Monday, 29 June 2020

पिता पुत्र


पुत्र  की उम्र कोई 10 वर्ष होगी वह बाहर मैदान में खेल रहा था काफी देर खेलने के बाद पुत्र पिता के पास झोपड़ी में आया और खाने के लिए कुछ मांगने लगा पिता ने आज खाने में नूडल्स बनाए थे उसने दो कटोरी में नूडल्स रखकर उसे प्लेट से ढक दिया और एक कटोरी पर प्लेट के ऊपर एक अंडा भी रख दिया अब उसने पुत्र को बुलाया और कहां इन दोनों कटोरो में से एक कटोरा खाने के लिए चुन लो इसी बीच यह बताना आवश्यक है की पुत्र में  किसी भी चीज को अधिक से अधिक प्राप्त  करने की लालसा  बहुत अधिक  थी। पुत्र ने दोनों कटोरा को देखा और अपनी प्रवृत्ति के अनुसार उसे लगा कि वह कटोरा जिसके ऊपर अंडा रखा है उसमें समान अधिक है अत: उसने जिस कटोरे पर अंडा रखा था उसे खाने के लिए चुन लिया उसके पिता ने वह कटोरा उसे दे दिया । पुत्र अंदर ही अंदर काफी प्रसन्न हो रहा था कि आज उसने फिर अधिक प्राप्त किया है और वह खुशी-खुशी नूडल्स और अंडा खाने लगा ।इसी बीच उसने सोचा कि चलो यह देख लेते हैं कि दूसरे कटोरे में क्या है उसे देख कर बड़ी हैरानी हुई कि जो कटोरा प्लेट से ढका था उसमें नूडल्स के अतिरिक्त दो अंडे भी थे पुत्र को बड़ा पछतावा हुआ कि उसने वह कटोरा क्यों नहीं चुना ।पिता ने पुत्र को बुलाया और कहा की आज की घटना से हमें यह सीख मिलती है कि जो दिख रहा है वह ज्यादा हो ऐसा नहीं है कई बार आपका फायदा आपको नहीं दिखाई पड़ता।
अगले दिन पुत्र फिर खेलने गया और जब खेल कर वापस आया तो पिता ने पिछले दिन की तरह ही दो कटोरी में नूडल्स रखे हुए थे व उन्हें प्लेट से ढका हुआ था तथा एक प्लेट के ऊपर एक अंडा भी रखा था । पिता ने पुत्र से फिर कहा कि अपने लिए खाने का एक कटोरा चुन लो पुत्र ने बिना देर किए नूडल्स का कटोरा जो प्लेट से ढका हुआ था उठा लिया लेकिन उसने जैसे ही कटोरे से प्लेट हटाई तो वह भौचक्का रह गया कटोरी में सिर्फ नूडल्स ही थे ।उसमें एक भी अंडा नहीं था उसे फिर अफसोस हुआ कि काश वह प्लेट के ऊपर एक अंडे वाला कटोरा उठा लेता ।तभी उसके पिता आए और उन्होंने उससे कहा आज के वाक्या से हमें यह सीख मिलती है की तजुर्बा हमेशा सही साबित हो ऐसा नहीं है अतः हमें कोई भी कार्य करने से पहले सोच समझकर अपने दिमाग का इस्तेमाल कर कदम उठाना चाहिए।
तीसरे दिन पुत्र मैदान पर खेल कर वापस जब झोपड़ी में आया तो पिता ने फिर दो कटोरी में नूडल्स रखे हुए थे और उन्हें प्लेट से ढका हुआ था तथा एक प्लेट के ऊपर  एक अंडा रखा था ।पिता ने पुत्र से फिर कहां कि अपने खाने के लिए कटोरा चुनो ।पुत्र ने पिता से कहा नहीं आज मैं खाने के लिए कोई कटोरा नहीं चुनुगा क्योंकि मुझे आज भूख नहीं है ।आज कटोरा पहले आप चुने  पिता ने पुत्र से कहा तुम छोटे हो पहले तुम्हारा हक बनता है ।लेकिन पुत्र मानने को तैयार नहीं था अंततः पिता को कटोरा चुनना पड़ा पिता ने वह कटोरा चुना जो प्लेट से ढका हुआ था और उसके ऊपर एक अंडा रखा था । यह देख कर पुत्र मायूस हो गया और मन में विचार करने लगा कि अधिक वाला तो पिता जी ने पहले ही चुन लिया होगा और मरे मन से उसने दूसरा कटोरा उठा लिया और एक तरफ खाने के लिए बैठ गया। जैसे ही उसने कटोरे के ऊपर से प्लेट हटाई वह हैरान रह गया उसमें नूडल्स के अतिरिक्त दो अंडे भी थे उसके पिता उसके समीप आए और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोले आज के वाक्या से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आप पहले दूसरों के विषय में सोचते हैं तो परमपिता परमेश्वर हमें अधिक देने का प्रयास करते हैं। अतः हमें पहले दूसरे के विषय में सोचना चाहिए और हमारा ख्याल स्वयं परमपिता खुद करेंगे।


vivekahuja288@gmail.com

स्वरचित

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986

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