Tuesday, 21 July 2020

जय माता दी

विषय : यात्रा वृत्तांत लेखन
दिनांक : १९ व २० /०७/२०
विधा : गद्य
शीर्षक : "जय माता दी "

आज मैं बहुत प्रसन्न था क्योंकि अपनी बेटी के मेडिकल में प्रवेश के पश्चात मैं माता वैष्णो देवी के दर्शन का काफी समय से अभिलाषी था और वह समय अब आ गया था। जब परिवार में पत्नी व बेटा माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जून माह में जाने का मन बना चुके थे । बेटी की मेडिकल की पढ़ाई की वजह से वह कॉलेज में थी । मुरादाबाद से पहले अमृतसर तत्पश्चात वहां से एसी बस के द्वारा कटरा और वापसी जम्मू से सीधे मुरादाबाद इस तरह मैंने टिकट बुक करा लिये ।
निर्धारित तिथि पर अपनी पत्नी सोनिया व पुत्र पार्थ के साथ अमृतसर को रवाना हो गया अमृतसर पहुंचने के पश्चात एक दिन विश्राम कर अगली सुबह एसी बस द्वारा अमृतसर से कटरा के लिए रवाना हुए जो ठीक 11:30 बजे दिन मे कटरा पहुंच गई। मैंने कटरा में एक होटल में रूम बुक पहले ही करा रखा था। अतः कटरा पहुंचकर हम तुरंत होटल पहुंच गए। होटल के रिसेप्शन पर मैंने दर्शन की सारी प्रक्रिया की जानकारी ली । कुछ देर रूम में आराम करने के पश्चात हम माता के दर्शन की पर्ची कटवाने श्राइन बोर्ड के ऑफिस पहुंचे व आईडी दिखा कर हमें दर्शन की पर्ची प्राप्त हो गई।
होटल आकर हमने एक छोटा सा बैग बनाया व शाम 6:00 बजे दरबार की चढ़ाई आरंभ कर दी व बाढ़ गंगा पहुंच गए ।कटरा से माता वैष्णो देवी का दरबार करीब 13 किलोमीटर है ।उसकी चढ़ाई के लिए श्राइन बोर्ड द्वारा काफी अच्छी व्यवस्था की गई है। बच्चों व बुजुर्गों के लिए पिट्ठू और घोड़ों द्वारा चढ़ाई की व्यवस्था है। कटरा से दरबार तक जाने के लिए पिट्टठू का इतिहास भी काफी पुराना है यह लोग पीढ़ी दर पीढ़ी यही व्यवसाय कर रहे हैं और इनके जीवन यापन सिर्फ इसी बात पर टिका है कि लोग दर्शन के लिए यहाँ आये। इन लोगों का रहन सहन वेशभूषा सब कश्मीरी है और सैकड़ों वर्षो से यह लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इसी काम को कर रहे हैं।
हम लोगो ने पैदल ही चढ़ाई शुरू कर दी ।करीब आधे रास्ते पहुंच कर अर्ध कुमारी पर दरबार के लिए बोर्ड द्वारा दो रास्तों का निर्माण किया गया है एक रास्ता पैदल यात्रियों के लिए वह दूसरा रास्ता वृद्धजनों व वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैटरी संचालित वेन की व्यवस्था की गई है । हमने पैदल पथ पर ही जाना उचित समझा और जय माता दी का जयघोष करते हुए रात्रि 1:00 बजे माता वैष्णो देवी के दरबार पहुंच गए ।
मगर वहां का नजारा देख हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई वहा अभूतपूर्व भीड़ थी। पैर रखने की जगह ना थी । जिसे जहां जगह मिली वह वहीं पर ही बैठ कर आराम कर रहा था ।मैं पत्नी सोनिया व पुत्र पार्थ इतनी भीड़ देखकर घबरा गए कि दर्शन किस प्रकार होंगे । हमने वहां एक दुकानदार से दर्शनों की प्रक्रिया को समझा कि किस प्रकार दर्शन करने हैं । दुकानदार ने हमें बताया कि सर्वप्रथम अंदर पिंडी दर्शन के लिए बोर्ड की दुकान से प्रसाद लेना होगा । उसके पश्चात स्नानादि करके साफ कपड़े पहन दर्शन की लाइन में लगना होगा ।
पत्नी के आग्रह पर हमने पहले दर्शन का निर्णय लिया और उसके बाद ही आराम करने का फैसला किया । यह सोच मैं प्रसाद की लाइन में लग गया और आधे पौन घंटे में ही हमें प्रसाद मिल गया ।रात्रि के 2:00 बजे हम स्नानादि करके साफ कपड़े पहन कर तैयार हो चुके थे। लेकिन बैग के साथ दर्शनों का प्रवेश वर्जित था अतः बैग क्लॉक रूम मे रख मैं मेरी पत्नी व पुत्र पार्थ के साथ पिंडी दर्शन के लिए लाइन में लग गए। दर्शनों की लाइन में काफी भीड़ थी हमने सोचा यहां हमें काफी समय लग जाएगा परंतु माता रानी के आशीर्वाद से 1 घंटे के भीतर ही हम दर्शन करके गुफा से बाहर आ चुके थे और अपने आप को सौभाग्यशाली समझ रहे थे कि हमें इतनी जल्दी दर्शन का सुख प्राप्त हो गया ।
सुबह के 4:00 बजे थे और हम काफी थके हुए थे और सोने की व्यवस्था देख रहे थे लेकिन पैर रखने की जगह भी दिखाई नहीं पड़ रही थी । ठंड भी काफी थी और हमारे पास ओड़ने के लिए भी कुछ नहीं था हमने एक बुजुर्ग व्यक्ति से आराम करने की व्यवस्था के बारे में पूछा तो उसने हमें बताया कि यहां सभी प्रकार की व्यवस्था है परंतु भीड़ अधिक होने के कारण सभी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है ।अतः जहां आपको जहाँ जगह मिले आप आराम कर लीजिए। हमने छः कंबल किराए पर लिए व कंबल बिछाकर लेट गए लेटते ही कब नींद आ गई पता ही नहीं चला सुबह के 10:00 बज चुके थे सूर्य देवता अपने चरम पर थे। हम लोग भी उठ कर स्नान आदि कर हम वापस कटरा जाने को तैयार हो गए ।उससे बाद भैरव बाबा के दर्शन हेतु इलेक्ट्रिक बोगी में जाने का प्रयास भी किया परंतु भीड़ अधिक होने की वजह हमने उन्हें दरबार से ही प्रणाम कर कटरा की ओर चल दिए ।इसके पश्चात हम जय माता दी करते हुए चरन पादुका ,हाथी मत्था होते हुये शाम 4:00 बजे तक बाढ़ गंगा पहुंच गए और वहां से ऑटो कर होटल आये । कुछ देर आराम करने के पश्चात रात्रि 9:00 बजे हम कटरा स्थित बस स्टैंड की मेन मार्केट में आए और वहां से अपने परिवारिक मित्रों के लिए प्रसाद लिया तत्पश्चात रात्रि का भोजन कर 10:30 बजे तक वापस होटल आ गए ।
अगले दिन रात्रि 10:30 बजे कि हमारी मुरादाबाद की ट्रेन थी जो हमें जम्मू से पकड़नी थी। अगली सुबह नाश्ता आदि कर हमने कटरा का मेन मार्केट घुमा और मल्टीप्लेक्स में "कबीर सिंह" पिक्चर देखी ।उसके पश्चात शाम 4:30बजे जम्मू के लिए बस पकड़ ली क्योंकि जम्मू का बस स्टैंड रेलवे स्टेशन के सामने ही है । हम पैदल ही रेलवे स्टेशन पहुंच गए। शाम के 6:30 बजे थे और हमारी ट्रेन रात्रि 10:30 बजे की थी सो हमने क्लॉक रूम में सामान रखकर रघुनाथ मंदिर दर्शन का फैसला किया और ऑटो से रघुनाथ मंदिर आ गए । रघुनाथ मंदिर की यह विशेषता है कि हिंदू धर्म में की मान्यता के अनुसार सभी 33 करोड़ देवी देवताओं के पिंड स्वरूप यहां उपस्थित हैं लोग यहां उन्हीं के दर्शन के लिए ही आते हैं और अपने आप को सौभाग्यशाली समझते हैं। आसपास मार्केट देखकर हमने 9:00 बजे तक स्टेशन पर वापसी कर ली ।क्लॉक रूम से अपना सामान निकाल कर हम प्लेटफार्म पर पहुंचे हमारी गाड़ी वापसी की तैयार खड़ी थी। हमने रिजर्वेशन वाली सीट पर अपना सामान रख दिया निर्धारित समय 10:30 बजे ट्रेन मुरादाबाद की ओर चल पड़ी और हमने माता रानी को प्रणाम कर अपनी सफल यात्रा के लिए धन्यवाद दिया और जयकारा लगाया।

"जय माता दी"

स्वरचित

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com 

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