Thursday, 20 August 2020

कमीशन


डॉक्टर साहब खाली टाइम में बैठे अपने दोनो कंपाउंडर से बात कर रहे थे ।डॉक्टर साहब का नया अस्पताल बन रहा था और वह कंपाउंडरो को समझा रहे थे कि किस प्रकार से व्यवस्था को संभालना है । डॉक्टर साहब ने अपने कंपाउंडर सुशील से कहा मैं तो दुखी हो गया हूं, इनमें मिस्त्रीयों से और लकड़ी के काम करने वालों से जहां देखो कमीशन का माहौल बना रखा है। जो भी सामान खरीदने जाता हूं , इन लोगों का कमीशन वहां पर सेट होता है इस हिसाब से तो मुझे नए अस्पताल में बहुत पैसा खर्च करना पड़ेगा । अभी यह बात चल ही रही थी कि अचानक डॉक्टर साहब के पास एक जनाना मरीज आ गया । डॉक्टर साहब ने फौरन अपनी वाइफ को बुलाया और उन्हें मरीज को लेबर रूम में शिफ्ट कर दिया । डॉक्टर साहब की वाइफ जो कि एक महिला डाक्टर थी, मरीज को देखने लगी, कुछ ही देर में डॉक्टर साहब के केबिन में एक बैग टांगे आशा वर्कर का प्रवेश हुआ आशा के आते ही डॉक्टर साहब ने कहा आओ शीला बैठो तुम्हारे मरीज को क्या परेशानी है बताओ । आशा वर्कर ने कहा इसका डिलीवरी का टाइम है और मैं भाभी जी से इसका प्रसव कराने के लिए लाई हूं । कुछ देर पश्चात आशा वर्कर ने अपनी ड्यूटी का हवाला देते हुए डाक्टर साहब से जाने की इजाजत मांगी और जाते-जाते डॉक्टर साहब से बोली डॉक्टर साहब मेरे कमीशन का ध्यान रखना अब तो मैं लगातार आपके पास केस लेकर आती हूं । कंपाउंडर सुशील के सामने इस तरह के लफस सुनकर डॉक्टर साहब कुछ असहज से हुए । यह कह आशा वर्कर तो चली गई लेकिन कंपाउंडर सुशील डॉक्टर साहब को नजरें गड़ाए देख रहा था। डाक्टर साहब भी कंपाउंडर सुशील से नजर बचाते हुए अपने काम में व्यस्त हो गए ।


(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com 

Thursday, 13 August 2020

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क्या अंतर है युद्ध और लड़ाई मे :-
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यदि आप युद्ध जीतना चाहते हैं तो लड़ाई हार जानें के लिये तैयार रहिये ।
अंगरेजी में युद्ध WAR को कहा जाता है और लड़ाई BATTLE को
BATTLE अथवा लड़ाई स्वार्थीपन और WAR अथवा युद्ध सहकारिता की भावना है
आज अधिकांशतः युद्ध और लड़ाई के बीच का अंतर पता ही नहीं है अथवा लड़ाई को ही युद्ध मान बैठे हैं ।
यही स्थिति आज के आन्दोलनों की है , अभियानों को आन्दोलन का नाम दिया जाता है , अभियान समय-समय पर चलते रहते हैं और ठहर जाते हैं परन्तु आन्दोलन अनवरत् चलता रहता है जबतक लक्ष्य प्राप्त न हो जाय ।


Copied
 

महा ठग

आज अचानक प्रॉपर्टी डीलर राकेश , के लाल के पास दोपहर के समय किसी अमर नाम के व्यक्ति को लाया और बोला की "के लाल साहब आप के प्लाट के लिए मैं एक ग्राहक लेकर आया हूं" राकेश ने बताया कि यह अमर साहब है सेना से रिटायर हैं और आपके शहर में बसना चाहते हैं। इसलिए मैं इन्हें आपका प्लॉट दिखाने के लिए लेकर आया हूं ।चाय पानी की औपचारिकता के पश्चात के लाल साहब अपने स्कूटर पर बिठाकर अमर को अपना प्लाट दिखाने के लिए ले गए ।राकेश भी मोटरसाइकिल से वहां पहुंच गया। अमर को प्लॉट पसंद आ गया और उसने के लाल की मुंह मांगी कीमत पर प्लाट खरीद लिया। राकेश को भी उसका कमीशन मिल गया इसके पश्चात के लाल व अमर मे अच्छी छनने लगी , रोज का मिलना जुलना होने लगा । एक दिन अमर बोला "के लाल साहब मैं अपने परिवार को यहां लाना चाहता हूं ,मुझे कोई किराए का मकान दिलवाए" क्योंकि अमर लाल साहब की गुड बुक में आ चुका था, लिहाजा के लाल ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर अमर को रहने के लिए मकान दिलवा दिया । जल्द ही अमर अपनी पत्नी छोटे लड़के व बड़े लड़के की बहू के साथ किराए के मकान में आ गया । उसने के लाल को बताया की उसका बड़ा लड़का पंजाब में ही उसकी खेती बाड़ी देखता है वह कभी-कभी आया करेगा ।अमर जल्द ही अपना मकान बनाना चाहता था लिहाजा उसने के लाल से मकान बनाने हेतु हर संभव मदद करने की गुजारिश की ,के लाल भी अमर की गुजारिश को मना नहीं कर पाए और उनसे हर संभव मदद करने का वादा किया। के लाल ने अपने एक परम मित्र मनजीत से अमर की मुलाकात करवाई । मनजीत रेता बजरी आदि का काम करते थे, धीरे धीरे अमर मनजीत व के लाल मैं काफी उठना बैठना हो गया मनजीत से अच्छे संबंध होने के कारण रेता बजरी आदि की कोई समस्या ना रही और अमर का मकान जल्दी जल्दी बनने लगा । करीब 6 माह के भीतर अमर ने आलीशान मकान खड़ा कर लिया मकान की कंस्ट्रक्शन की खास बात यह रही कि जिस व्यक्ति ने जो कीमत मांगी अमर ने किसी को मना नहीं किया और उससे उसकी मुंह मांगी कीमत पर काम करवाया । जल्द ही अमर के आलीशान मकान का गृह प्रवेश भी हो गया अमर ने अब के लाल व मंजीत से कहा "मै सेना से रिटायर हूँ हट्टा कट्टा हूँ व कुछ काम करना चाहता हूं" लिहाजा मनजीत व के लाल के प्रयासों से अमर ने जल्द ही जनरल स्टोर की दुकान भी खोल ली इसी बीच अमर ने आवागमन की परेशानी का हवाला देते हुए मनजीत की गारंटी पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक मारुति कार लोन पर ले ली । धीरे-धीरे समय व्यतीत होने लगा अमर व के लाल करीब-करीब रोज संपर्क में रहते, दिन आराम से कट रहे थे की एक दिन अचानक मनजीत के घर आठ 10 लोग आए और अपना रोना रोने लगे "हम तो लुट गए, बर्बाद हो गए" मनजीत ने अपने मित्र के लाल को बुला लिया और लोगों को चुप करा कर पूरी बात तफ्सील से सुनी तब लोगों ने बताया कि वह अमर के घर लकड़ी का काम कर रहे थे और राज मजदूरी का भी उन्होंने काम किया था । उन्होंने बताया कि जब से हम अमर का मकान बना रहे हैं ,व मकान बनाने के पश्चात लकड़ी का काम कर रहे हैं ,हमें पूरी मजदूरी नहीं मिली है ।बल्कि मकान बनाने के दौरान अमर ने उन्हें सुहावने सपने दिखाकर लाखों रुपए भी ऐठ लिए हैं मनजीत व के लाल ने उनसे विस्तार पूर्वक सारी बात बताने को कहा तब उन्होंने बताया की अमर ने अपनी वर्दी का रौब दिखाकर कई बार बताया कि वह सैकड़ों बच्चों की सरकारी नौकरी लगवा चुका है । उसकी बहुत ऊपर तक पहुंच है और वह उन लोगों से लगातार संपर्क में रहता है ।सरकारी नौकरी व सेना में भर्ती के लालच में राज मजदूर व लकड़ी मिस्त्री ने अपने रिश्तेदारों के बच्चों के लिए 15/20 लोगों की नौकरी की बात की और प्रति व्यक्ति लाखों के हिसाब से अमर को करीब 20 लाख रुपए दे चुके हैं ।लेकिन नौकरी की तो बात छोड़ो अब अमर हम लोगों का फोन भी नहीं उठा रहा । आज जब सभी लोग उसके घर गए तो यह देखकर भौचक्का रह गए कि अमर के घर पर तो ताला लगा हुआ है ।सारी बातें सुनकर मनजीत व के लाल के पैरों तले जमीन खिसक गई ।वह जिस आदमी को बहुत अच्छा समझ रहे थे वह तो बहुत बड़ी ठगी कर कर यहां से भाग चुका था । के लाल व मनजीत ने सभी लोगों को समझाया कि उसका मकान तो यही है आपके साथ पूरा न्याय होगा। मनजीत ने एक बात और बताई कि उसने मनजीत सिंह की गारंटी पर बैंक से कार भी ली हुई है गारंटर होने के नाते लोन का भुगतान गारंटर को ही करना पड़ता है । सभी लोग यह सुनकर अवाक रह गए ।के लाल व मनजीत ने लोगों को समझा कर घर भेजा कि वह अमर से फोन पर संपर्क करने की कोशिश करेंगे । इसके अलावा उन लोगों ने अमर के खिलाफ थाने में तहरीर दे दी काफी दिनों तक मनजीत व के लाल अमर से संपर्क करने की कोशिश करते रहे लेकिन अमर का फोन स्विच ऑफ ही आता रहा । जब काफी माह बीत गए तब अखबार के माध्यम से उन्हें यह पता चला कि मध्य प्रदेश के किसी स्थान पर अमर को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार होने पर अमर ने बताया कि वह पहले भी इस तरह की घटना को अंजाम दे चुका है और लोगों से लाखों रुपए ऐठ चुका है । उसका यही धंधा था इस तरह वह ठगी करके एक स्थान से दूसरे स्थान को चला जाता था । जब लोगों को पता चला की अमर गिरफ्तार हो गया है तो काफी लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद उसके मकान की रजिस्ट्री का आर्डर कोर्ट से प्राप्त हुआ और ठगी की रकम का निपटारा हुआ । लेकिन मंजीत , बैंक में गाड़ी के लोन में गारंटर था उसे गाड़ी के लोन के पैसे अपनी जेब से ही चुकाने पड़े मनजीत ने कोर्ट के चक्कर काटना ठीक नहीं समझा । के लाल व मंजीत अब जब भी खाली समय में साथ बैठते हैं और अमर के विषय में सोचते हैं तो कान पकड़ जाते हैं की ऐसे ठग से तो भगवान दूर ही रखें और मन में यह विचार करते हैं , ऐसे ही किसी व्यक्ति पर विश्वास करना कितना भारी पड़ सकता है ।

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com 

Friday, 7 August 2020

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Monday, 27 July 2020

बदलते रिश्ते


विनय अपने परिवार के साथ गोवा जाने का प्रोग्राम बना रहा था । गर्मी की छुट्टियां भी नजदीक थी ,विनय ने दिल्ली से गोवा की फ्लाइट की 4 टिकट बुक करवा ली । गोवा की फ्लाइट दिल्ली से सुबह 4:00 बजे थी सो विनय ने सोचा की राजन जो उसका फुफेरा भाई है, के घर गाड़ी खड़ी कर देंगे वही राञि आराम करके सुबह 4:00 बजे की फ्लाइट पकड़ लेंगे ।क्योंकि राजन का घर एयरपोर्ट के नजदीकी था अतः विनय ने इसी प्रोग्राम को फाइनल कर दिया और राजन को फोन द्वारा सूचना दे दी कि हम निर्धारित तिथि पर उसके घर पहुंचेंगे। निर्धारित तिथि पर विनय अपने परिवार के साथ राजन के घर पहुंच गए। गाड़ी से लंबा सफर होने की वजह से वह काफी थक चुके थेऔर रात भी काफी हो चुकी थी। राजन ने विनय का काफी स्वागत किया, दिल्ली में राजन का काफी बड़ा फ्लैट था जिसमें एक कमरे में राजन और उसकी पत्नी दूसरे में उसका बेटा व पालतू कुत्ता और तीसरा गेस्ट रूम बनाया हुआ था । राजन का घर काफी आलीशान था अपने बेटे के कमरे में उसने काफी फैंसी डबल बेड रखा हुआ था जो काफी कीमती था । राजन ने विनय के लिए गेस्ट रूम निर्धारित किया गेस्ट रूम में सिर्फ एक डबल बेड था यह देख विनय को बड़ा अटपटा लगा कि उसके परिवार के चार सदस्य एक डबल बेड पर कैसे रात कटेंगे । विनय राजन के पास गया और बोला मेरा बेटा तुम्हारे बेटे के साथ उसके कमरे में सो जाएगा और हम तीनों गेस्ट रूम में डबल बेड पर जैसे-जैसे रात काट लेंगे । यह सुन राजन ने बीच में ही बात काटते हुए विनय से कहा मेरा बेटा अभी बीमार हो कर चुका है और डॉक्टर ने उसे एहतियात बरतने को कहा है इसे कहीं इंफेक्शन ना हो जाए अतः आप चारो गेस्ट रूम में ही विश्राम करें ।सुबह 4:00 बजे तो आपकी फ्लाइट ही है मैं ओला कैब बुक करा देता हूं जो आपको 2:00 बजे यहां से ले जाएगी यह सुन विनय निरुत्तर हो गए और वापस गेस्ट रूम में जैसे तैसे एक डबल बेड पर परिवार के चारों सदस्यों ने रात्रि काटी रात्रि 2:00 बजे ओला कैब वाला आ गया और विनय परिवार सहित एयरपोर्ट पहुंच गए। विनय अपनी गाड़ी राजन के पास ही छोड़ आए थे और वापसी पर उसे उठाने का कह दिया था। इस प्रकार विनय परिवार सहित गोवा भ्रमण कर जब वापसी कर रहे थे तो रास्ते में उन्होंने राजन से संपर्क करना उचित समझा क्योंकि उन्हें राजन के घर जाना था । विनय ने जब राजन से संपर्क किया तो राजन बोला "मैं जरूरी काम से अपने परिवार सहित फरीदाबाद जा रहा हूं , आप अपनी गाड़ी सोसाइटी की पार्किंग से उठा लेना, मैंने गाड़ी की चाबी गार्ड को दे दी है "यह सुन विनय अचरज में पड़ गया की राजन उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता है ।जबकि उसे तो हमारा सारा प्रोग्राम पता था और उसने हमें सूचित करना भी जरूरी नहीं समझा ।विनय ने चुपचाप हामी भरी व दिल्ली पहुंच कर गार्ड से गाड़ी की चाबी ली और परिवार सहित अपने घर की ओर चल पड़ा। विनय मन ही मन सोच रहा था कि रिश्तो की गर्माहट कहां चली गई है पता ही नहीं चल रहा ।उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही राजन है जिसके परिवार सहित घर आने पर विनय और उसकी पत्नी अपना बेड छोड़ खुद जमीन पर सो जाया करते थे दिल्ली की ट्रेन में बैठाने के लिए कई किलोमीटर दूर अपनी गाड़ी से स्टेशन खुद छोड़ने आया करते थे। क्या धन की वृद्धि स्वभाव में इतना परिवर्तन ला देती है यह साक्षात देखने को मिल रहा था।


स्वरचित

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
Vivekahuja288@gmail.com
@9410416986

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