"तुम सब कुछ हो ना "
अब काहे का रोना ,जब हो गया तुम्हें करोना ।
बाहर थे जब तुम जाते ,हम सब तुम को समझाते ।
हो गया जो था होना ,अब काहे का रोना ।।
गमछा गले में डाले , सबके तुम रखवाले ।
हो गई समाज की सेवा , मिल गया तुमको मेवा ।
अब अकेले ही तुम सब सहना , अब काहे का रोना ।।
समझाते थे तुमको सारे , मगर माने नहीं तुम प्यारे ।
अब तुमको ही सब सहना , पड़ेगा अस्पताल में रहना ।। मरीजों के संग तुम सोना , अब काहे का रोना ।।
जल्दी से घर को आना , बिल्कुल मत घबराना ।
कहती है तुम्हारी बहना ,हमारे लिए
"तुम सब कुछ हो ना"
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
अब काहे का रोना ,जब हो गया तुम्हें करोना ।
बाहर थे जब तुम जाते ,हम सब तुम को समझाते ।
हो गया जो था होना ,अब काहे का रोना ।।
गमछा गले में डाले , सबके तुम रखवाले ।
हो गई समाज की सेवा , मिल गया तुमको मेवा ।
अब अकेले ही तुम सब सहना , अब काहे का रोना ।।
समझाते थे तुमको सारे , मगर माने नहीं तुम प्यारे ।
अब तुमको ही सब सहना , पड़ेगा अस्पताल में रहना ।। मरीजों के संग तुम सोना , अब काहे का रोना ।।
जल्दी से घर को आना , बिल्कुल मत घबराना ।
कहती है तुम्हारी बहना ,हमारे लिए
"तुम सब कुछ हो ना"
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
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