Thursday, 20 August 2020

कविता

                   "तुम सब कुछ हो ना "

अब काहे का रोना ,जब हो गया तुम्हें करोना ।
बाहर थे जब तुम जाते ,हम सब तुम को समझाते ।
हो गया जो था होना ,अब काहे का रोना ।।

गमछा गले में डाले , सबके तुम रखवाले ।
हो गई समाज की सेवा , मिल गया तुमको मेवा ।
अब अकेले ही तुम सब सहना , अब काहे का रोना ।।

समझाते थे तुमको सारे , मगर माने नहीं तुम प्यारे ।
अब तुमको ही सब सहना , पड़ेगा अस्पताल में रहना ।। मरीजों के संग तुम सोना , अब काहे का रोना ।।

जल्दी से घर को आना , बिल्कुल मत घबराना ।
कहती है तुम्हारी बहना ,हमारे लिए
"तुम सब कुछ हो ना"


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

No comments:

Post a Comment

कृपया पोस्ट को शेयर करे ............धन्यवाद