Sunday, 15 November 2020

"सावधानी से मनाये , खुशियों का त्यौहार"

 



"सावधानी से मनाये , खुशियों का त्यौहार"

रावण के वध के पश्चात भगवान श्री राम , माता सीता व लक्ष्मण जी सहित 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर जब अयोध्या वापस लौटते हैं तो पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया तभी से हजारों वर्षों के पश्चात भी यह परंपरा हिंदू धर्म उपासकों द्वारा आज भी जीवित है । समय के बदलाव के साथ खुशियों को प्रदर्शित करने के लिए आतिशबाजी का प्रचलन भी शुरू हुआ और आज दीपावली पर आतिशबाजी छोड़ना भी दीप जलाने की तरह ही इस परंपरा का हिस्सा है ।
छोटे से छोटे परिवार में भी सैकड़ों हजारों रुपए की आतिशबाजी (पटाखे) इस त्योहार पर छोड़ी जाती है । मगर आतिशबाजी से होने वाली दुर्घटना भी साल दर साल देखने को मिल रही है , इसलिए आतिशबाजी छोड़ने से पूर्व कुछ सावधानी बरतने की हमें आवश्यकता है । आज हम इसी विषय पर क्रमवार चर्चा करेंगे .......
1 - आतिशबाजी या पटाखे किसी खुले स्थान पर ही छोड़े जैसे मैदान आदि ...... अमूमन देखने को मिलता है लोग सड़कों पर , गलियों में या हाईवे पर पटाखे छोड़ते हैं जो कि काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है । कृपया इस बात का ध्यान रखें कि आपके द्वारा छोड़े गए पटाखे से किसी को हानि न पहुंचे ।
2 - छोटे बच्चों को पटाखों से दूर रखें क्योंकि छोटे बच्चों का चंचल मन कोई नादानी ना कर बैठे जो कि काफी हानिकारक हो सकता है । बल्कि 10 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों अपनी निगरानी में ही पटाखे छोड़ने की अनुमति दें ।
3 - देखने को मिलता है कि आतिशबाजी से आग लग गई या कहीं अचानक कोई रॉकेट आकर गिर गया उससे जलने का खतरा बन जाता है , ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पटाखे छोड़ने वाले स्थान पर कम से कम दो बाल्टी पानी अवश्य रखा होना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर उससे तुरंत निपटा जा सके ।
4 - हर वर्ष दिवाली पर हजारों की तादाद में लोग आतिशबाजी को लापरवाही से छोड़ने की वजह से जल जाते हैं या गंभीर चोट खा बैठते हैं । इस वर्ष हमें इस बात पर विशेष ध्यान रखना है कि पटाखे छोड़ने में कोई लापरवाही ना हो एहतियात के तौर पर ऐसी ट्यूब जो जलने पर साधारणतया इस्तेमाल की जाती है घर पर फर्स्ट एड बॉक्स में उपलब्ध होनी चाहिए । पटाखे से चोट लगने पर उसे तुरंत ठंडे पानी से धो लेना चाहिए । इसके अतिरिक्त अगर गंभीर रूप से पटाखे के कारण चोट लगी है तो तुरंत किसी क्वालिफाइड चिकित्सक को दिखाना चाहिए ,इसमें कोई लापरवाही ना बरते ।
5 - हर वर्ष हजारों बच्चे / बड़ो को पटाखों के गलत इस्तेमाल के कारण आंखों पर वह चेहरे पर चोट लग जाती है तथा कई लोगों की तो आंखों की रोशनी तक चली जाती है , इस वर्ष हमें काफी एहतियात बरतना है । पटाखे को जलाने के पश्चात बहुत से लोग उसके समीप ही घूमते रहते हैं जोकि काफी नुकसानदेह हो सकता है । बहुत से लोग शेखी मारने के लिए हाथ मे ही पटाखे छोड़ने का प्रयास करते हैं , ऐसा करना बिल्कुल भी सही नहीं है । घरेलू उपचार मामूली चोटों के लिए हैं , यदि आपको ज्यादा चोट है तो तुरंत किसी चिकित्सक से संपर्क कर ले ।
अंत में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा आतिशबाजी बस एक त्यौहार का शगन है उसे शगन के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिए , बहुत अधिक मात्रा में पटाखों का प्रयोग कहीं ना कहीं परेशानी का सबब हो सकता है । यदि इन पैसों से किसी जरूरतमंद की दीपावली को खुशहाल बनाया जाए तो वह इस वर्ष की आप की सर्वश्रेष्ठ दीपावली होगी ।
"शुभ दीपावली"

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी 

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