Friday, 4 September 2020

Tirupati balaji

 



करोड़ों के चढ़ावे के बाद भी क्यों गरीब माने जाते हैं #तिरुपति_बालाजी_महाराज जानें क्या है पौराणिक कहानी
आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर चढ़ावे में आए सोना, चांदी, कीमती सामान और पैसों की वजह से सुर्खियों में रहता है। इसी वजह से तिरुपति बालाजी मंदिर को वीआईपी मंदिर भी माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो हर साल भगवान तिरुपति पर करोड़ों का चढ़ावा चढ़ता है लेकिन फिर भी पौराणिक कहानी के अनुसार भगवान तिरुपति यानी विष्णु के अवतार इस देवता को गरीब माना जाता है। 
क्या है पौराणिक कहानी
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महर्षि  भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे भगवान विष्णु छाती पर एक लात मारी। भगवान विष्णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ लिेए और पूछने लगे कि ऋषिवर पैर में चोट तो नहीं लगी। भगवान विष्णु  का इतना कहना था कि भृगु ऋषि ने दोनों हाथ जोड़ लिए और उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली। भृगु ऋषि हाथ जोड़कर बोले ‘प्रभु आप ही सबसे सहनशील देवता हैं इसलिए यज्ञ भाग के प्रमुख अधिकारी आप ही हैं, लेकिन इस अपमान से देवी लक्ष्मी भृगु ऋषि  को दंड देना चाहती थी। भगवान विष्णु केे कुछ न कहने पर देवी लक्ष्मी नाराज हो गई। नाराजगी इस बात से थी कि भगवान ने भृगु ऋषि को दंड क्यों नहीं दिेया। नाराजगी में देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु किया तो पता चला कि देवी ने पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म लिया है। भगवान विष्णु ने भी तब अपना रुप बदला और पहुंच गए पद्मावती के पास। भगवान ने पद्मावती के सामने विुवाह का प्रस्ताव रखा जिसे देवी ने स्वीकार कर लिया लेकिन प्रश्न सामने यह आया कि विवाह के लिए धन कहां से आएगा।
देवी लक्ष्मी से शादी के लिए लिया कर्ज 
विष्णु जी ने समस्या का समाधान निकालने के लिए भगवान शिव और ब्रह्मा जी को साक्षी रखकर कुबेर से काफी धन कर्ज लिया। इस कर्ज से भगवान विष्णु के वेंकटेश रुप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मवती ने विवाह किया। कुबेर से कर्ज लेते समय भगवान ने वचन दिया था कि कलियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज समाप्त होने तक वह ब्याज चुकाते रहेंगे। भगवान के कर्ज में डूबे होने की इस मान्यता के कारण बड़ी मात्रा में भक्त धन-दौलत भेंट करते हैं, ताकि भगवान कर्ज मुक्त हो जाएं।


(संकलित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद 

मिञता modified

कहानी :

मिञता
                     
आज सुबह विनय ने काफी जल्दी मेडिकल की दुुकान खोल ली थी और लगातार कई डॉक्टरों के दवाई लेने आने के कारण वह काफी थक भी गया था तभी उसके सामने उसकी हम उम्र चश्मा लगाए हुए एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार सहित खड़ा हो गया , एक बार को तो विनय भौचक्का रह गया और उछलकर अपने मित्र जीके को गले लगा लिया , तदोपरांत वह जीके को अपने निवास पर लाया वहा अपनी पत्नी व बच्चों से जीके का परिचय करवाया। विनय की माता जी व पिताजी जीके से भलीभांति परिचित थे ,जीके ने तुरंत ही विनय की माता जी का पिता जी के चरण स्पर्श करें वह उनका आशीर्वाद लिया ।सभी लोग परस्पर एक दूसरे को अपना परिचय दे रहे थे और बातचीत कर रहे थे तभी जीके के छोटे पुत्र ने जीके से कहा "पापा आपने हमें कभी विनय अंकल के बारे में नहीं बताया कि वह आपके इतने घनिष्ठ मित्र हैं" यह सुनकर जीके को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था । तभी विनय ने बीच में बात काटते हुए जीके के पुत्र से कहा कि आप हमारी मित्रता के बारे में जानना चाहते हो। सभी बच्चों ने विनय को चारों ओर से घेर लिया और अपने बारे में बताने का अनुरोध करने लगे विनय ने जीके की अनुमति से सुनाना शुरू किया ...
यह उन दिनों की बात है जब विनय नवी कक्षा का छात्र था और पारकर कॉलेज के हॉस्टल में रहता था रोज की तरह सुबह तैयार होकर वह कॉलेज गया और कॉलेज के उपरांत जब वापस हॉस्टल में आया तो देखा की एक तगड़ा सा लड़का विनय की चारपाई पर बैठा हुआ है। दो व्यक्ति भी उस लड़के के साथ मौजूद थे ,उन्होंने विनय से पूछा कि "आप बिलारी रहते हो" तो विनय ने तुरंत हामी भर दी । उन्होंने बताया कि यह लड़का उनका छोटा भाई है। जिसका नाम जीके हैं और यह अब तुम्हारे साथ हॉस्टल में रहेगा जीके भी तब नवी कक्षा में थे । वह जीके का विनय से पहला परिचय था ,भाइयों के जाने के पश्चात जीके और विनय परस्पर काफी देर तक बातें करते रहे । हॉस्टल में जीके और विनय को एक ही कमरा एलॉट हुआ तथा उनकी अलमारी भी एक थी कुछ समय में ही जीके और विनय बहुत ही घनिष्ट मित्र हो गए अब चाहे सुबह उठना हो नाश्ता करना हो पढ़ाई करनी हो या कॉलेज जाना हो ,दोनों संग संग ही जाते थे । क्योंकि जीके का गांव बिलारी के नजदीक था लिहाजा बिलारी से मुरादाबाद व मुरादाबाद से बिलारी आना जाना है सभी संग संग ही होता था ।आपसी सौहार्द के बीच जीके और विनय ने नवी कक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली जीके के माता पिता व विनय के माता पिता दोनों की परीक्षा फल से काफी संतुष्ट थे ।नवी कक्षा के बाद अब दसवीं कक्षा में जीके और विनय पर बोर्ड परीक्षाओं का काफी दबाव था जीके के भाई ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा में कॉलेज टॉप किया था लिहाजा जीके पर भी अच्छे नम्बर लाने के लिए काफी दबाव था। जीके समय-समय पर अपने भाई से बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने हेतु टिप्स ले लिया करते थे । जीके और विनय दोनों ने जल्द ही अपना हाईस्कूल का पूरा सिलेबस कर लिया था और बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए थे , उन दिनों प्री बोर्ड का चलन नहीं था लिहाजा छमाही परीक्षा ही प्री बोर्ड की तरह होती थी छमाई परीक्षाओं में पूरा कोर्स आता था विनय और जीके दोनों अपनी अपने क्लास टीचर से छमाही परीक्षा के टाइम मिलने गए और उनसे पूछा की इस अर्धवार्षिक परीक्षा का क्या महत्व है , तब उनके क्लास टीचर ने कहा कि यह परीक्षा सिर्फ प्रैक्टिस के लिए है , इसके नंबर कहीं नहीं जुड़ेंगे शायद इसका रिजल्ट भी ना आए । अब जीके और विनय दोनों क्लास टीचर से बात कर कर हॉस्टल आ गए और यह सोचने लगे की अर्धवार्षिक परीक्षा दे या ना दे पहले तो दोनों में यह विचार करा की चलो परीक्षा देने में क्या हर्ज है और इस प्रकार पहला पेपर दे दिया , परंतु पहला पेपर देने के बाद दोनों ने सोचा इस प्रकार तो काफी समय नष्ट हो जाएगा , हम परीक्षा ना दे करके घर पर ही तैयारी करें तो ज्यादा बेहतर होगा । हॉस्टल के वॉर्डन स्कूल के टीचर आदि जितने भी शुभचिंतक थे उन लोगों ने विनय और जीके को को बहुत समझाया कि यह परीक्षा तुम्हारे फायदे के लिए ही है ,लेकिन विनय और जीके मानने को तैयार नहीं थे । उनका तर्क था कि हम घर पर ज्यादा बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं इस प्रकार विनय और जीके ने अगला पेपर छोड़ दिया ।अब विनय और जीके ने सोचा की घर जाकर तो तैयारी करनी है तो पहले आज चलो पिक्चर देख लेते हैं और दोनों पिक्चर देखने चले गए । अगले दिन विनय और जीके बिलारी आ गए वहां से जीके अपने गांव चले गए घर पहुंचकर विनय ने अपनी माता जी को सारी बात बताई कि वह अर्धवार्षिक परीक्षा नहीं दे रहे हैं और घर पर रहकर ही बोर्ड एग्जाम की तैयारी करेंगे विनय की बात सुनकर विनय की माताजी चुप रही और कुछ ना बोली जब दोपहर को विनय के पिता जी घर आए तो उन्होंने विनय के द्वारा कही गई सारी बात विनय के पिताजी को बताई ,अभी यह बात चल ही रही थी कि किसी ने दरवाजा खटखटाया और विनय ने फौरन दरवाजा खोल कर देखा जीके व उसके दोनों बड़े भाई विनय के घर आए हुए थे । अब तो विनय के पिताजी व जीके के दोनों भाइयों ने मिलकर विनय और जीके दोनों की बहुत डांट लगाई और उन्हें तुरंत वापस जाकर अर्धवार्षिक परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा अभी तो घर में विनय और जीके ने पिक्चर वाली बात नहीं बताई थी , वरना क्या होता कहना मुश्किल था । घरवालों के हुक्म के मुताबिक विनय और जीके दोनों वापस हॉस्टल आ गए और अगले दिन की अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी करने लगे सुबह जब क्लास टीचर , वार्डन आदि लोगों ने विनय और जीके को देखा तो वह मन ही मन मुस्कुराए और उन्हें समझते देर न लगी के कान कहां से उमेठे गए हैं । कुछ दिन तक तो विनय और जीके को बड़ा असहज लगा लेकिन बाद में जीवन चर्या आराम से बीतने लगी । जल्द ही अर्धवार्षिक परीक्षा का परिणाम भी आ गया विनय व जीके के सभी विषयों में नंबर अच्छे थे सिवाय उन दो पेपरों के जिनमें वह अनुपस्थित रहे थे । इसके पश्चात विनय व जीके दोनों अपने-अपने घर आ गए और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने लगे । धीरे-धीरे बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आ रही थी और आखिर वह दिन भी आ गया जब बोर्ड की परीक्षाएं विनय और जीके को देनी थी । बोर्ड की सभी परीक्षाएं विनय और जीके की बहुत अच्छी हुई , परीक्षाओं के पश्चात विनय और जीके दोनों अपने-अपने घर आ गए और बोर्ड की परीक्षा का परिणाम का इंतजार करने लगे । उस समय इंटरनेट नहीं हुआ करता था इसलिए अखबारों में ही परीक्षा का परिणाम आया करता था विनय प्रथम श्रेणी में बोर्ड की परीक्षाओं में पास हुआ जिसकी सूचना विनय के ताऊ जी स्वयं लेकर चंदौसी से आए विनय को जीके के परिणाम की भी चिंता थी ।उसने अपने व्यक्तिगत सूत्रों से पता लगवाया की जीके का परीक्षा परिणाम क्या रहा तो पता चला कि जीके भी प्रथम श्रेणी में पास हुआ है । 8 दिनों बाद जीके और विनय दोनों अपनी मार्कशीट लेने कॉलेज साथ-साथ आए मार्कशीट आ चुकी थी। विनय और जीके दोनों मार्कशीट लेने तुरंत अपने क्लास टीचर के पास पहुंचे तो पता चला कि विनय के 65% वह जीके के 75% नंबर आए थे ,यह देख कर विनय का फ्यूज उड़ गया और वह सोचने लगा की जीके ने और उसने तैयारी तो साथ साथ की है लेकिन नंबरों में इतना फर्क कैसे 8 या 10 नंबर ज्यादा होते तो बात अलग थी ,मगर विनय ने जीके से उस समय कोई बात नहीं की और दोनों चुपचाप वापस बिलारी आ गए । घर पर सब बहुत खुश थे , विनय और जीके के माता पिता उनकी परफॉर्मेंस से अत्यंत प्रसन्न थे । परंतु विनय के मन में यह सवाल बार-बार खाए जा रहा था की जीके के नंबर इतने अधिक कैसे आए ,इसी दौरान जीके के यहां एक प्रोग्राम का निमंत्रण विनय के घर आया और जीके ने विनय से जरूर आने का वादा लिया, विनय जीके के घर प्रोग्राम से पूर्व भी पहुंच गया, वहा उनके माता-पिता का आशीर्वाद लिया, जीके का घर गांव में बड़ा आलीशान बना हुआ था । जीके अपने घर की छत पर विनय को ले गया वहां जीके और विनय दोनों चुपचाप बैठे रहे जीके विनय की प्रश्न सूचक दृष्टि भाप गया था और उसने विनय से पूछा कि तुम मेरे इतने अच्छे नंबरों से प्रसन्न नहीं हो , विनय ने जीके से कहा ऐसी कोई बात नहीं । जीके ने विनय से कहा मैं तुम्हारा मित्र हूं अगर कोई बात है तो मुझसे बेहिचक पूछो तब विनय ने जीके के ऊपर प्रश्नों की बौछार कर दी , जिसक सार यह था की जब वह दोनों साथ-साथ पढ़े साथ साथ घूमे और साथ साथ ही तैयारी करी तो दोनों के नंबरों में इतना फर्क कैसे । जीके यह सुन थोड़ी देर शांत रहे फिर उन्होंने बताया कि वह सिलेबस में प्रयुक्त गणित व साइंस की किताबों के अतिरिक्त अन्य किताबों से भी पढ़ाई किया करते थे । जिससे कि अच्छे नंबर आ सकें । विनय को जीके की यह बात सुनकर बहुत गुस्सा आया और विनय ने जीके से कहा कि यह बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी कि तुम अन्य लेखकों की किताबें भी पढ़ते हो , जीके ने तुरंत अपनी गलती स्वीकारी व भविष्य में कभी इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा ना करने की कसम ली काफी देर आपसी बहस के बाद दोनों इस नतीजे पर पहुंचे की 11वीं कक्षा में एक जैसे विषय होने पर प्रतिस्पर्धा तो होगी और मित्रता बचानी मुश्किल हो जाएगी, अतः 11वीं में विनय और जीके ने अलग अलग विषयों का चयन किया इस प्रकार दोनों अपने-अपने विषयों में अपनी-अपनी तैयारी करते थे ।इस प्रकार दोनों ने 12वीं में गुड सेकंड डिवीजन से पास की विनय तत्पश्चात चंदौसी व जीके आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए । विनय और जीके का संपर्क काफी टाइम तक बना रहा परंतु अब की बार 10 वर्षों के पश्चात मुलाकात हुई यह कहकर विनय शांत हुआ और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी बच्चों विनय और जीके की कहानी सुनकर खुश हुए । इसके पश्चात जीके ने विनय से विदा ली और जल्दी आने का वायदा किया।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
तिलक अस्पताल
बिलारी जिला मुरादाबाद
@9410416986
@7906933255
Vivekahuja288@gmail.com

Saturday, 29 August 2020

Neet PREPARATION



नमस्कार दोस्तों
आज मैं आपके साथ बच्चों के कैरियर संबंधी नीट परीक्षा जोकि मेडिकल प्रवेश परीक्षा होती है के बारे में अपनी कुछ वीडियो साझा करूंगा । उम्मीद है आपको पसंद आएंगी और मेडिकल कोचिंग की जानकारी आपको प्राप्त होगी ।
धन्यवाद

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com

Neet PREPARATION after 10th :

https://youtu.be/NyX2mFQPeyE

Weekend classes :

https://youtu.be/F2Nj8qDnIMM

Dummy admission :

https://youtu.be/p-UTXiqcLVM

# Watch my tutorial video and subscribe my YouTube channel .

# Please like, share & comment my tutorial videos.

# If any query about neet PREPARATION leave the comment in comment box .


Thanks & regards

VIVEK AHUJA 

Monday, 24 August 2020

बाल कथा

बाल कथा :

ह्युमन vs वाइल्ड

आज काफी लंबे समय बाद जंगल के राजा शेर ने आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए सभी जीव जंतुओं की जंगल में एक सभा का आयोजन किया। आयोजन स्थल शेर महाराज की गुफा को रखा गया धीरे-धीरे जंगल के सभी जीव जंतु आयोजन स्थल पर एकत्र होने लगे व निश्चित समय पर सभा का आयोजन प्रारंभ हुआ। आरंभिक भाषण में महाराजाधिराज ने सभी जीव जंतुओं को संबोधित करते हुए सभा में पधारने का धन्यवाद दिया व सभी से अपनी अपनी समस्याएं रखने का प्रस्ताव रखा। सर्वप्रथम गधा कुमार जी ने खड़े होकर अपनी समस्या रखने के लिए महाराज से गुजारिश की जो कि तुरंत स्वीकार कर ली गई ।तत्पश्चात गधे कुमार जी ने कहना शुरू किया "महाराज मुझे अपने जीव जंतु समुदाय से कोई शिकायत नहीं है परंतु मानव जाति ने मेरा जीना मुश्किल करा हुआ है" आगे बताते हुए गधा कुमार जी बोले "मानव दिन रात मुझे सामान ढोने पर लगाए रहता है और एक पल भी मुझे आराम करने नहीं देता" ऊपर से मानव जाति ने मेरा मजाक उड़ाने के लिए कहावते तक बना रखी है, जैसे गधे के सिर पर सींग, अबे गधे , ओए गधे आदि इसके बाद में गधे ने रूआंसु होकर कहा सरकार इतनी मेहनत करने के बाद भी मानव समाज में मेरी कोई इज्जत नहीं है। अभी गधे जी की बात पूरी भी ना हो पाई थी कि बैल ने भी सभा में शोर मचा दिया "महाराज में भी कुछ कहना चाहता हूं" महाराज ने कहा बोलो आप भी अपनी समस्या बेहिचक होकर सभा में रख सकते हैं ।बैल जी बोले "महाराज मेरी भी शिकायत मानव जाति से ही है" उन्होंने बताया कि "मानव अपनी खेती में मेरा खूब इस्तेमाल करता है और इनका हल जोतते जोतते मेरी टांग टूट जाती है व मुझे वह जरा सा भी आराम नहीं करने देता, इतना ही नहीं जब मेरी उम्र हो जाती है तो वह मुझे कसाई को बेच देता है" बैल ने आगे कहा "महाराज आप ही बताएं क्या मुझे आराम करने का कोई हक नहीं" बैल की बात समाप्त होते ही तोता श्री कबूतर श्री आदि पक्षी भी अपनी शिकायत सभा में रखने को आतुर हो गए ।सभी जंतुओं ने उन्हें समझाया जल्दी मत करो तुम्हें भी अपनी शिकायत करने का पूरा मौका दिया जाएगा ।शेर महाराज ने पक्षी समुदाय से अपना पक्ष रखने को कहा तो तोता श्री फुदक कर सभा के मध्य आ गए और तीखी आवाज में बोले "महाराज मानव ने हमें तो बिल्कुल गुलाम ही बना रखा है और हमारा जीवन सालों साल पिंजरे में कैद होकर ही रह जाता और पिंजरे में ही हम लोग मर जाते हैं, महाराज हमें पिंजरे की गुलामी से आजादी दिलाई जाए" महाराज ने पक्षी समुदाय की बात को बड़े ध्यान से सुनी और कोने में बैठे श्रीमान कुत्ते जी से कहा कि "आपकी कोई समस्या नहीं है" यह सुन कुत्ते जी बोले महाराज मेरी सभी की तरह जंतु समुदाय से कोई शिकायत नहीं परंतु मानव के बारे में मैं ज्यादा बुराई नहीं कर सकता, क्योंकि जंतु समुदाय मे यदि सबसे ज्यादा वह इज्जत किसी को देता है तो कुत्ते को और हमें वह बहुत ही वफादारी की श्रेणी में रखता है । परंतु दबी दबी आवाज में कुत्ते जी बोले "मगर मुझे मानव का चैन से बांधना और पिटाई करना बिल्कुल पसंद नहीं" इसके अतिरिक्त कुछ मानव तो कुत्ते का भक्षण करने से भी नहीं चूकते यह कह कुत्ते जी शांत हुए । भक्षण की बात सुन मुर्गा और बकरे ने शोर मचा दिया जोर से सभा में दहाड़े मार-मार कर रोने लगे शेर महाराज ने उन्हें बमुश्किल चुप कराया और उनसे रोने का कारण पूछा तो वह रोते हुए बोले "महाराज मानव से हमारी रक्षा करें इन लोगों ने तो हमारा जीवन दूभर कर दिया है इनकी कोई दावत होती है वह हमारी जान लेकर ही जाती है" और तो और हम लोग तो अपनी पूरी जिंदगी भी नहीं कर पाते इससे पहले ही मानव हमारा भक्षण कर लेता है सब की समस्याएं सुन महाराज शेर ने लंबी सांस लेते हुए कहा आप सब की समस्याएं काफी गंभीर हैं । और इन सब के निस्तारण की भी अति आवश्यकता है। पर मानव को कौन समझाएगा महाराज ने सबसे मानव के सुधार के लिए अपने सुझाव रखने को कहा । करीब करीब सभी छोटे-बड़े जीव-जंतुओं ने एक सुर में महाराज से कहा "अब बात समझाने से आगे निकल चुकी है" अगर हम मानव को समझाने जाएंगे तो वह हम लोगों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। अतः अब मानव को सबक सिखाने का वक्त आ गया और सभी जीव जंतु समुदाय ने सर्वसम्मति से मानव जाति के विरुद्ध जंग का प्रस्ताव पास कर दिया। महाराज ने सभी को समझाया की जंग से कोई फायदा नहीं आपस में ही बैठ कर सुलाह कर लेते हैं। परंतु कोई भी जीव मानने को तैयार नहीं हुआ । सभी ने महाराज से आग्रह किया कि मानव को एक बार सबक सिखाना अत्यंत आवश्यक है और जंग की पूरी रूपरेखा बनाने के लिए महाराज जी को नियुक्त कर दिया । सभी जीव जंतुओं की मर्जी के आगे महाराज जी की एक न चली और उन्होंने जीव जंतुओं की जंग में पूरा साथ देने का वादा किया व अगले दिन सब को सभा स्थल पर पुनः बुलाया । अगले दिन पूरा जीव जंतु समुदाय सभा स्थल पर एकत्र हुआ और महाराज शेर से जंग की तैयारी का हाल पूछा तो महाराज जी ने कहा मैंने मानव को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई है। और इस योजना में "कोरोना विषाणु" बेटा हमारी मदद करेगा सभी जीव जंतुओं ने महाराज से पूछा यह कैसे संभव है ।कोरोना तो बहुत छोटा है और नंगी आंखों से हम इसे देख भी नहीं सकते फिर यह हमारी मदद किस प्रकार कर सकेगा ।महाराज ने कहा कोरोना ही हमारी मदद कर सकता है और मानव को अच्छी तरह सबक सिखा सकता है ।उन्होंने करोना बेटा को बुलाया और उसे आदेश दिया कि पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में किसी खाद पदार्थ में मिलकर अपना दुष्प्रभाव दिखाना शुरू करो वह एक से दूसरे दूसरे से तीसरे फिर हजारों लाखों करोड़ों लोगों में अपना दुष्प्रभाव पृथ्वी के सभी देशों में फैला दो। महाराज से आज्ञा लेकर कोरोना विषाणु ने पूर्व से पश्चिम तक पूरी पृथ्वी पर अपना दुष्प्रभाव चलाना शुरु कर दिया। धीरे धीरे दुष्प्रभाव से हजारों लाखों फिर करोड़ों लोग प्रभावित होने लगे। लाखों की संख्या में मानव मरने लगे। सभी जीव जंतुओं को मानव द्वारा अपने ऊपर किए गए अत्याचार का बदला मिल गया था और सब एकत्र होकर महाराज के पास आए व बोले "महाराज मानव जाति को अब काफी सबक मिल चुका है ,अब आप कोरोना को वापसी का आदेश दें" महाराज शेर ने तुरंत कोरोना को बुलवाया और उससे मानव जाति पर उसके प्रभाव की रिपोर्ट मांगी। कोरोना विषाणु ने सीना चौड़ा कर महाराज से कहा कि "मै आपको अभी अपने प्रभाव की छमाही रिपोर्ट देता हूं" यह कहकर करोना ने बताना शुरू किया "मानव मेरे प्रभाव से मुंह पर कपड़ा बांधकर घूमता है , मदिरा जो पीने की वस्तु है उसे मेरे प्रभाव को कम करने के लिए हाथों में लगा कर घूम रहा है, इसके अलावा सबसे मजेदार बात यह है कि मानव एक दूसरे से दूर दूर होकर बैठता है और दूर दूर होकर ही घूम रहा है" यह कहकर कोरोना ने एक जबरदस्त ठहाका लगाया सभी जीव जंतु छमाही रिपोर्ट सुनकर अति प्रसन्न हुए ,तत्पश्चात सभी जीव जंतुओं ने महाराज से कहा अब बहुत हुआ मानव को सबक मिल चुका है आप कोरोना से कहे कि वह अपने प्रभाव को खत्म करें और शांत हो जाए महाराज ने कोरोना को तुरंत आदेश दिया कि वह अपना बोरिया बिस्तर समेट कर पूरे विश्व से रवाना हो जाए । किंतु करोना तो घमंड में चूर हो चुका था उसने महाराज की बात को मानने से साफ इंकार कर दिया और बोला "आप सभी जीव जंतुओं में मैं सबसे ताकतवर हूं ,जो काम आप सब मिलकर नहीं कर सके वह मैंने अकेले कर दिखाया लिहाजा अब तो जब मेरा मन करेगा तभी मैं वापसी करूंगा" यह सुन सभी जीव जंतु बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने कोरोना को सभा से धक्के मार कर अपनी जमात से बाहर कर दिया। कोरोना की इस हरकत पर सभी जीव जंतु बहुत दुखी थे और महाराज शेर से उन्होंने कहा अब इस मुसीबत से मानव को निजात दिलाने के लिए कुछ युक्ति करें महाराज ने कहा "देखो मैं कुछ करता हूं" उन्होंने सबसे कहा "पृथ्वी पर भारतवर्ष के पीएम बहुत अच्छे व्यक्ति हैं मैं उन्हें अपने पत्रवाहक कबूतर को भेजकर खबर करता हूं" कि कैसे जीव-जंतुओं की नासमझी के कारण यह समस्या खड़ी हो गई है व करोना बागी हो गया है।महाराज ने आगे लिखा "अब हम लोगों ने करोना को अपनी जमात से भी बाहर कर दिया है अतः आप जो कठोर से कठोर कार्यवाही करोना के खिलाफ करना चाहे हमारा आपको पूर्ण समर्थन रहेगा" यह कहकर उन्होंने कबूतर जी को पत्र देकर रवाना किया ।
तत्पश्चात भारतवर्ष के पीएम ने सभी जीव जंतुओं का शुक्रिया अदा करा व अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों की पूरी टीम को करोना पर कार्यवाही के लिए लगा दिया और जल्द ही पूरा विश्व कोरोना के प्रभाव से मुक्त हो गया। इस प्रकार सभी जीव जंतुओं ने महाराज शेर के सम्मुख अपनी गलती स्वीकारी , अब उन्हे अच्छे से समझ आ चुका था कि दुनिया को प्यार से ही जीता जा सकता है ना कि बदले से, और सभी ने महाराज शेर के समक्ष प्रण किया कि अब वह मानव जाति के साथ प्रेम से ही जीवन व्यतीत करेंगे ।

सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है बदला लेना किसी समस्या का हल नहीं है ।प्रेम से ही आप एक दूसरे के दिलों को जीत सकते हैं ,इसलिए हमेशा परस्पर प्रेम भाव रखना चाहिए।

(स्वरचित )


विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

Thursday, 20 August 2020

सलाह न मानने की सज़ा

गर्मी के दिन चल रहे थे डॉक्टर तिलक अपने अस्पताल पर आज जल्दी आ गए क्योंकि आज नगर का साप्ताहिक बाजार का दिन था । अमूमन साप्ताहिक बाजार के दिन और दिनों से ज्यादा मरीज अस्पताल पर आते थे इसलिए डॉक्टर साहब भी सुबह-सुबह अस्पताल पर पहुंच गए। डॉक्टर साहब का अस्पताल बाजार के बिल्कुल मध्य में स्थित था, इस कारण वहां काफी लोग ऐसे ही मिलने भी आ जाया करते थे ।सुबह 10:00 बजे डॉक्टर साहब के मित्र मांगीलाल अपने छोटे भाई को बैलगाड़ी में लेकर आए और डॉक्टर साहब से बोले "डॉक्टर साहब जल्दी से मेरे भाई को देखो इसके सीने में बहुत तेजी से दर्द हो रहा है और इसे पसीना भी आ रहा है" डॉक्टर साहब ने अपने बाकी के मरीजों को छोड़कर इमरजेंसी मरीज को जल्दी से भाग कर देखा डॉक्टर साहब को समझते देर न लगी कि मांगीलाल के भाई को हार्ट अटैक आया है । मांगीलाल जी डॉक्टर साहब का परम मित्र भी था डॉक्टर साहब ने उसे समझाया यह बहुत गंभीर बीमारी है और इसमें रिस्क भी बहुत ज्यादा होता है, यदि आप कहें तो मैं इसका इलाज कर सकता हूं ।मांगीलाल का डॉक्टर साहब में परम विश्वास था अतः मांगीलाल ने डॉक्टर साहब को इलाज की स्वीकृति दे दी ।
डॉक्टर साहब ने मरीज का इलाज शुरू कर दिया व मरीज के घर वालों को सख्त हिदायत दी कि दो-तीन घंटे तक सीधे होकर ही लेटना है और यह बिल्कुल भी ना हिले ,असल में गांव देहात की यह परंपरा रही है कि जब भी कोई गाड़ी ठेला आदि गांव से शहर की ओर आता है तो वह घरेलू सामान लाने के लिए पूरी लिस्ट बना लेते हैं ताकि एक ही बार में सब सामान आ जाए क्योंकि बार-बार गांव से शहर आना संभव नहीं हो पाता है ।यही सोच के साथ मांगीलाल अपने भाई को डॉक्टर साहब के अस्पताल पर छोड़ बाजार सामान लेने चला गया । मांगीलाल अपने परिवार के सदस्यों को मरीज के साथ मिजाज पुर्सी के लिए छोड़ गया ,डॉक्टर साहब भी जब मांगीलाल के भाई को थोड़ा आराम आया तो अपने मरीज में व्यस्त हो गए । दोपहर के 1:00 बजे होंगे तभी मंदिर के पुजारी सुमति बाबा भागे भागे डॉक्टर साहब के पास आए और बोले "डॉक्टर साहब जल्दी चलिए मंदिर में एक भक्त की अचानक बहुत तबियत खराब हो गई है
और वह चक्कर खाकर गिर गया है" डॉक्टर साहब ने तुरंत अपनी दवा की पेटी उठाई और सुमति बाबा के साथ मंदिर की ओर चल दिए रास्ते में डॉक्टर साहब ने समिति बाबा से पूछा बाबा मरीज को क्या परेशानी है, सुमति ने जवाब दिया डॉक्टर साहब यह व्यक्ति अभी-अभी स्कूटर से मंदिर आया था और अचानक इसके सीने में दर्द होने लगा और इसे पसीना भी आया और एकदम से यह चक्कर खाकर गिर गया । डॉक्टर साहब ने मंदिर पहुंचकर मरीज को देखा तो उन्हें बड़ी हैरानी हुई क्योंकि यह भी हार्टअटैक का ही मामला था डॉक्टर साहब ने इलाज शुरू किया कुछ देर में मरीज को होश आ गया , उसने बताया "मेरा नाम मिस्टर कपूर है और मैं शुगर मिल में काम करता हूं, हार्ट की बीमारी से पीड़ित हूं" यह सुन डाक्टर साहब ने मिस्टर कपूर को कहा "अगर आपका हार्ट का इलाज चल रहा है तो आपको स्कूटर चला कर ऐसे नहीं आना चाहिए था, इससे हार्ट पर जोर पड़ता है" मिस्टर कपूर ने अपनी गलती को माना और जल्द ही ठीक करने की डॉक्टर साहब से विनती की ,डॉक्टर साहब ने कहा यदि आपको ठीक होना है तो दो-तीन घंटे तक शवासन में लेटे रहे बिल्कुल भी नहीं हिले । मिस्टर कपूर ने डॉक्टर साहब की सलाह पर सीधे होकर मंदिर में ही एक चारपाई पर लेट गए । मिस्टर कपूर को थोड़ा आराम मिलने पर डॉक्टर साहब दो-तीन घंटे बाद दोबारा देखने को कहकर वापस अपने अस्पताल आ गए । जैसे ही डॉक्टर साहब अपने अस्पताल पर आए तो उन्होंने देखा कि मांगीलाल का भाई जिसे वह अपने अस्पताल पर आराम करता छोड़ गए थे ,वह अस्पताल से नदारद है उन्होंने तुरंत कंपाउंडर को बुलाया और पूछा "मैं उस मरीज को आराम करने को कहा गया था फिर वह कहां चला गया" कंपाउंडर ने डरते डरते कहा, वह मरीज हमारी नजर से बचकर कहीं चला गया है ।डॉक्टर साहब अपने मरीजों में व्यस्त हो गए तभी कुछ देर पश्चात उन्होंने देखा कि मांगीलाल का भाई बाजार से थैला उठाए आ रहा है । उसने अस्पताल में थैला रखा और अस्पताल के सामने सड़क पार कर पेशाब करने बैठ गया यह देख डॉक्टर साहब बहुत नाराज़ हुए और उन्होंने तुरंत मांगीलाल को बुलवाया और उससे कहा "मैंने जब मना किया था तो आपका भाई चारपाई से उठा कैसे" मांगीलाल चुप रहा इतनी देर में मांगीलाल का भाई भी आ गया, डॉक्टर साहब ने उससे पूछा "आप कहां उठकर चले गए थे जब आपकी इतनी तबीयत खराब थी" तो मांगीलाल के भाई ने उत्तर दिया "अब मैं बिल्कुल ठीक हूं मैं जरा बाजार से गुड़ लेने चला गया था" इतना कहना ही था कि मांगीलाल के भाई के सीने में फिर जोर से दर्द होने लगा, उसे पसीना भी आने लगा ,यह देख डॉक्टर साहब ने उन्हें फौरन अपने मरीज को लिटाने को कहा और बताया "यह बहुत तीव्र हृदय आघात है ,अब मैं भी कुछ नहीं कर सकता" कुछ ही पलों में मरीज के प्राण पखेरू उड़ गए । पूरे बाजार में शोर मच गया कि डॉक्टर साहब की दुकान पर एक मरीज की मृत्यु हो गई है। मांगीलाल समझ चुका था कि उसके भाई की गलती है और उसे बगैर सलाह के ऐसे बाजार में नहीं जाना चाहिए था । अब डॉक्टर साहब को मंदिर वाले मरीज मिस्टर कपूर का ख्याल आया , क्योंकि उन्हें भी हृदयाघात हुआ था और डॉक्टर साहब भागे भागे मंदिर पहुंचे तो देखा मिस्टर कपूर चारपाई पर विश्राम कर रहे हैं ।यह देख डॉक्टर साहब की जान में जान आई और मिस्टर कपूर से उनका हाल पूछा मिस्टर कपूर ने बताया "मैं बिल्कुल ठीक हूं और आपकी सलाह के अनुसार बिल्कुल सीधे होकर लेटा हुआ हूँ, अब जब आप कहेंगे तभी मैं घर की ओर प्रस्थान करूंगा" मिस्टर कपूर की स्थिति देख डॉक्टर साहब ने राहत की सांस ली और पुजारी जी से कहा "बाबा आप स्वयं रिक्शे पर बिठाकर मिस्टर कपूर को उनके घर छोड़कर आए" और इस प्रकार मिस्टर कपूर ने डॉक्टर साहब की सलाह पर चलकर अपने जीवन को बचा लिया और मांगीलाल के भाई ने डॉक्टर साहब की सलाह पर कोई ध्यान नहीं दिया व डॉक्टर साहब की सलाह ना मानने की सजा उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी ।
आज के परिवेश में पूरे विश्व में कोरोना का प्रकोप है इस महामारी से रोज लाखों की तादाद में लोग मर रहे हैं सरकार , डब्ल्यूएचओ , स्वास्थ्य विभाग सभी जनता को समझाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं ।परंतु लोग सड़कों पर भीड़ लगाकर घूम रहे हैं और स्वास्थ्य कर्मियों की सलाह को दरकिनार कर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, मैं तो बस इतना ही कहूंगा कहीं डॉक्टर की सलाह ना मानना जनता को भारी न पड़ जाए ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com 

कविता

                   "तुम सब कुछ हो ना "

अब काहे का रोना ,जब हो गया तुम्हें करोना ।
बाहर थे जब तुम जाते ,हम सब तुम को समझाते ।
हो गया जो था होना ,अब काहे का रोना ।।

गमछा गले में डाले , सबके तुम रखवाले ।
हो गई समाज की सेवा , मिल गया तुमको मेवा ।
अब अकेले ही तुम सब सहना , अब काहे का रोना ।।

समझाते थे तुमको सारे , मगर माने नहीं तुम प्यारे ।
अब तुमको ही सब सहना , पड़ेगा अस्पताल में रहना ।। मरीजों के संग तुम सोना , अब काहे का रोना ।।

जल्दी से घर को आना , बिल्कुल मत घबराना ।
कहती है तुम्हारी बहना ,हमारे लिए
"तुम सब कुछ हो ना"


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

ह्यूमन vs वाइल्ड

जंगल के राजा शेर 🐯 ने आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए सभी जीव जंतुओं की जंगल में एक सभा का आयोजन किया। जंतुओं को संबोधित करते हुए सभा में पधारने का धन्यवाद दिया व सभी से अपनी अपनी समस्याएं रखने का प्रस्ताव रखा। सर्वप्रथम गधा 🐴 कुमार जी ने खड़े होकर अपनी समस्या रखने के लिए महाराज से गुजारिश की जो कि तुरंत स्वीकार कर ली गई ।तत्पश्चात गधे कुमार जी ने कहना शुरू किया "महाराज मुझे अपने जीव जंतु समुदाय से कोई शिकायत नहीं है परंतु मानव जाति ने मेरा जीना मुश्किल करा हुआ है" आगे बताते हुए गधा कुमार जी बोले "मानव दिन रात मुझे सामान ढोने पर लगाए रहता है और एक पल भी मुझे आराम करने नहीं देता" गधे ने रूआंसु होकर कहा सरकार इतनी मेहनत करने के बाद भी मानव समाज में मेरी कोई इज्जत नहीं है।गधे की बात समाप्त होते ही तोता श्री 🦜फुदक कर सभा के मध्य आ गए और तीखी आवाज में बोले "महाराज मानव ने हमें तो बिल्कुल गुलाम ही बना रखा है और हमारा जीवन सालों साल पिंजरे में कैद होकर रह जाता और पिंजरे में ही हम लोग मर जाते हैं, महाराज हमें पिंजरे की गुलामी से आजादी दिलाई जाए" तोता श्री बोले मानव तो अब उनका भक्षण भी कर रहे हैं । भक्षण की बात सुन मुर्गा 🐓और बकरे🐐 ने शोर मचा दिया जोर से सभा में दहाड़े मार-मार कर रोने लगे शेर महाराज🐯 ने उन्हें बमुश्किल चुप कराया और उनसे रोने का कारण पूछा तो वह रोते हुए बोले "महाराज मानव से हमारी रक्षा करें इन लोगों ने तो हमारा जीवन दूभर कर दिया है इनकी कोई दावत होती है वह हमारी जान लेकर ही जाती है" और तो और हम लोग तो अपनी पूरी जिंदगी भी नहीं कर पाते इससे पहले ही मानव हमारा भक्षण कर लेता है सब की समस्याएं सुन महाराज शेर ने लंबी सांस लेते हुए कहा आप सब की समस्याएं काफी गंभीर हैं और इन सब के निस्तारण की भी अति आवश्यकता है। सभी छोटे-बड़े जीव-जंतुओं ने एक सुर में महाराज से कहा "अब बात समझाने से आगे निकल चुकी है" अतः अब मानव को सबक सिखाने का वक्त आ गया और सभी जीव जंतु समुदाय ने सर्वसम्मति से मानव जाति के विरुद्ध जंग का प्रस्ताव पास कर दिया। महाराज ने सभी को समझाया की जंग से कोई फायदा नहीं आपस में ही बैठ कर सुलाह कर लेते हैं। परंतु कोई भी जीव मानने को तैयार नहीं हुआ । सभी ने महाराज से आग्रह किया कि मानव को एक बार सबक सिखाना अत्यंत आवश्यक है । महाराज जी ने कहा मैंने मानव को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई है। और इस योजना में "कोरोना विषाणु" बेटा हमारी मदद करेगा सभी जीव जंतुओं ने महाराज से पूछा यह कैसे संभव है ।कोरोना तो बहुत छोटा है और नंगी आंखों से हम इसे देख भी नहीं सकते फिर यह हमारी मदद किस प्रकार कर सकेगा ।महाराज ने कहा कोरोना ही हमारी मदद कर सकता है और मानव को अच्छी तरह सबक सिखा सकता है ।उन्होंने करोना को बुलाया और उसे आदेश दिया कि पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में किसी खाद पदार्थ में मिलकर अपना दुष्प्रभाव दिखाना शुरू करो वह एक से दूसरे दूसरे से तीसरे फिर हजारों लाखों करोड़ों लोगों में अपना दुष्प्रभाव पृथ्वी के सभी देशों में फैला दो। महाराज से आज्ञा लेकर कोरोना विषाणु ने पूर्व से पश्चिम तक पूरी पृथ्वी पर अपना दुष्प्रभाव चलाना शुरु कर दिया। लाखों की संख्या में मानव मरने लगे। सभी जीव जंतुओं को मानव द्वारा अपने ऊपर किए गए अत्याचार का बदला मिल गया था और सब एकत्र होकर महाराज के पास आए व बोले "महाराज मानव जाति को अब काफी सबक मिल चुका है ,अब आप कोरोना को वापसी का आदेश दें" महाराज शेर ने तुरंत कोरोना को बुलवाया और उससे मानव जाति पर उसके प्रभाव की रिपोर्ट मांगी। कोरोना विषाणु ने सीना चौड़ा कर महाराज से कहा कि "मै आपको अभी अपने प्रभाव की छमाही रिपोर्ट देता हूं" यह कहकर करोना ने बताना शुरू किया "मानव मेरे प्रभाव से मुंह पर कपड़ा बांधकर घूमता है , इसके अलावा सबसे मजेदार बात यह है कि मानव एक दूसरे से दूर दूर होकर बैठता है " यह कहकर कोरोना ने एक जबरदस्त ठहाका लगाया सभी जीव जंतु छमाही रिपोर्ट सुनकर अति प्रसन्न हुए ,तत्पश्चात सभी जीव जंतुओं ने महाराज से कहा अब बहुत हुआ मानव को सबक मिल चुका है आप कोरोना से कहे कि वह अपने प्रभाव को खत्म करें और शांत हो जाए । महाराज ने कोरोना को तुरंत आदेश दिया कि वह अपना बोरिया बिस्तर समेट कर पूरे विश्व से रवाना हो जाए । किंतु करोना तो घमंड में चूर हो चुका था उसने महाराज का आदेश मानने से साफ इंकार कर दिया । यह सुन सभी जीव जंतु बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने कोरोना को सभा से धक्के मार कर अपनी जमात से बाहर कर दिया। कोरोना की इस हरकत पर सभी जीव जंतु बहुत दुखी थे ।महाराज ने कहा "पृथ्वी पर भारतवर्ष के पीएम बहुत अच्छे व्यक्ति हैं मैं उन्हें अपने पत्रवाहक कबूतर को भेजकर खबर करता हूं" कि कैसे जीव-जंतुओं की नासमझी के कारण यह समस्या खड़ी हो गई है व करोना बागी हो गया है। उन्होंने कबूतर जी को पत्र देकर रवाना किया ।
तत्पश्चात भारतवर्ष के पीएम नेअपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों की पूरी टीम को करोना पर कार्यवाही के लिए लगा दिया और जल्द ही पूरा विश्व कोरोना के प्रभाव से मुक्त हो गया। इस प्रकार सभी जीव जंतुओं ने महाराज शेर के सम्मुख अपनी गलती स्वीकारी , अब उन्हे अच्छे से समझ आ चुका था कि दुनिया को प्यार से ही जीता जा सकता है ना कि बदले से, और सभी ने महाराज शेर के समक्ष प्रण किया कि अब वह मानव जाति के साथ प्रेम से ही जीवन व्यतीत करेंगे ।

(स्वरचित )


विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com

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