आओ मनाए प्रेम से , खुशियों का त्यौहार ।
हरा ,गुलाबी, नीला, पीला रंग है अपरंपार ।गुजिया , पुरी और कचौरी सब बनकर तैयार ।
आओ मिलकर खेलें हम होली का त्यौहार ।।
✍ विवेक आहूजा
आओ मनाए प्रेम से , खुशियों का त्यौहार ।
हरा ,गुलाबी, नीला, पीला रंग है अपरंपार ।"वैक्सीन बनाना ही नहीं ,लगाना भी चुनौतीपूर्ण"
दुनिया दारी निभाने के , लोगों के अंदाज जुदा जुदा है ।
मानो तो वही पत्थर है , मानो तो वही खुदा है ।।जब दिल ना मिले तो , मुंह पर ताला लगा लो
जुबां के तीर चलाने से फायदा क्या है ।"सर्द हवाएँ"
"शौहरत" ( मुक्तक )
इंसान पर जब कुछ नहीं होता है ,