगी होती है । अतः कुछ कोचिंग सेंटर इसमें स्कॉलरशिप भी देते हैं जिसमें स्कॉलरशिप के एग्जाम के बाद में कुछ प्रतिशत के हिसाब से मेघावी छात्रों को फीस में रियायत मिल जाती है ।
3 - कोचिंग संस्थान का चयन : विद्यार्थियों को सबसे पहले दसवीं में उत्तीर्ण होने के पश्चात यह तय करना होता है कि वह किस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करना चाहता है । यह बहुत आवश्यक कदम है , क्योंकि कोचिंग सेंटर का चयन उसकी गुणवत्ता के आधार पर होना चाहिए इसके लिए छात्र पहले उस सेंटर जिसमें वह कोचिंग करना चाहता है का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर चेक करें , हालांकि किसी भी परीक्षा में चयन छात्र की अपनी मेहनत पर निर्भर करता है । परंतु कोचिंग सेंटर्स का छात्र की मेहनत को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण रोल होता है , अत: जिस सेंटर पर प्रतिवर्ष नीट परीक्षा का चयन का प्रतिशत अधिक हो , वही सेंटर विद्यार्थियों को चुनना चाहिए । इसके पश्चात विद्यार्थियों को यह तय करना है कि वह रेगुलर क्लासेस में कोचिंग करेगा या वीकेंड क्लासेस में ,यह छात्र की अपनी समझ व सुविधा पर निर्भर करता है ।
4 - डमी ऐडमिशन : पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए जब विद्यार्थी 11वीं में कोचिंग करते हैं तो वह डमी एडमिशन की प्रक्रिया को अपनाने लगे हैं । इस प्रक्रिया में विद्यार्थी एक प्रकार से 11वीं व 12वीं कक्षा प्राइवेट फॉर्म भर कर देते हैं और पूरी तरह से नीट की परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं तथा बीच-बीच में डमी एडमिशन वाले स्कूल में अर्ध वार्षिक व फाइनल के एग्जाम दे देते हैं । इस प्रक्रिया को अपनाकर भी कई विद्यार्थियों ने नीट की अच्छी तैयारी कर सफलता पाई है । डमी ऐडमिशन पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलिंग की प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत छात्र स्कूल सिस्टम से पूरी तरह कट जाता है । यह अब उस पर निर्भर करता है कि वह इस प्रक्रिया को अपनाकर नीट की कोचिंग में व्यस्त होना चाहता है या स्कूल के साथ-साथ वीकेंड या रेगुलर क्लास लेकर साथ साथ कोचिंग करना चाहता है ताकि समय समय पर स्कूल में होने वाले टेस्ट में वह अपने द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच कर सके । मेरे अपने हिसाब से वीकेंड क्लास छात्र के लिए बेहतर विकल्प है जो कि स्कूल की शिक्षा के साथ-साथ हो इससे छात्र पर पढ़ाई का अतिरिक्त भार नहीं पड़ता और इसके द्वारा ली गई कोचिंग की गुणवत्ता की जांच स्कूल में ली गई समय-समय पर परीक्षा से होती रहती है और वह अपनी स्थिति को बेहतर समझ सकता है ।
अंत में बस मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि सभी छात्रों की परिवारिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती कि वह महंगी महंगी कोचिंग कर सकें । छात्रों को स्वयं से ही इतनी मेहनत कर खुद ही सक्षम होकर इस तरह की परीक्षा को पास करना चाहिए । इसके अलावा सरकार से भी यह विनम्र निवेदन है कि वह आर्थिक रूप से दुर्बल मेघावी छात्रों के लिए , यदि उन्हें कोचिंग की आवश्यकता पड़े तो वह इसकी कुछ व्यवस्था करें ताकि भारत का भविष्य चमकदार बन सके ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

होलीडे ,HOLIDAY

 बाल कथा

"हॉलीडे"

EPISODE : 1

सुनील और विनय कि आज हाई स्कूल की परीक्षा का अंतिम दिन था , परीक्षा के पश्चात सभी सहपाठी एक दूसरे से गले मिलकर बधाई दे रहे थे । सुनील गांव का रहने वाला युवक था , अतः विनय से बोला "अब हमारी मुलाकात तीन-चार माह के पश्चात ही होगी , क्योंकि मुझे अपने परिवार के पास गांव जाना है, उनसे मिले भी काफी समय हो गया हैं" विनय ने सुनील से कहा "कुछ दिन शहर में रुक जाते तो हम लोग साथ-साथ घूम सकते थे" लेकिन सुनील ने अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए विनय से विदा ली । सुनील में विनय को गांव आने का आमंत्रण भी दिया विनय ने कहा "मैं तुम्हारे पास इन गर्मियों की छुट्टी में अवश्य मिलने आऊंगा"
हाई स्कूल की परीक्षा को करीब एक माह बीत चुका था और रिजल्ट आने में अभी 15 दिन का समय बाकी था । विनय का अपने दोस्तों के बिना शहर में मन नहीं लग रहा था , विनय ने अपने दोस्त सुनील से बात करने की सोची और उसे फोन मिला दिया फोन पर बात कर सुनील भी बहुत प्रसन्न हुआ और विनय से गांव आने की जिद करने लगा । विनय ने थोड़ा संकोच के साथ माता-पिता की इजाजत के बाद ही गांव आने का वादा किया । अपने माता-पिता से गांव जाने की इजाजत मिलने पर विनय गांव की ओर रवाना हो गया , सुनील बेसब्री से गांव के बस अड्डे पर ही विनय का इंतजार कर रहा था, बस के गांव में प्रवेश करते ही विनय के शरीर में अजीब सा रोमांच पैदा हो गया क्योंकि आज से पहले वह किसी गांव में नहीं गया था । बस अड्डे पर सुनील ने बड़ी गर्मजोशी के साथ विनय का स्वागत किया , उसके साथ गांव के मित्र व उसके माता-पिता भी थे । विनय अपना इस तरह का स्वागत देख बहुत ही भावुक हो गया और सुनील को अपने गले से लगा लिया व बोला "मैंने ठीक ही सुना था , गांव के लोग बहुत साफ मन वाले व दिलदार होते हैं" एक दिन आराम करने के पश्चात अगली सुबह सुनील , विनय को अपने खेत आदि दिखाने ले गया और खेती-बाड़ी के सारे तौर तरीके उसे समझाएं , इसके अलावा वे अपने गांव के प्रधान जी से भी विनय की मुलाकात करवाने विनय को ले गया । जिज्ञासु स्वभाव के कारण विनय प्रधान जी से गांव की सारी कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास करता रहा कि गांव में किस प्रकार से सरकारी कार्य को अंजाम दिया जाता है । ग्राम प्रधान जी बड़े प्यार से विनय को सब समझाते रहे, विनय उनसे मिलकर बहुत खुश हुआ, सारा दिन गाव में घुमने के पश्चात विनय व सुनील वापस सुनील के घर आ जाते हैं । विनय , सुनील से कहता है "यार तुम्हारा गांव तो बहुत ही छोटा है, हम एक दिन में ही पूरा गांव घूम लिए" सुनील पलटकर जवाब देता है, अभी तुमने हमारा गांव देखा ही कहां है , हमारे गांव के साथ हजारों बीघा का जंगल है , जिसमें सुंदर-सुंदर पेड़ पौधे हैं ,पहाड़ झरने हैं ,बहुत से प्राकृतिक दृश्य हैं यह सुन विनय की उत्सुकता बढ़ जाती है और वह सुनील के साथ अगली सुबह जंगल घूमने का प्रोग्राम फाइनल कर देता है ।
अगली सुबह उठकर विनय व सुनील दोनों जंगल की ओर घूमने के लिए तैयार होने लगे , जंगल का प्रोग्राम सुन घरवालों ने उन्हें समझाया कि बेटा जल्दी वापस आ जाना , जंगल में बहुत से जंगली जानवर है और वह बहुत घना भी है । दोनों जंगल में ज्यादा दूर ना जाने का वादा कर जंगल घुमने चले जाते हैं । घूमते घूमते विनय व सुनील दोनों को बहुत तेज भूख लगने लगी उन्होंने पेड़ों से कुछ फल तोड़े व खाने लगे , फल खाते ही पेड़ के पास उनकी आंख लग गई और वह गहरी नींद में सो गए , अचानक से आहट सुन विनय की आंख खुल गई , उसने सुनील को जगाया और कहा कि शायद कोई जंगली जानवर हमारे आस पास ही है , दोनों पेड़ के पीछे छुप गए और देखने लगे कि आखिर यह आहट किसकी है । वहां का नजारा देख दोनों के रोंगटे खड़े हो गए , सामने शेर था , शेर को देख दोनों को पसीना आ गया और उन्होंने अंधाधुंध भागना शुरू कर दिया, शेर भी उनके पीछे पीछे भाग रहा था ।
सुनील और विनय दोनों अलग-अलग दिशाओं में भागने लगे ,इत्तेफाक यह रहा कि सुनील तो शेर से बचकर अलग दिशा में निकल गया , लेकिन विनय के पीछे शेर लग गया । विनय बहुत तेजी से जंगल में इधर-उधर बचने के लिए भागने लगा , तभी अचानक से विनय का पैर फिसला और वह एक तालाब में जा गिरा । तलाब में गिरकर विनय तलाब की गहराइयों में चला गया काफी हाथ पैर मारने के पश्चात और काफी प्रयासों के बाद विनय तालाब के ऊपर आने में सफल रहा और जैसे ही विनय तालाब के ऊपर आता है , तो बाहर का नजारा देख उसे चक्कर आ जाता है । तालाब के बाहर आकर विनय को सब कुछ बदला-बदला सा नजर आता है , जैसे कि कहीं और किसी जगह में वह आ गया हूं ।

क्रमशः

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

बाल कथा :

"हॉलीडे"

EPISODE : 2

विनय समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसके साथ यह क्या हुआ और वह जंगल में इधर-उधर सुनील को आवाज देकर ढूंढने लगता है । लेकिन उसे बड़ा आश्चर्य होता है कि यह वह जंगल है ही नहीं जहां वह सुनील के साथ आया था , काफी खोजबीन के बाद जब उसे सुनील नहीं मिलता तो वह थक कर पेड़ के नीचे बैठ जाता है । तभी अचानक से कुछ आदिवासी लोग विनय को चारों ओर से घेर लेते हैं अपने आप को आदिवासियों के बीच घिरा देख बुरी तरह घबरा जाता है , परंतु ना तो वह उनकी भाषा समझ पा रहा था और ना ही आदिवासी उसकी भाषा को समझ पा रहे थे , आखिरकार आदिवासियों ने विनय को हिरासत में ले लिया ।
विनय को हिरासत में लिए आदिवासियों को दो-तीन दिन बीत चुके थे । विनय अब समझ गया था कि वह उस तालाब में डूब कर किसी दूसरी दुनिया में आ गया है , यह दुनिया बहुत पिछड़ी थी लोग केले के पत्तों को कपड़ों की जगह इस्तेमाल कर रहे थे , पैदल चलते थे कुल मिलाकर वह आज की दुनिया से काफी पीछे थे , दो-तीन दिनों में ही विनय उनके बीच उनकी टूटी फूटी भाषा समझ गया था और उसने उन आदिवासियों को उनकी टूटी फूटी भाषा में बात कर कर उनके राजा से मिलने की मांग की । अगली सुबह आदिवासियों का राजा विनय से मिलने कारागार आता है और उससे पूछता है कि वह कहां से आया है, तो विनय उसे सारा वृत्तांत बताता है कि कैसे वह पृथ्वी से अनजाने में इस ग्रह पर आ गया है । वह राजा को यह भी बताता है कि आदिवासियों के ग्रह पर ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनका वह उपयोग कर सकते हैं और अपने आप को काफी उन्नति की ओर ले जा सकते हैं ।
राजा विनय से मिलकर बहुत प्रभावित होता है और उसे इस शर्त पर हिरासत से आजाद करने को कहता है कि वह उसके ग्रह के आदिवासियों को नई-नई तकनीकों से रूबरू करवाएगा और उन्हें नई नई चीजें सिखाएगा ताकि वह भी पृथ्वी वासियों की तरह और तरक्की कर सकें , विनय राजा की बात मान लेता है और हिरासत से आजाद होकर आदिवासियों को नई-नई तकनीकी सिखाता है , जैसे कि पेड़ पौधों के बारे में कौन से पौधे खाने योग्य हैं व किस पेड़ के फल खाने योग्य हैं । हिंदी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान क्या होता है यह सारी बातें उनको समझाने की कोशिश करता है । कई दिनों तक आदिवासियों को तकनीकी ज्ञान देने के पश्चात विनय उनके राजा से पृथ्वी पर जाने की इजाजत मांगता है । लेकिन राजा उसे पृथ्वी पर जाने की इजाजत नहीं देता , क्योंकि वहां के लोगों का मानना था कि यदि हमने अपने को वापस पृथ्वी पर भेज दिया तो हमें नई नई तकनीकी कौन से सिखाएगा यह देख विनय बहुत परेशान हो जाता है और सोचने लगता है कि अब उसे पूरी जिंदगी इसी ग्रह पर बितानी पड़ेगी ।
एक दिन घूमते घूमते विनय उसी तालाब के पास पहुंच जाता है जहां से वह इस ग्रह पर आया था , विनय उस जगह को पहचान लेता है। विनय मन ही मन यह प्लान बनाता है कि वह किस प्रकार से इस ग्रह से पृथ्वी पर जाएगा । अपने इस प्लान के तहत वह राजा से मिलता है और उससे कहता है कि वह उसे तैरना सिखाएगा यह सुन राजा बहुत प्रसन्न होता है और उससे अगले दिन निर्धारित समय पर विनय राजा को उसी तालाब के पास ले जाता है व तैरने के बहाने उसमें छलांग लगा देता है ।
तभी विनय को एहसास होता है कि कोई उसे झकझोर रहा है और जोर जोर से कह रहा है "विनय बेटा..... उठो आज तुम्हें सुनील के साथ जंगल घूमने नहीं जाना है क्या ? और विनय की आंख खुल जाती है । वह अपनी आंखों को बार-बार मिलता है और मन ही मन सोचता है कि यह क्या था ? अभी तो मैं दूसरे ग्रह पर था और यहां कैसे आ गया ? फिर उसे ख्याल आता है , शायद मैं कोई सपना देख रहा था .......वाकई बहुत ही रोमांचक था यह सब..........

(समाप्त)

स्वरचित

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

सन 2020 , 2020 की घटनाएं

 "दशकों तक याद रहेगा सन 2020"


 सन 2020 अब विदा ले चुका है और अपने साथ बहुत से कटु अनुभव हमारे बीच छोड़ , जीवन का नया पाठ हमें पढ़ा कर प्रस्थान कर चुका है ।सन 2020 का अनुभव अन्य वर्षो के मुकाबले काफी अलग रहा जो कि दशकों तक लोगों के जेहन में बना रहेगा । आज हम सन 20 में घटी प्रमुख घटनाएं के विषय में क्रमवार चर्चा करेंगे ....

1 - सन 2020 यदि किसी बात के लिए जाना जाएगा , तो वह है "करोना महामारी" यह वर्ष पूरे विश्व भर में कोरोना के कारण लगभग बर्बादी हो गया । बच्चों की पढ़ाई हो , लोगों की नौकरी हो या देश की अर्थव्यवस्था कोरोना का प्रभाव सभी पर पड़ा है । कोरोना की शुरुआत साल के प्रारंभ से ही हो गई थी व मार्च में सरकार द्वारा महीनों का लॉकडाउन ने तो आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी हैं । बच्चों के स्कूल लोगों की नौकरी भी इससे प्रभावित हुई , हालांकि ऑनलाइन क्लासेस , वर्क फराम होम कार्यप्रणाली ने कुछ मरहम का कार्य जरूर किया । कोरोना के चलते लाखों व्यक्तियों ने अपनी जान गवाई जो कि देश के लिए अपूर्णीय क्षति है । यह वर्ष स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कोरोना मरीजो की सेवा के उल्लेखनीय योगदान के लिए भी जाना जाएगा । कोरोना वैक्सीन की सुखद खबर के साथ इस साल का अंत हो रहा है जो कि राहत भरा है ।
2 - राजनीतिक दृष्टिकोण से सन 2020 बिहार चुनाव : जिसमें नीतीश की वापसी , मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन , चीन विवाद व नेपाल विवाद जो कि समय रहते सरकार द्वारा सुलझा लिया गया , इस वर्ष की प्रमुख राजनीतिक घटनाएं रही । इसके अतिरिक्त प्रणव दा का निधन दुखद घटना रही ।
3 - फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह वर्ष काफी कष्टो भरा रहा है , एक और करोना के कारण सभी मॉल , मल्टीप्लेक्स , पिक्चर हॉल पूरे वर्ष से लगभग बंद है । जिसके कारण कोई बड़े बजट की फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है और दूसरी ओर इंडस्ट्री ने अपने कई अभिनेता व अन्य सहयोगियों को इस वर्ष खोया है इरफान खान, ऋषि कपूर , सुशांत सिंह राजपूत आदि इनमें प्रमुख है सुशांत की मृत्यु का विवाद तो करीब पूरे वर्ष ही टेलीविजन पर छाया रहा ।सन 2020 फिल्म इंडस्ट्री को काफीआर्थिक व वैयक्तिक घाटा देने वाला वर्ष साबित हुआ है ।
कुल मिलाकर सन 2020 पूरी दुनिया के लिए दशकों तक याद रखने वाला वर्ष रहा , जिसमें करोना महामारी के चलते विश्व में लगभग सभी तरह की गतिविधियां ठप रही । भारत में भी इसका असर देखने को मिला लॉकडाउन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा । वहीं दूसरी ओर लाकॅडाउन के दौरान प्रदूषण में कमी व निर्भया कांड के दोषियों को फांसी इस वर्ष की कुछ चुनिंदा राहत भरी खबरें रही हैं ।

अलविदा 2020 ........

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
@8923831037

"नव वर्ष (2021) की हार्दिक शुभकामनायें" 

नाटक

 नाटक : 

( इस नाटक में दर्शाया गया है कि कैसे एक युवक (विनय) अपने परिचय को छुपाते हुए बड़ी होशियारी से दफतर के मक्कार बाबू से अपना काम निकलवाता है )

शीर्षक : "दफतर का बाबू"

पाञ :

1 - मोहन
2 - बाबू
3 - विनय

*पर्दा उठता है *

(आवास विकास के दफ्तर के बाहर विनय अपने पिताजी जितेंद्र सिंह द्वारा जमा रजिस्ट्रेशन शुल्क की वापसी हेतु विधायक जी का सिफारशी पत्र लेकर खड़ा था ।)

मोहन : हुजूर नमस्कार ! मैं रजिस्ट्रेशन शुल्क
की वापसी के लिए आपसे मिलने आया हूँ , यह
सांसद महोदय ने आपके लिए पत्र भेजा है.........

बाबू : (पत्र पढ़कर उसे एक तरफ करीब-करीब
फेकते हुए) हां हां देख लेंगे .....

मोहन : हुजूर ! मैं फिर पैसे लेने कब आऊं .....

बाबू : अरे भाई ! अभी तो फाइल भी नहीं
निकली , फाइल निकलेगी उसके बाद
जांच होगी , तब चेक बनेगा तो आपको
खबर कर दी जाएगी ..........

मोहन : हुजूर ! वह सांसद महोदय की चिट्ठी भी
लाया था मैं .......

बाबू : मैंने पढ़ लिया भाई ! अब सारा काम छोड़ कर
थोड़े ही तुम्हारा चेक बना दूँगा , थोड़ा समय
तो लगेगा ही , आपको खबर कर दी जाएगी ,
अभी आप जाएं ........

बाबू : (विनय की ओर मुखातिब होते हुए ) आपका
क्या काम है श्रीमान ?

विनय : मुझे आपके अधिकारी से मिलना है "मुझे
शहर विधायक जी ने भेजा है" उनका
कमरा कहां है ? वो तो विधायक जी खुद आ
रहे थे , तभी मंत्री जी का फोन आ गया
और उन्होंने मुझे भेज दिया बात करने
के लिए ........

बाबू : अरे साहब ! बैठो तो सही , क्या बात है ? हमें
भी बता दो , अरे रामलाल दो चाय लाना ....

विनय : अरे भई ! यह कौन है जितेंद्र सिंह , इनका
तुम लोगों ने ₹10000 का रजिस्ट्रेशन
शुल्क रोका हुआ है , यह रोज-रोज विधायक
जी के पास आते हैं , आप सब की
बहुत शिकायत हो रही है ......

बाबू : कोई रजिस्ट्रेशन नंबर है ? जितेंद्र सिंह का , तो
दे ........ मैं अभी देखता हूं ......

विनय : ( पञ निकालते हुए) यह लो यह विधायक
जी ने दिया है , इसमें सब लिखा है .....

बाबू : आप चिंता ना करें , अभी फाइल निकालता
हूं , विधायक जी को मेरा प्रणाम कहिएगा
अरे रामलाल ....चाय का क्या हुआ ? और जरा
10 नंबर की फाइल निकाल देना.......

विनय : मुझे अभी विधायक जी ने वापस बुलाया
है , उन्हें बताना है कि जितेन्द्र सिंह के
मैटर का क्या हुआ ......?

बाबू : अरे साहब ! थोड़ा सब्र करो , अभी फाइल आती है
मैं आपको सब कुछ बताता हूं , आप चाय पियो ...

बाबू : (फाइल देखते हुए) जितेंद्र सिंह का चेक 7
दिनों के अंदर उसके घर पहुंच जाएगा,
"विधायक जी" को आने की आवश्यकता नहीं है
अरे ! और भी तो काम होंगे "विधायक जी" को

विनय : "धन्यवाद" तो फिर मैं चलता हूं , जैसा
आपने कहा है , मैं "विधायक जी" को बता
दूंगा, वह जितेंद्र सिंह से संपर्क करके
उन्हें बता देंगे.... .

( 7 दिन के पश्चात डाक द्वारा जितेन्द्र सिंह के नाम का चेक आवास विकास से प्राप्त हो गया , सरकार को दिया हुआ पैसा वापस पाकर घर में खुशी का माहौल था । )

( नाटक समाप्त )

*पर्दा गिरता है *

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

हिन्दी

 विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें : 


"हिंदी"

कभी होती थी देश में ,भाषा हिंदी प्रधान ।
धीरे-धीरे खो रही , अपनी यह पहचान ।
कदम कदम पर हो रहा ,अब इसका अपमान ।
जगह जगह हो गया , कम इसका सम्मान ।
डिजिटल युग में हो रहा , नहीं इसका उत्थान ।
आंग्ल भाषा सबको प्रिय , इसका कौन करे गुणगान ।।


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Copied

 पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें... 


पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था..

पुस्तक के बीच पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था..
,
कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था..

हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव था..

माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी.. न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी.. सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे ।

एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं..

स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?

पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी ,"पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" ,
पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुवा..

हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था..

आज हम गिरते - सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं..

हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे..

कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे..

अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं..

हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए..

"एक बार फिर अपने बचपन के पन्नो को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे”...

( Copied )

लोहडी

 "परम्पराओं से जोड़ती हैं लोहड़ी"


वर्ष की शुरुआत में ही मनाया जाने वाला त्यौहार लोहड़ी , पूरे उत्तर भारत में पंजाबी एवं सिख समाज द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है । यह त्यौहार अब पूरे भारत में पंजाबी समाज व सिक्ख समाज द्वारा बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । लोहड़ी पर्व को समाज के प्रत्येक परिवार में बड़े हर्ष के साथ मनाने की परंपरा है । इसमें लोहड़ी वाले दिन रात्रि को लकड़ी जलाकर उसके चारों ओर लोहड़ी के गीत गाए जाते हैं , जिसमें गटक, रेवड़ी, मूंगफली अग्नि में डाली जाती है । पंजाब में दुल्ला भट्टी के गीत लोहड़ी पर गाने की परंपरा है, दुल्ला भट्टी जोकि मुगल काल में एक डाकू था । वह गांव , देहात की बेटियों को दुश्मनों से रक्षा कर उनके विवाह करवाता था । लोहड़ी पर्व पर उसके सम्मान में गीत गाए जाते हैं जिस के कुछ अंश इस प्रकार हैं .......

सुंदर मुंदरिए हो
तेरा कौण विचारा हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ले धी ब्याही हो
सेर शक्कर पाई हो
कुड़ी दे मामे आए हो
मामे चूरी कुट्टी हो
जमींदारा लुट्टी हो
कुड़ी दा लाल दुपट्टा हो
दुल्ले धी ब्याही हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ला भट्टी वाला हो

लोहड़ी पर्व पर नवजात बच्चों व नए शादीशुदा जोड़ों के आगमन पर भी बड़े जोर शोर से मनाने की परंपरा है । ऐसा माना जाता है की लोहड़ी पर्व के पश्चात मौसम में बदलाव भी आ जाता है , लोहड़ी की पवित्र अग्नि सर्द मौसम में बदलाव ला देती है । पंजाब , हरियाणा , हिमाचल व दिल्ली आदि प्रदेशों में लोहड़ी पर नाच गाने का आयोजन , डीजे बजाना व इसके उप्रांत भोज का आयोजन इस त्यौहार के प्रमुख आकर्षण है । सारे आयोजन के पश्चात आयोजक द्वारा प्रसाद वितरण जिसमें गजक मूंगफली का प्रसाद प्रमुख रूप से वितरित किया जाता है ।
समाज में बच्चों द्वारा बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर लोहड़ी में चार चांद लग जाते हैं , यही लोहड़ी की अपनी अनोखी व सात्विक परंपरा हैं ।
"हैप्पी लोहड़ी"


✍विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

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