"यात्री - द ट्रैवलर"
EPISODE : 1
सुरभि आज अपने कॉलेज जाने के लिए जल्दी तैयार हो गई थी क्यों ना हो आज उसका कॉलेज का पहला दिन जो था । कॉलेज के शुरुआती दिन में सब अच्छा हो यही सोच वह घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेकर अपने कॉलेज की शुरुआत करना चाहती थी , मम्मी ने सुरभि को रात को ही ऑल द बेस्ट कह दिया था लेकिन पापा से रात को भी ज्यादा बात नहीं हो पाई थी , सुरभि ने मम्मी से पूछा पापा कहां है ? मुझे उनसे मिलकर कॉलेज जाना है । सुरभि की मम्मी ने उसे बताया कि आकाश (सुरभि का पिता) को पता नहीं आजकल क्या हो गया जब से उनके माता-पिता व भाई की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हुई है ,वो बहुत ही खोए खोए से रहते हैं , रोज सुबह सुबह ही समुद्र किनारे चले जाते हैं और घंटो वहीं बैठे रहते हैं । सुरभि को अपनी मां की बात सुन बहुत आश्चर्य हुआ और वह अपनी मां से शिकायत भरे लहजे में बोली पापा इतने परेशान हैं और आपने मुझे बताया तक नहीं , मैं आज ही पापा से बात करूंगी ।
इतना कह सुरभि अपने शहर कुट्टी के बाहरी छोर जहां समुद्र का किनारा था वहां चली गई । कुट्टी एक दक्षिण भारत का खूबसूरत कस्बा था जो कि समुद्र के किनारे बसा हुआ था , शहर के लोग अक्सर घूमने समुद्र के किनारे आ जाया करते थे । आकाश भी यही अक्सर आता था , सुरभि अपने घर से आकाश को मिलने के लिए निकल पड़ी । समुद्र के किनारे पहुंच सुरभि ने आकाश को पैनी निगाह से ढूंढना शुरू किया काफी देर ढूंढने के पश्चात उसे आकाश एक कोने में बैठा मिल गया , सुरभि दूर से ही आकाश को देख रही थी । आकाश की आंखों से आंसू बह रहे थे और वह कुछ बडबडा रहा था , दूर होने के कारण सुरभि कुछ सुन नहीं पा रही थी सुरभि आकाश के और नजदीक आ गई और गौर से आकाश की आवाज सुनने लगी । आकाश फूट-फूट कर रो रहा था और कह रहा था "पापा , मम्मी , भैया मैं एक बार फिर अनाथ हो गया , अब मुझे कौन सहारा देगा , पहले तो आप सब ने मुझे संभाल लिया , अब कौन संभालेगा"
सुरभि ने आकाश के कंधे पर हाथ रखा तो आकाश ने पीछे मुड़कर देखा , हाथों से आंखों के आंसू पहुंचते हुए सुरभि से बोला "आओ सुरभि बैठो" सुरभि ने आकाश से कहा..... "पापा आप आजकल कहां है , हम सब आपके साथ हैं ,मैं हूं , मम्मी है" आकाश ने रुंधे गले से सुरभि के सर पर हाथ फेरते हुए कहा .. .मां-बाप व भाई की कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता और आकाश अपने मुंह कंधे मे छुपाए बैठ गया ।
सुरभि ने पापा को ढाढ़स बधाते हुए कहा ..... "पापा एक बात पुछू"
आकाश ने कहा ...."पूछो"
बेटी सुरभि ने कहा..... पापा आप रोते हुए कह रहे थे एक बार फिर अनाथ हो गया इसका क्या मतलब हुआ मेरी समझ में नहीं आया ।
आकाश ने सुरभि की बात सुन सकपका गया और बात बीच में ही काटते हुए बोला कोई बात नहीं है चलो घर चलते हैं । आकाश की हड़बड़ाहट को सुरभि भाप गई और आकाश से बोली पापा आप हम पर विश्वास नहीं करते क्या ? आकाश ने कहा..... "ऐसी कोई बात नहीं" सुरभि ने बीच में ही बात काटते हुए आकाश का हाथ अपने सर पर रख दिया और बोली "पापा आप को मेरी कसम है , सच सच सच बताओ आपको क्या परेशानी है"
आकाश ने कहना शुरू किया यह उन दिनों की बात है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था । हम कुट्टी के हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे । मेरे माता-पिता और मैं बहुत झगड़े होते थे , लेकिन वह जल्द ही एक दूसरे को मना भी लेते थे ,मेरी बहन रोजी का ध्यान पढ़ाई में कम और मेकअप में ज्यादा रहता था । कुल मिलाकर लड़ते झगड़ते एक दूसरे को मनाते हमारा परिवार चल रहा था ।
एक शाम हम सब समुद्र के किनारे सैर पर आए हुए थे कि अचानक से खतरे का अलार्म बज गया और लोगों को समुद्र तट से अपने घरों को जाने का आर्डर हो गया । कारण यह था कि यहा बहुत ही भयंकर तूफान आने वाला था इसी कारण प्रशासन समुद्र तट पर चौकसी कर रहा था , हम सब लोग भी तूफान का नाम सुन घबरा गए और अपना सामान समेटकर जाने की तैयारी करने लगे । अभी हम लोग अपना सामान समेट ही रहे थे कि अचानक से समुद्र की बड़ी-बड़ी लहरें तट पर प्रवेश कर गई और सब कुछ बहा कर अपने साथ ले जाने लगी , धीरे-धीरे वह लहरें बढ़ने लगी और हमारे जैसे सैकड़ों परिवार उसकी चपेट में आ गए । मेरा पूरा परिवार उस समुद्री तूफान में बह गए , मैं भी समुद्री लहरों में चपेट में आने से अपनी सद्बुद्धि खो बैठा और मुझे कुछ याद ना रहा की लहरें हमें कहां ले जा रही हैं ।
क्रमश:
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
"यात्री - द ट्रैवलर"
EPISODE : 2
अगले दिन मैंने अपने आप को समुद्र के किनारे रेत पर पड़ा पाया , मैं उठकर जब वहां का नजारा देखा तो ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यहां समुद्र में तूफान आया है ।
मैं तेजी से अपने घर की ओर भागा भागते भागते मैं कुछ ही समय में अपने घर पहुंच गया घर पर सब कुछ सामान्य था , मैंने डोर बेल बजाई तो दरवाजा मेरी मम्मी ने खोला और खुलते ही उन्होंने मुझे डाटा आकाश इतने गंदे होकर कैसे घूम रहे हो । मैंने कुछ नहीं कहा और सीधे अपने कमरे में चला गया , लेकिन अपने कमरे की हालत देख बहुत अचरज में पड़ गया अमूमन में अपना सामान बहुत ही व्यवस्थित रखता था लेकिन मेरे कमरे में सब कुछ बिखरा पड़ा था , कपड़े क्या किताबे क्या सब कुछ देख मैं आश्चर्यचकित हो गया । मैं तुरंत बाहर अपनी मम्मी के पास आया और उनसे पूछा कि मेरे कमरे का इतना बुरा हाल किसने किया तो मम्मी ने हंसते हुए कहा "यह तुम पूछ रहे हो कभी अपना सामान उठाकर इधर से उधर रखा है , हमेशा ही तो ऐसे रहता है , तुम्हारा कमरा"
मम्मी के यह शब्द सुन मेरे पैरों तले जमीन निकल गई । मेरे साथ यह क्या हो रहा है ,मैं भागकर रोते रोजी के कमरे में गया तो रोज अपनी पढ़ाई में व्यस्त थी उसके कमरे में प्रवेश कर ऐसा लग रहा था कि किसी अच्छे पढ़ने वाले बच्चे के कमरे में किताबों की रेक लगी हुई थी ,नाइट लैंप टेबल चेयर आदि को देख अचरज में पड़ गया रोजी और पढ़ाई , मैंने रोजी से पूछा तुम मेरे कमरे में गई थी क्या ? रोजी ने कहा ...."मैं तो रात से लगातार पड़ रही हूं , मुझे एग्जाम की तैयारी करनी है" मैं क्यों जाऊंगी ? रोजी के व्यवहार को देख मुझे एक और झटका लगा , यह क्या हो गया ? जो लड़की सारा दिन मेकअप करती रहती थी , वह अचानक से कैसे बदल
गई ।
लेकिन मैं चुप रहा और अपने कमरे में आकर सो गया । सुबह सुबह उठ मैं यह देख कर मुझे और भी ताज्जुब हुआ कि मम्मी पापा जो सुबह से ही लड़ना शुरू कर देते थे वह बड़े प्यार से हंस हंस कर बातें कर रहे थे । नाश्ते की टेबलपर पापा ने मुझसे पूछा आकाश तुम तो 10 दिन के स्कूल टूर पर गए थे इतनी जल्दी कैसे आ गए । मैं चुप रहा और कुछ नहीं बोला पापा ने आगे कहा चलो कोई बात नहीं अब अपने रूम मे जाकर पढ़ाई करो । मैं अपने रूम में आकर लेट गया और सोचने लगा यह सब मेरे साथ क्या हो रहा है पापा स्कूल टूर की बात क्यों कर रहे हैं और सोचते-सोचते मेरी आंख लग गई । मैं जब उठा तो मेरे साथ वही सब हैरान करने वाली बातें हो रही थी , सभी के स्वभाव में इतना परिवर्तन मेरे लिए बहुत परेशान करने वाला था , मैंने सोचा सभी लोगों एक साथ बदल नहीं सकते शायद मुझे ही कुछ हुआ है । मैं चुपके से एक मनोचिकित्सक के पास पहुंचा और उसे बताया कि मुझे सभी के स्वभाव में परिवर्तन नजर क्यों आ रहा है ,मनोचिकित्सक ने कुछ जरूरी जांच कर मुझे बताया कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ है थोड़ा आराम करो सब ठीक हो जाएगा ।
इसी तरह हैरानी भरे करीब करीब 10 दिन बीत गए 1 दिन सुबह अचानक डोर बेल बजी तो पापा ने मुझ को कहा देखो आकाश कौन है , मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने क्या देखता हूं कि हूबहू मेरी तरह एक लड़का दरवाजे के सामने खड़ा है । ऐसा लग रहा था जैसे मैं ही नहीं शीशे के सामने खड़ा हो गया हूं , वो भी मुझे देखकर ऐसे ही भौचक्का रह गया जैसे कि मैं , परिवार के सभी लोग भी दरवाजे पर आ चुके थे और वह हम दोनों को हैरानी से देख रहे थे । तभी चुप्पी तोड़ते हुए दरवाजे पर खड़े लड़के ने मेरे पापा से पूछा पापा यह कौन है , पापा मम्मी को कुछ कहते नहीं बन रहा था । उन्होंने हिम्मत करके उस लड़के से पूछा...... तुम कौन हो ? तो उस लड़के ने बताया उसका नाम आकाश है और वह स्कूल टूर पर गया था आज वह टूर से वापस आया है । टूर की बात सुन पापा मम्मी रोजी समझ मे सारा माजरा आ गया कि दरवाजे पर खड़ा लड़का ही असली आकाश है , अब तो उन सब लोगों ने मुझे कस कर पकड़ लिया कि यह कोई बहरूपिया है । लेकिन मैंने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की , कि मैं भी आकाश हूं और आपका बेटा हूं । मैंने उन्हें अपने साथ घटी सारी घटनाएं विस्तार से बताई कि किस प्रकार मैं अपने परिवार के साथ समुद्र तट पर गया और तूफान की चपेट मे आकर मेरा पूरा परिवार बह गया जब मुझे होश आया तो मैं सीधे घर आ गया और मुझे यहां सब कुछ बदला बदला नजर आया । जैसे रोजी का व्यवहार आपका व्यवहार ,मनोचिकित्सक को भी दिखाया मेरी बातें सुन मम्मी पापा और रोजी को यकीन आ गया क्योंकि उन्होंने भी मेरे साथ पिछले 10 दिनों में यह सब महसूस किया था ।
लेकिन उनके पुत्र आकाश को मेरी बात पर यकीन ना था और वह मुझे पुलिस के हवाले करने पर आमादा था । लेकिन मम्मी पापा ने उसे रोक दिया और कहा अगर इसने चोरी करनी होती तो अब तक कर ली होती और 10 दिनों में यह कभी भी चोरी कर सकता
था ।
रोजी ने अपने मम्मी पापा व भाई आकाश की बात बीच में काटते हुए कहा यदि आप आज्ञा दे तो मैं कुछ कहू ।सभी को रोजी की विद्वता पर यकीन था क्योंकि नई-नई चीजें वैज्ञानिक जानकारी का भंडार थी रोजी । रोजी ने कहा "मैं जो बातें कहने जा रही हूं इसकी मेरे पास कोई प्रमाण तो नहीं लेकिन यह विज्ञान में एक थ्योरी भी बताई जाती है , जिसे सुन शायद आपको यकीन ना हो" सभी ने रोजी से कहा हमें तुम पर पूरा यकीन है तुम निसंकोच होकर बताओ रोजी ने बताया ...... विज्ञान में एक समानांतर दुनिया की परिकल्पना भी है जिसमे हमारी दुनिया की तरह ही एक और दुनिया भी है जिसमें सभी कुछ एक समान है , व्यक्ति , घर सामान सब कुछ , इस तरह एक दुनिया से दूसरी दुनिया में प्रवेश करने को ब्लैक होल हैं , जिससे व्यक्ति एक दुनिया से दूसरी दुनिया में जा सकता है ।
यह व्यक्ति ट्रैवलर कहलाते हैं, रोजी आगे कहती है कि मुझे यह पूरा अंदेशा है कि आकाश भी एक ट्रैवलर है जो कि गलती से हमारी दुनिया में आ गया हैं । रोजी के मां-बाप उससे पूछते हैं कि ट्रैवलर किस तरह से वापसी अपनी दुनिया में जा सकते हैं , इस बारे में रोजी को स्पष्ट जानकारी नहीं थी । मैं एक तरफ बैठा नीचे मुँह कर रो रहा था , तभी आकाश के पापा मेरे पास आए और उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा वह दुनिया ना सही ,यह दुनिया ही सही , तुम यहां हमारे बेटे बन कर रहो हम सब से कह देंगे कि यह हमारा जुड़वा बेटा है और कहीं बाहर चला गया था । उसके बाद से मै इसी परिवार के साथ घरेलू सदस्य के रूप में रह रहा हूं और आकाश शांत हो गया ।
सुरभि ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा पापा आप की यह दुनिया भी अपनी है हम भी आपके अपने हैं अब आज के बाद आप अपने आपको ट्रैवलर नहीं समझेंगे , आकाश की सुरभि को गले लगा लिया और दोनों घर की ओर चल दिए ।
यह कहानी विज्ञान की एक प्रबल परिकल्पना समानांतर दुनिया से प्रेरित है कुछ लोगों को का ऐसा मानना है कि समानांतर दुनिया होती है और ट्रैवलर इस दुनिया से दूसरी दुनिया में भ्रमण करते रहते हैं व कुछ वापस आ जाते हैं तथा कुछ आकाश की तरह यहीं के होकर रह जाते हैं ।
(स्वरचित)
विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986